प्राचीन काल से ही कौवे को विशेष संकेतों और रहस्यों से जोड़ा गया है। अक्सर हमारे घर, छत या आंगन में कौवे आते हैं, लेकिन क्या ये केवल संयोग है या फिर किसी गहरे संदेश का संकेत? ज्यादातर लोग कौवे को लेकर नकारात्मक सोच रखते हैं, कई तो कौवे के छू जाने पर स्नान भी करते हैं। परंतु धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से कौवे का आना कई बार शुभ भी माना जाता है। आइए विस्तार से जानते हैं कि कौवे का घर पर आना शुभ है या अशुभ।
कौवे के संकेतों का महत्वपुरानी मान्यताओं के अनुसार, कौवा भविष्य को देखने और भविष्य संबंधी संकेत देने में सक्षम माना जाता है। घर की छत, मुंडेर या आंगन में कौवे का आना कई प्रकार के संकेत दे सकता है।
कब कौवे का आना शुभ संकेत होता है?-
पानी पीते हुए कौवा: यदि घर की छत या आंगन में कौवा पानी पीते हुए दिखाई दे, तो यह धन लाभ का संकेत माना जाता है।
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आंगन में कांव-कांव करना: यदि कौवा आंगन में आकर आवाज करे, तो इसका अर्थ है कि घर में कोई शुभ व्यक्ति या आदरणीय मेहमान आने वाला है।
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सुबह-सुबह कौवे का कांव-कांव करना: अगर सुबह के समय कौवा घर के सामने आकर आवाज करे, तो यह धन, प्रतिष्ठा और ऐश्वर्य में वृद्धि का सूचक है।
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दाना खाते हुए कौवा: यदि कौवा घर के आंगन या छत पर आकर दाना खाए, तो यह समृद्धि और मान-सम्मान में वृद्धि का संकेत देता है।
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कौवों का झुंड बनाना: यदि कई कौवे मिलकर छत या आंगन में शोर मचाएं, तो यह आर्थिक तंगी या स्वास्थ्य समस्याओं के आगमन का संकेत हो सकता है।
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सिर पर कौवे का बैठना या छूना: यदि कौवा किसी के सिर पर बैठ जाए या सिर को छू ले, तो यह गंभीर शारीरिक संकट की चेतावनी मानी जाती है।
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पीछे से कौवे की आवाज सुनना: काम पर जाते समय पीछे से कौवे की आवाज सुनाई दे, तो यह कार्य में सफलता का संकेत है।
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पीठ की ओर से कौवे का बोलना: यात्रा के दौरान पीठ के पीछे से कौवा बोले तो यह पुराने संकट समाप्त होने का इशारा है।
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दाईं ओर से आकर बाईं ओर जाना: अगर कौवा दाईं ओर से आकर बाईं ओर निकल जाए, तो यह कार्यसिद्धि का प्रतीक है।
धार्मिक दृष्टि से कौवे को पितरों का प्रतीक माना जाता है। यदि घर में कौवा आए, तो उसे भगाने के बजाय सम्मानपूर्वक रोटी, चावल या दही का भोग लगाना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और परिवार को सुख-समृद्धि तथा शांति का आशीर्वाद देते हैं।
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