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झूठे गौकशी केस में फंसाया गया वकील, बार एसोसिएशन ने दी आंदोलन की धमकी!

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यामीन विकट, ठाकुरद्वारा। राजनीतिक दुश्मनी की भेंट चढ़ा एक वकील! गौकशी के नाम पर फर्जी तरीके से फंसाए गए पूर्व जिला पंचायत सदस्य के समर्थन में सिविल बार एसोसिएशन ने कमर कस ली है। एसोसिएशन ने बैठक बुलाकर साफ कहा कि मामले की निष्पक्ष और ऊपरी स्तर की जांच हो, वरना सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे। ये मामला इतना पेचीदा है कि वकीलों का गुस्सा साफ दिख रहा है.

बैठक में गूंजी मांगें, चेतावनी भी

शुक्रवार को सिविल बार एसोसिएशन की बैठक बार अध्यक्ष एडवोकेट मोहम्मद तकी सिद्दीकी की अगुवाई में हुई। बैठक में सबने एक ही सुर में कहा कि राजनीतिक रंजिश के चलते वकील जरिफ मलिक को निशाना बनाया गया है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर किसी दबाव या दुश्मनी के कारण उन्हें फंसाया गया, तो वकील भाई लोग चुप नहीं बैठेंगे और आंदोलन छेड़ देंगे। ये बातें सुनकर लगता है कि मामला अब कोर्ट से सड़क तक पहुंच सकता है!

क्या हुआ था उस रात? घटना का पूरा खुलासा

दरअसल, 25 जुलाई को कोतवाली पुलिस ने मौके पर पहुंचकर तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया था। ये लोग गौ वंशीय पशु का वध करके उसका मांस बेचने की तैयारी कर रहे थे। पुलिस ने एक छोटा हाथी वाहन भी जब्त कर लिया। लेकिन इसी केस में पूर्व जिला पंचायत सदस्य, पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, भारत संचार निगम के टेलीफोन सलाहकार सदस्य और वकील जरिफ मलिक को भी आरोपी बना दिया गया। ये सुनकर हैरानी हो रही है ना? लेकिन सबूत बताते हैं कि ये फर्जीवा है!

फर्जी फंसाने के सबूत जो झूठ को उजागर कर रहे

एक दिन पहले ही सिविल बार एसोसिएशन ने पुलिस क्षेत्राधिकारी को ज्ञापन सौंपा था। इसमें साफ लिखा था कि जरिफ मलिक का नाम पूरी तरह झूठा जोड़ा गया है और उनकी इसमें कोई भूमिका नहीं। मौके पर मौजूद गवाहों ने हलफनामा देकर कहा कि घटना स्थल पर जरिफ मलिक कहीं नजर नहीं आए। उल्टा, घटना के वक्त वो अपने स्कूल में थे! स्कूल का सीसीटीवी फुटेज भी है, जो सुबह 7 बजकर 28 मिनट से 9 बजकर 52 मिनट तक की मौजूदगी साबित करता है। पुलिस की एफआईआर में घटना सुबह साढ़े नौ बजे की बताई गई है – यानी एक ही इंसान दो जगहों पर कैसे हो सकता है? ये सवाल वकीलों के दिल में चुभ रहा है।

निष्पक्ष जांच की मांग, वरना आंदोलन का ऐलान

बैठक में वकीलों ने कहा कि राजनीतिक दुश्मनी के चलते निर्दोष को फंसाया जा रहा है, इसलिए निष्पक्ष जांच जरूरी है। उन्होंने मांग की कि गवाहों के शपथ पत्र और सीसीटीवी फुटेज को जांच में शामिल किया जाए। साथ ही, किसी संगठन या राजनीतिक दबाव में निर्दोष को जेल न भेजा जाए। वकीलों ने चेतावनी भी दी – अगर निष्पक्ष जांच नहीं हुई, तो आंदोलन के लिए तैयार रहें! बैठक में उमेश कुमार राणा, नवीन यादव, रामावतार शर्मा, सईद अहमद फारुखी, मायुद्दीन अली, खुर्शीद अहमद, प्रमोद कुमार शर्मा, अफसाना परवीन, कविता राजपूत, राजीव कुमार शर्मा समेत कई वकील मौजूद रहे। ये सब मिलकर न्याय की लड़ाई लड़ने को तैयार हैं!

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