हुगली, 11 नवंबर (Udaipur Kiran) . तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ता खुदीराम हेम्ब्रम की हत्या के 15 साल पुराने मामले में चुचुड़ा अदालत ने मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाया. अदालत ने इस मामले में दोषी पाए गए आठ माकपा कार्यकर्ताओं को आजीवन कारावास (सश्रम) की सजा सुनाई. साथ ही प्रत्येक पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है. जुर्माना न देने पर उन्हें एक वर्ष अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा. अदालत ने जिन आठ आरोपितों को आजीवन कारावास की सजा दी, उनमें लालू हांसदा (तत्कालीन ग्राम पंचायत प्रधान), रबी बास्के, लक्ष्मीराम बास्के, सिद्धेश्वर मल्लिक, सनातन मल्लिक, गणेश मल्लिक, लक्ष्मीनारायण सोरेन और नारू टुडू शामिल हैं.
यह फैसला अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश संजय कुमार शर्मा ने सुनाया.
उल्लेखनीय है कि 18 मार्च 2010 को खुदीराम हेम्ब्रम की से हत्या कर दी गई थी. उस दिन उनके बेटे की उच्च माध्यमिक Examination थी. खेत में काम करने के बाद खुदीराम अपने मित्र तपन रूइदास के घर गए थे. इसके बाद वह घर नहीं लौटे. अगले दिन यानी 19 मार्च को डीवीसी नहर से उनका रक्तरंजित बोरे में बंद शव बरामद हुआ.
पुलिस जांच में सामने आया कि खुदीराम की हत्या राजनीतिक कारणों से की गई थी. उसी रात तपन रूइदास ने गुड़ाप थाने में हत्या की शिकायत दर्ज कराई.
पुलिस ने जांच के बाद माकपा के 10 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया. उनके खिलाफ हत्या, सबूत मिटाने और हथियार के उपयोग जैसे गंभीर आरोपों में केस दर्ज हुआ. बाद में पुलिस ने अदालत में चार्जशीट दाखिल की और कुल 12 गवाहों के बयान दर्ज किए. चार लोग प्रत्यक्षदर्शी थे.
मुकदमे की प्रक्रिया के दौरान दो आरोपितों- अमर रूइदास और नेपाल मालिक की मौत हो गई.
सरकारी वकील चंडीचरण बनर्जी ने कहा कि हमने अदालत से दोषियों को अधिकतम सजा देने की मांग की थी. खुदीराम की हत्या बेहद नृशंस ढंग से की गई थी. अदालत ने सश्रम आजीवन कारावास देकर सही फैसला किया है.
जिला अदालत के मुख्य सरकारी वकील शंकर गांगुली ने बताया कि इस मुकदमे को निपटने में 15 साल इसलिए लगे क्योंकि कुछ आरोपित फरार थे. पुलिस ने उन्हें पकड़कर सबूत जुटाए और तभी मुकदमा आगे बढ़ पाया.
खुदीराम की पत्नी मालती हेम्ब्रम ने कहा कि हमें फांसी की उम्मीद थी. मेरे पति को निर्दयता से मारा गया था. उस वक्त बच्चे छोटे थे. बहुत मुश्किल से उन्हें बड़ा किया है.
वहीं अदालत से बाहर निकलते हुए दोषियों ने कहा कि उन्हें सिर्फ माकपा करने के कारण फंसाया गया है.
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(Udaipur Kiran) / धनंजय पाण्डेय
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