भारतीय संस्कृति में मंत्रों का विशेष महत्व रहा है। इन्हीं मंत्रों में सबसे शक्तिशाली और प्राचीन मंत्र माना जाता है – गायत्री मंत्र। इसे वेदों की माता कहा जाता है और यह ऋग्वेद से लिया गया है। परंपरागत रूप से यह मंत्र ईश्वर की उपासना और आत्मिक शांति के लिए पढ़ा जाता रहा है, लेकिन आधुनिक समय में विज्ञान ने भी यह स्वीकार किया है कि गायत्री मंत्र का नियमित जाप न केवल मानसिक शांति देता है बल्कि शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को भी मजबूत बनाता है।
गायत्री मंत्र का महत्वगायत्री मंत्र को “सविता देवता” को समर्पित माना जाता है। इसका अर्थ है – परम दिव्य शक्ति से प्रार्थना करना कि हमें सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिले और हमारा मन सद्बुद्धि से परिपूर्ण हो। जब इस मंत्र का उच्चारण किया जाता है तो इसकी ध्वनि तरंगें शरीर और मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं।
स्वास्थ्य पर प्रभावविज्ञान की दृष्टि से देखा जाए तो किसी भी मंत्र का लगातार उच्चारण शरीर में वाइब्रेशन (कंपन) पैदा करता है। गायत्री मंत्र के 24 अक्षरों का उच्चारण एक विशेष ध्वनि ऊर्जा उत्पन्न करता है, जो मस्तिष्क की तंत्रिकाओं को सक्रिय करता है। इससे मानसिक एकाग्रता बढ़ती है, तनाव कम होता है और शरीर में ऊर्जा का प्रवाह संतुलित हो जाता है।डॉक्टर्स और साइकोलॉजिस्ट्स भी मानते हैं कि नियमित मंत्र जाप से हार्मोनल बैलेंस सुधरता है और ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है। इसके अलावा, यह हृदय और श्वसन प्रणाली पर भी सकारात्मक असर डालता है।
मनोवैज्ञानिक लाभगायत्री मंत्र का जाप ध्यान (Meditation) का भी एक हिस्सा माना जाता है। जब कोई व्यक्ति रोजाना कुछ मिनटों तक इसका जप करता है तो उसका मस्तिष्क अल्फा वेव्स की अवस्था में आ जाता है। इस अवस्था में व्यक्ति गहरे आराम और शांति का अनुभव करता है। यही वजह है कि यह अवसाद, चिंता और अनिद्रा जैसी समस्याओं में भी राहत पहुंचाता है।
विज्ञान और मंत्र जाप का नातावैज्ञानिक शोध बताते हैं कि जब कोई मंत्र बार-बार उच्चारित होता है तो उससे निकलने वाली ध्वनि तरंगें आसपास की हवा में गूंजती हैं। यह वाइब्रेशन शरीर के चक्रों (energy centers) को सक्रिय करता है। गायत्री मंत्र विशेष रूप से आज्ञा चक्र (Third Eye Chakra) और सहस्रार चक्र (Crown Chakra) पर असर डालता है। यही कारण है कि इसका जाप करने वाले व्यक्ति को स्पष्ट सोच, सकारात्मक दृष्टिकोण और निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि महसूस होती है।कई मेडिकल स्टडीज में यह पाया गया है कि जो लोग प्रतिदिन 15-20 मिनट तक मंत्र जाप करते हैं, उनकी इम्यूनिटी बेहतर होती है और वे तनावजनित बीमारियों से जल्दी उबर जाते हैं।
सामाजिक और आध्यात्मिक लाभगायत्री मंत्र केवल व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं है, बल्कि यह सामूहिक चेतना को भी प्रभावित करता है। जब किसी समूह द्वारा इस मंत्र का सामूहिक जाप किया जाता है तो वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। वैज्ञानिक भी मानते हैं कि साउंड वेव्स (ध्वनि तरंगें) आसपास के माहौल को प्रभावित करती हैं। यही कारण है कि पूजा-पाठ, हवन या धार्मिक अनुष्ठानों में गायत्री मंत्र का जाप विशेष रूप से किया जाता है।
गायत्री मंत्र जाप की विधिगायत्री मंत्र का प्रभाव तभी गहरा होता है जब इसे सही तरीके से उच्चारित किया जाए। सूर्योदय और सूर्यास्त के समय इसका जाप सबसे उत्तम माना गया है। जाप करते समय व्यक्ति को शांत वातावरण में बैठकर, रीढ़ सीधी रखते हुए और मन को एकाग्र कर मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। शुरुआत में 11 बार या 21 बार जाप किया जा सकता है और धीरे-धीरे इसे 108 बार तक बढ़ाया जा सकता है।
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