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हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। पितृ पक्ष पंद्रह दिनों तक चलता है। पितृ पक्ष पितरों को समर्पित होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष के पंद्रह दिनों में पूर्वज परिवार को आशीर्वाद देते हैं। इसके लिए पिंडदान और श्राद्ध जैसे कर्मकांड किए जाते हैं। पितृ पक्ष को खरीदारी के लिए अशुभ माना जाता है। चूँकि इन दिनों में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव अधिक होता है, इसलिए कोई भी नया काम नहीं किया जाता है।
क्या पितृ पक्ष में नया घर या वाहन खरीदना चाहिए? हर साल की तरह इस साल भी आपके मन में यह सवाल ज़रूर आया होगा। इसके पीछे कई धार्मिक कार्य होते हैं। पितृ पक्ष में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है।
पितृ पक्ष पंद्रह दिनों की अवधि होती है। इसमें पितरों की पूजा, श्राद्ध, पिंडदान जैसे कर्मकांड किए जाते हैं, जिससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
गरुड़ पुराण के अनुसार, इस अवधि में विवाह, गृह प्रवेश, यज्ञ या व्रत-उपवास नहीं करना चाहिए। इसका अर्थ है कि यह समय नए काम के लिए नहीं, बल्कि पितरों की शांति के लिए समर्पित है।
शास्त्रों के अनुसार, यदि आप इन दिनों में घर या वाहन खरीदना चाहते हैं, तो बुकिंग अवश्य कराएँ। इस समय अपने पूर्वजों का स्मरण करें और उन्हें जल व तिल अर्पित करें। मन ही मन प्रार्थना करें, इससे आपका उद्देश्य पूर्ण होगा। सर्वपितृ अमावस्या के बाद डिलीवरी या पंजीकरण कराएँ। बुकिंग राशि देते समय एक रुपया दान करें और जल अर्पित करें।
शास्त्रों के अनुसार, पंजीकरण और बुकिंग केवल एक अनुबंध है। आपका वास्तविक अधिकार, स्वामित्व, श्राद्ध पक्ष के बाद होना चाहिए। बुकिंग केवल भविष्य के लाभ के लिए है, यह अशुभ नहीं है, लेकिन स्वामित्व लेने का अर्थ है डिलीवरी पितृ पक्ष के बाद होनी चाहिए।
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