पालमपुर, 15 जुलाई (Udaipur Kiran) । पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शांता कुमार ने हिमाचल प्रदेश सरकार से अपील की है कि वह वन भूमि पर लगे अवैध सेब बगीचों को नष्ट करने के स्थान पर उन्हें अपने कब्जे में लेकर वन विभाग के माध्यम से संचालित करें। उन्होंने मुख्यमंत्री से विशेष आग्रह किया कि इस मानवीय और व्यावहारिक सुझाव पर गंभीरता से विचार किया जाए।
शांता कुमार ने मंगलवार काे एक बयान में कहा कि इन बगीचों में लगे सेब के वृक्ष हरे-भरे और उत्पादनशील हैं, जिन्हें लगाने में वर्षों की मेहनत लगी है। उन्होंने सुझाव दिया कि वन विभाग इन बगीचों को अपने नियंत्रण में लेकर उनकी देखरेख करे जिससे सरकार को आय का एक स्थायी स्रोत भी प्राप्त हो और वृक्षों की कटाई से हो रहा पर्यावरण व आर्थिक नुकसान भी रुके।
उन्होंने कहा कि कई स्थानों पर दशकों पहले अवैध कब्जे हुए थे, जिनमें शामिल लोग और उन्हें सहयोग देने वाले सरकारी कर्मचारी अब इस दुनिया में नहीं हैं। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि 85 वर्षीय एक वृद्धा को उसके पुराने मकान से बाहर निकालकर उसमें ताला लगा दिया गया, जो न सिर्फ अमानवीय है बल्कि सरकार की संवेदनशीलता पर भी प्रश्न खड़ा करता है।
शांता कुमार ने कहा, ऐसे मामलों में सरकार को मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। उस बुजुर्ग महिला का एकमात्र दोष यह है कि वह किसी पुराने कब्जाधारी की मां या दादी है। सरकार को चाहिए कि या तो वह मकान न ले या महिला के रहने की वैकल्पिक व्यवस्था करे। अवैध कब्जे के पीछे केवल आम लोग नहीं बल्कि कुछ सरकारी अधिकारी और कर्मचारी भी दोषी हैं, जिन्होंने चंद पैसों में नियमों की अनदेखी की। अब जब पेड़ों पर फल आ गए हैं और बगीचे फलने-फूलने लगे हैं, तो उन पर कुल्हाड़ी चलाना न सिर्फ आर्थिक नुकसान है बल्कि जैव हत्या भी है।
उन्हाेंने भारत के महान वैज्ञानिक जगदीश चन्द्र बोस का हवाला देते हुए कहा कि वृक्षों में भी जीवन होता है। उन्होंने चेताया कि यदि सरकार ने तुरंत कार्रवाई नहीं बदली तो न केवल हरे-भरे वृक्षों की हत्या होगी, बल्कि हिमाचल को आर्थिक व पर्यावरणीय नुकसान भी होगा।
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(Udaipur Kiran) शुक्ला
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