गीत
मन प्रवाहित चेतना के आधार हो
गुरुवर आप धर्म अवतार हो।
धर्म अध्यात्म तेज संवाहित सरल।
योग निष्ठित नियम सामर्थ्य बल।
नयनों में नेह सबके लिए।
भेद सब आपने विस्मृत किए।
गुरु के नाम से भव पार हो
गुरुवर आप धर्म अवतार हो।
धर्म पथ पर नित कर्मठ चले।
ब्रह्म विद्या योग विद्या साथ ले।
मनस की सामर्थ्य का कर निर्वहन।
उच्च सद्गुण वृतियों का संचरण।
आत्मबल के शुद्धतम विस्तार हो
गुरुवर आप धर्म अवतार हो।
है अहिंसा नित धर्म सबका
सत्य राह की दिखलाई है।
जियो और जीने दो शिक्षा
महावीर ने सिखलाई है।
जैन धर्म ध्वजा का आधार हो
गुरुवर आप धर्म अवतार हो।
*महावीर जयंती पर आप सभी को हार्दिक मंगलकामनाएं।*
(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)
You may also like
IPL 2025: साई सुदर्शन ने एक ही मैच में अपने नाम दर्ज करवा लिए हैं कई रिकॉर्ड
Ration Card Update: e-KYC Mandatory by April 30, New Rules Effective from May 1
मैदान में एक-दूसरे से लिपटे पडे थे लडका-लडकी पलटा तो उड गये पुलिस के होश ι
दोस्त ने फोन से गर्लफ्रेंड की फोटो और वीडियो निकाल उसे भेज करनी चाही बात तो 1वीं का यह लड़का बन गया हथौड़ा किलर!! ι
राहुल गांधी की नागरिकता के मुद्दे पर कोर्ट ने केंद्र से 10 दिन के भीतर रिपोर्ट मांगी