जिले के निवासी राधेराम सोमवार को एक अप्रत्याशित मोड़ पर अपने बेटे, शाहजहांपुर के एडीएम (वित्त एवं राजस्व) अरविंद कुमार से मिलने के लिए उनके कार्यालय पहुंचे। यह मुलाकात किसी सामान्य समय का हिस्सा नहीं थी, क्योंकि यह तैनाती के बाद पिता और बेटे की पहली मुलाकात थी। राधेराम ने बिना अपने बेटे को पहले बताए उनके दफ्तर का रुख किया। जब वह बेटे के कार्यालय में पहुंचे, तो उनके हाथ जोड़कर नमस्कार करने का दृश्य बेहद भावुक था।
राधेराम के इस तरह के कदम ने कार्यालय में मौजूद सभी कर्मचारियों को चौंका दिया। पिता की तरफ से अचानक आई इस मुलाकात को देखकर एडीएम अरविंद कुमार भी भावुक हो गए। उनके चेहरे पर आंसू थे, जो इस अद्भुत पल को व्यक्त करने के लिए पर्याप्त थे। पिता के दर्शन ने न केवल बेटे को, बल्कि वहां मौजूद सभी लोगों को भी एक गहरे एहसास से जोड़ा, जो पारिवारिक रिश्तों की ताकत और सच्चे स्नेह को दर्शाता है।
बेटे ने पिता की प्रतीक्षा की थी, लेकिन उनके आने की कोई सूचना नहीं थी। राधेराम के कार्यालय में प्रवेश करने पर एडीएम ने उन्हें सम्मानित किया और साथ ही यह भी बताया कि उनकी तैनाती के बाद यह उनके जीवन का एक बेहद खास और यादगार क्षण था। बेटे से अपनी पहली मुलाकात में वह इतना भावुक हो गए कि आंसू उनकी आंखों से बहने लगे।
यह घटना सोशल मीडिया और स्थानीय समाचारों में तेजी से फैल गई, जहां लोगों ने इस आत्मीय दृश्य की सराहना की। कई लोगों ने पिता-पुत्र के रिश्ते को लेकर भावनात्मक प्रतिक्रियाएं दीं। उनका कहना था कि ऐसे पल बहुत ही दुर्लभ होते हैं, जब रिश्तों की सच्चाई और परिवार की अहमियत साफ तौर पर सामने आती है।
बातचीत के दौरान, राधेराम ने बताया कि वह लंबे समय से अपने बेटे को नहीं देख पाए थे, क्योंकि उनकी तैनाती शाहजहांपुर में थी और वह वाराणसी में रहते थे। इस बीच, बेटे की व्यस्तता और प्रशासनिक जिम्मेदारियों के कारण मुलाकात का मौका नहीं मिल पाया। पिता ने कहा कि उन्होंने सोचा, अब तक इंतजार किया है, अब बेटे से मिलकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए।
एडीएम अरविंद कुमार ने भी इस मुलाकात को अपने जीवन का एक अनमोल पल माना। उन्होंने अपने पिता के कदमों को सहर्ष स्वीकार किया और कहा कि यह उनके लिए एक प्रेरणा स्रोत है। उन्होंने यह भी बताया कि परिवार के सदस्यों का आशीर्वाद हमेशा उनके कार्यों में मार्गदर्शन प्रदान करता है, और इस मुलाकात ने उन्हें और भी सशक्त बना दिया।
यह घटना न केवल एक पिता और पुत्र के रिश्ते को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि व्यस्तताओं के बीच भी रिश्तों की अहमियत को नहीं भुलाया जा सकता। ऐसे अनमोल पल जीवन में अक्सर हमें एक गहरी समझ और संतोष देते हैं।
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