News India Live, Digital Desk: Big step of the government: बिहार में भूमि संबंधी विवादों और गलतियों को ठीक करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की गई है. अब प्रदेश में खाता, खेसरा, जमाबंदी जैसी भू-राजस्व संबंधित जानकारियों को घर बैठे दुरुस्त किया जा सकेगा. इसके लिए आज से पूरे राज्य में राजस्व शिविरों की शुरुआत की जा रही है. यह शिविर उन लाखों ग्रामीणों के लिए बड़ी राहत साबित होंगे जो अपनी जमीन से जुड़े दस्तावेजों में त्रुटियों या विवादों के कारण परेशान थे. ये कैंप बिचौलियों की भूमिका को खत्म कर ग्रामीणों को सीधे राजस्व विभाग से जुड़ने का मौका देंगे.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देशों के बाद राजस्व और भूमि सुधार विभाग ने इस पहल को मूर्त रूप दिया है. अब ये शिविर नियमित रूप से प्रखंड स्तर पर लगाए जाएंगे और इन सभी की निगरानी स्वयं जिलाधिकारियों द्वारा की जाएगी. जिलाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे साप्ताहिक बैठकों के दौरान इन शिविरों के कामकाज की समीक्षा करें, ताकि उनकी effecitivity सुनिश्चित हो सके और अधिकतम लोगों को लाभ मिल सके. यह कदम पारदर्शिता लाने और आम लोगों के लिए सरकारी सेवाओं को सुलभ बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है.राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग समय पर शिविर आयोजित किए जाएंगे. जिला प्रशासन ने इस संबंध में ग्राम पंचायत और वार्ड वार शेड्यूल जारी कर दिया है, जिसकी जानकारी संबंधित क्षेत्रों में सार्वजनिक रूप से दी जाएगी ताकि सभी नागरिक इसकी जानकारी प्राप्त कर सकें. लोगों से अनुरोध किया गया है कि वे निर्धारित तिथियों पर अपने संबंधित शिविरों में पहुंचकर अपनी समस्याओं का समाधान करवाएं. इसमें वे जमीन से जुड़े अपने दस्तावेज, जैसे खतियान, लगान रसीद, रजिस्ट्री के कागजात आदि लेकर जा सकते हैं, ताकि त्रुटियों को तुरंत सुधारा जा सके.इन राजस्व शिविरों का मुख्य उद्देश्य भूमि दस्तावेजों में व्याप्त गलतियों को सुधारना है, जिनमें खासकर ऑनलाइन भूलेख में दिखाई जा रही त्रुटियां शामिल हैं. ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां जमीनी स्थिति और रिकॉर्ड में अंतर होता है, जिससे ग्रामीणों को विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में या अपनी जमीन के लेनदेन में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इन शिविरों के माध्यम से ऐसे सभी विवादों और त्रुटियों का निराकरण किया जाएगा, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा और भूमि से जुड़े झगड़ों में कमी आएगी.सरकार का मानना है कि यह पहल राज्य में भूमि संबंधी धोखाधड़ी को कम करने में भी मदद करेगी और ग्रामीणों को एक सुरक्षित और पारदर्शी प्रणाली प्रदान करेगी. इससे उन्हें अपनी जमीन के मालिकाना हक को लेकर कोई अनिश्चितता नहीं रहेगी, जिससे वे अपनी संपत्ति का सही तरीके से प्रबंधन कर सकेंगे. इन राजस्व शिविरों का संचालन पूरे राज्य में किया जाएगा और इनसे ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता भी फैलेगी कि वे कैसे अपनी भूमि के अभिलेखों को ठीक रख सकते हैं.
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