इंटरनेट डेस्क। राज्यपाल को विधानसभा से पारित विधेयक पर निर्णय लेने को लेकर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों के संविधान पीठ ने बड़ी बात कही है। देश के शीर्ष न्यायालय की पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा कि अदालत राज्यपाल को विधानसभा से पारित विधेयक पर निर्णय लेने का आदेश दे सकती है, लेकिन यह आदेश नहीं दे सकती कि निर्णय कैसे लेना है।
केंद्र के हर विधेयक विशिष्ट तथ्य और परिस्थितियों पर आधारित होता है, इसलिए अदालत हर मामले के लिए समान समय सीमा तय नहीं कर सकती के बयान के बाद मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की अगुवाई वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने ये बात कही है।
खबरों के अनुसार, पीठ के समक्ष यह भी कहा कि शीर्ष कोर्ट राज्यपाल द्वारा विधायी प्रक्रिया के तहत किए किसी कार्य के लिए परमादेश जारी नहीं कर सकता। खबरों के अनुसार, इस संबंध में जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि न्यायालय राज्यपाल को संविधान के अनुच्छेद-200 के तहत किसी विशेष तरीके से निर्णय लेने को नहीं कह सकती, लेकिन निर्णय लेने का आदेश दे सकती है। इस संविधान पीठ में जस्टिस विक्रम नाथ, पी.एस. नरसिम्हा और ए.एस. चंदुरकर भी शामिल हैं।
PC:sci.gov
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