22 अप्रैल, 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया। इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई, जिसमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक शामिल थे। बाइसारन घास के मैदान में हुए इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े द रेजिस्टेंस फ्रंट ने ली। इस त्रासदी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकियों को कड़ा संदेश दिया, जबकि सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने गीता के ज्ञान से प्रेरित होकर जवानों का हौसला बढ़ाया। यह लेख इस घटना और भारत की प्रतिक्रिया की कहानी बयां करता है।
पहलगाम हमले की भयावहता
पहलगाम, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांति के लिए जाना जाता है, एक बार फिर आतंक की चपेट में आ गया। मंगलवार दोपहर को बाइसारन के हरे-भरे मैदान में आतंकियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की। हमलावरों ने कथित तौर पर लोगों से इस्लामी छंद पढ़ने को कहा और न पढ़ पाने वालों को गोली मार दी। इस क्रूर हमले ने पर्यटन स्थल को खून से लाल कर दिया। भारत ने इसे न केवल नागरिकों पर हमला, बल्कि देश की आत्मा पर प्रहार बताया। इस घटना ने देश में आक्रोश की लहर पैदा की, और लोग सड़कों पर उतरकर न्याय की मांग करने लगे।
पीएम मोदी का कड़ा संदेश
हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब का दौरा बीच में छोड़कर भारत लौट आए और कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक की। बिहार के मधुबनी में एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने आतंकियों को चेतावनी दी, “भारत हर आतंकी और उनके समर्थकों को ढूंढकर सजा देगा। हम उन्हें धरती के किसी भी कोने में नहीं छोड़ेंगे।” हिंदी से अंग्रेजी में स्विच करते हुए उन्होंने वैश्विक समुदाय को यह संदेश दिया कि भारत का संकल्प अटल है। पीएम ने इसे सिर्फ पर्यटकों पर हमला नहीं, बल्कि “भारत की आत्मा पर प्रहार” करार दिया। उनकी इस हुंकार ने देशवासियों में एकजुटता का जज्बा जगा दिया।
सेना प्रमुख का गीता से प्रेरित नेतृत्व
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने 25 अप्रैल को श्रीनगर पहुंचकर सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की और हमले की जगह बाइसारन का दौरा किया। उन्होंने जवानों को भगवद गीता के कर्मयोग का पाठ पढ़ाया, जिसमें कर्तव्य और निस्वार्थ कर्म पर जोर दिया गया। जनरल द्विवेदी ने कहा, “हमारा कर्तव्य है कि हम आतंक के इस खतरे को जड़ से उखाड़ फेंकें। गीता हमें सिखाती है कि बिना डर के अपने कर्म पर ध्यान देना चाहिए।” उनके इस संदेश ने सैनिकों में नया जोश भरा और देश को आश्वस्त किया कि सेना हर चुनौती के लिए तैयार है।
सरकार की त्वरित कार्रवाई
हमले के बाद भारत सरकार ने कई कड़े कदम उठाए। सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया गया, वाघा-अटारी चेकपोस्ट बंद कर दी गई, और पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे में भारत छोड़ने का अल्टीमेटम दिया गया। इन कदमों ने भारत-पाकिस्तान तनाव को और बढ़ा दिया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत “हमले के पीछे के असली चेहरों” को बेनकाब करेगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी फ्रांस, इटली, रूस और इजरायल जैसे देशों ने हमले की निंदा की और भारत के साथ एकजुटता दिखाई।
सुरक्षा में चूक का सवाल
इस हमले ने सुरक्षा व्यवस्था में चूक की ओर भी इशारा किया। सरकार ने एक सर्वदलीय बैठक में स्वीकार किया कि स्थानीय टूर ऑपरेटरों ने बिना प्रशासन को सूचित किए पर्यटकों को बाइसारन ले जाया, जहां सुरक्षा बल तैनात नहीं थे। पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक ने कहा कि पहलगाम जैसे पर्यटन स्थलों पर सुरक्षा को और मजबूत करने की जरूरत है। इस बीच, कांग्रेस ने “खुफिया नाकामी” की जांच की मांग की, लेकिन आतंकवाद के खिलाफ सरकार को पूरा समर्थन देने का वादा किया।
जनता का आक्रोश और एकजुटता
पहलगाम हमले ने पूरे देश में गुस्से की लहर पैदा की। भुवनेश्वर, चंडीगढ़ और अयोध्या में लोग कैंडल मार्च और प्रदर्शनों के साथ सड़कों पर उतरे। कश्मीरी समुदाय ने भी इस हमले की निंदा की और कहा कि यह उनकी संस्कृति का प्रतिनिधित्व नहीं करता। सोशल मीडिया पर लोग आतंकवाद के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इस एकजुटता ने दिखाया कि भारत आतंक के सामने कभी नहीं झुकेगा।
निष्कर्ष: आतंक के खिलाफ अटल संकल्प
पहलगाम हमला भारत के लिए एक गहरी चोट है, लेकिन पीएम मोदी की हुंकार और सेना प्रमुख की गीता से प्रेरित नेतृत्व ने देश को नई ताकत दी है। यह समय है एकजुट होकर आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने का। सरकार, सेना और जनता मिलकर इस चुनौती का सामना करेंगे। देशवासियों से अपील है कि वे शांति बनाए रखें और पीड़ित परिवारों के साथ एकजुटता दिखाएं। भारत का संकल्प अटल है—आतंकवाद का अंत होगा।
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