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'भूख से तड़पती रही, मारा-पीटा भी गया', पति पर गंभीर आरोप, हाथ-पैर पर सुसाइड नोट लिख दी जान

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उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के रठौड़ा गांव से एक ऐसी घटना सामने आई है, जो रिश्तों की पवित्रता पर सवाल उठाती है। 24 वर्षीय मनीषा, जिसने दो साल पहले प्रेम और विश्वास के साथ अपनी नई जिंदगी शुरू की थी, ने मंगलवार रात कीटनाशक निगलकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। इस दुखद घटना ने न केवल उसके परिवार को झकझोर दिया, बल्कि समाज में वैवाहिक रिश्तों की सच्चाई को भी उजागर कर दिया। मनीषा ने अपने शरीर पर लिखे सुसाइड नोट में अपने पति और ससुराल वालों की क्रूरता को अपनी मौत का कारण बताया। यह कहानी न केवल दर्दनाक है, बल्कि उन महिलाओं की पीड़ा को भी दर्शाती है, जो घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं।

सात जन्मों का वादा, दो साल में टूटा

मनीषा और उनके पति ने दो साल पहले शादी के बंधन में बंधते वक्त एक-दूसरे के साथ सात जन्मों तक साथ निभाने का वादा किया था। लेकिन यह वादा जल्द ही धोखे और दर्द में बदल गया। मनीषा के पति ने न केवल उससे तलाक की मांग की, बल्कि उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित भी किया। सुसाइड नोट में मनीषा ने लिखा कि उनके पति, सास, ससुर और दो देवरों ने उन्हें लगातार यातनाएं दीं। पति ने उन्हें कमरे में बंद करके कई दिनों तक भूखा रखा और मारपीट की। यह सब तब और दुखद हो गया, जब पति ने तलाक की मांग के साथ-साथ मनीषा के परिवार को खत्म करने की धमकी भी दी।

सुसाइड नोट में बयां किया दर्द

मनीषा ने अपनी जिंदगी खत्म करने से पहले अपने दर्द को अपने हाथों और पैरों पर लिखा। यह सुसाइड नोट न केवल उनकी पीड़ा का दस्तावेज है, बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी भी है। उन्होंने साफ तौर पर अपने पति और ससुराल वालों को अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया। उनके इस कदम ने न केवल उनके परिवार को सदमे में डाल दिया, बल्कि पूरे गांव में हड़कंप मचा दिया। बुधवार सुबह जब परिजनों ने मनीषा का शव घर में पड़ा देखा, तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई।

पुलिस जांच और समाज के सवाल

घटना की सूचना मिलते ही बागपत पुलिस ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया और जांच शुरू कर दी गई। पुलिस इस मामले में मनीषा के सुसाइड नोट को आधार बनाकर ससुराल वालों से पूछताछ कर रही है। लेकिन इस घटना ने समाज में कई सवाल खड़े किए हैं। आखिर क्यों एक युवती को अपनी जिंदगी खत्म करने के लिए मजबूर होना पड़ा? क्या वैवाहिक रिश्तों में विश्वास और सम्मान की कमी इस तरह की त्रासदियों को जन्म दे रही है? यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हमें अपने समाज में महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के लिए और क्या कदम उठाने चाहिए।

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