उज्जैन, 8 अगस्त (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के उज्जैन में श्रावण महोत्सव अन्तर्गत शनिवार को महाकालेश्वर मंदिर प्रबध्ं समिति द्वारा आयोजित पांचवी संध्या में देश के ख्यात कलाकारों द्वारा शास्त्रीय गायन,वादन एवं नृत्य की प्रस्तुतियां दी जाएगी। संध्या 7 बजे से त्रिवेणी कला एवं पुरातत्व संग्रहालय सभागृह,जयसिंह पुरा में यह आयोजन होगा। समिति द्वारा आयोजित श्रावण महोत्सव का यह 20वां वर्ष है।
प्रशासक प्रथम कोशिक ने बताया कि शनिवार को कोलकता की अद्रिजा बसु का शास्त्रीय गायन, गोवहाटी के शुभांकर हजारिका का सितार वादन व नईदिल्ली के पद्मश्री गुरु जयराम राव व समूह के कुचिपड़ी नृत्य की प्रस्तुातियां होंगी।
कलाकारों का परिचय अद्रिजा बासु ने बहुत कम आयु में अपने दादा प्रसिद्ध गायक आचार्य रामकृष्ण बासु के मार्गदर्शन में इन्दौर घराने से अपनी संगीत यात्रा शुरू की। आपने आचार्य जयंत बोस, अपने पति एलिक सेनगुप्ता(जयपुर-ग्वालियर घराना) और पद्मश्री उल्हास कशालकर से प्रशिक्षण लिया। आप सर्वश्रेष्ठ महिला शास्त्रीय गायिका-भारत संस्कृति उत्सव 2017,युव रत्न पुरस्कार-2016,गणवर्धन पुरस्कार-2018,सुर रत्न पुरस्कार-2020 सहित अनेकों सम्मानों से सम्मानित है। आपने स्पिक मैके इंटरनेशनल कन्वेंशन,स्वर-मल्हार फाउन्डेशन, भारतीय संग्रहालय कोलकाता और जर्मनी में सांस्कृतिक आयोजनों में प्रस्तुति दी है। आप स्पिक मैके और आकाशवाणी कोलकाता की सूचीबद्ध कलाकार हैं।
शुभांकर हजारिका ने बाल्यकाल से ही अपने परिवार से संगीत की शिक्षा पाई। आपने पं. विष्णुलाल नाग से सितार वादन की परंपरागत शिक्षा ली। संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार से राष्ट्रीय स्कॉलरशिप प्राप्त की। आपको सूर-श्रवण सम्मान-उड़ीसा,सुरसिंगार सम्मान-मुंबई और राष्ट्रीय युवा उत्सव में स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ है। आप आईटीसी संगीत रिसर्च अकादमी, कोलकाता के प्रशिक्ष रह चुके हैं। देशभर के 1000 से अधिक मंचों पर प्रस्तुति दे चुके हैं। आपकी प्रस्तुतियाँ संगीत नाटक अकादमी,इंदिरा गांधी संग्रहालय, एनईसीसी गोवाहाटी,यूनाइटेड ग्रेड कमीशन जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में हो चुकी हैं। आप आकाशवाणी व दूरदर्शन के नियमित कलाकार हैं।
पद्मश्री गुरु जयराम राव कुचिपुड़ी नृत्य शैली के प्रमुख गुरुओं और कलाकारों में से एक हैं। आंध्र प्रदेश के पारंपरिक कलाकार परिवार से आने वाले जयराम राव ने बचपन से गुरु-शिष्य परंपरा में प्रशिक्षण लिया। सिद्धेन्द्र कला क्षेत्र से स्नातक होने के बाद आपने डॉ. वेम्पति चिन्ना सत्यं से गहन प्रशिक्षण प्राप्त किया। दिल्ली में आपने कुचिपुड़ी विद्यालय की स्थापना की और सैकड़ों विद्यार्थियों को प्रशिक्षण दिया। आपकी प्रसिद्ध शिष्याओं में स्वप्ना सुंदर, मीनाक्षी शेषाद्रि, वनश्री राव, मीनू ठाकुर शामिल हैं। आपने पारंपरिक शैली में नवाचार जोड़ते हुए मंचीय प्रस्तुतियों को नई ऊँचाई दी। आप पद्मश्री –2004,संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार-1999,इंदिरा प्रियदर्शिनी पुरस्कार, दिल्ली राज्य पुरस्कार,आंध्र प्रदेश सम्मान से सम्मानित है। आप मानव संसाधन मंत्रालय की कुचिपुड़ी विशेषज्ञ समिति के सदस्य और वरिष्ठ फेलोशिप धारक भी हैं।
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(Udaipur Kiran) / ललित ज्वेल
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