बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, सियासी पारा लगातार चढ़ता जा रहा है। इस बार चुनावी मैदान में सबसे बड़ी चर्चा का विषय बन गए हैं प्रशांत किशोर (पीके) और उनकी नई पार्टी जन सुराज। पीके ने ऐलान किया है कि उनकी पार्टी इस बार राज्य की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
फिलहाल बड़े खिलाड़ियों की नजर में नहींभले ही भाजपा, जदयू, राजद और कांग्रेस जैसे बड़े दल जन सुराज को अभी गंभीर चुनौती नहीं मान रहे हों, लेकिन पीके की रणनीति, जनसंपर्क और तार्किक मुद्दों ने जनता के बीच उन्हें एक अलग पहचान दी है। गाँव-गाँव घूमकर और पदयात्रा के जरिए लोगों से संवाद कर उन्होंने संगठन की जड़ें मजबूत करने की कोशिश की है।
उपचुनाव में 10% वोट शेयरपिछले साल हुए उपचुनाव में जन सुराज ने 10% वोट हासिल कर सबको चौंका दिया था। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि किसी भी चुनाव के नतीजे तय करने में 10% वोट बहुत मायने रखते हैं। ऐसे में विधानसभा चुनाव में पार्टी का वोट शेयर भले बढ़े या घटे, लेकिन यह तय है कि जन सुराज कई सीटों पर चुनावी समीकरण बिगाड़ सकती है।
2020 की याद दिलाता परिदृश्यविशेषज्ञ मानते हैं कि प्रशांत किशोर की पार्टी का असर वैसा ही हो सकता है जैसा 2020 के चुनाव में चिराग पासवान की पार्टी का रहा था। एलजेपी ने भले सिर्फ एक सीट जीती थी, लेकिन 54 सीटों पर हार-जीत का अंतर बनाने का काम किया था। उसी तरह जन सुराज भी कई क्षेत्रों में "किंगमेकर" की भूमिका निभा सकती है।
बड़ा सवाल—कितनी सीटें जीत पाएंगे पीके?हालांकि यह अब भी बड़ा सवाल है कि प्रशांत किशोर वास्तव में कितनी सीटें जीत पाएंगे, या फिर जीत पाएंगे भी या नहीं। लेकिन इतना तय है कि अगर उन्हें जनता का आंशिक समर्थन भी मिलता है, तो यह एनडीए और महागठबंधन दोनों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
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