वॉशिंगटन: अमेरिका में सैनिकों के दाढ़ी ना रखने और पगड़ी बांधने पर रोक से जुड़े नियम पर विवाद बढ़ गया है। अमेरिकी सांसद थॉमस आर सुओजी ने इस पर अपनी सरकार से फिर से सोचने की अपील की है। अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ को लिखे पत्र में थॉमस सुओजी ने कहा है कि सिख दशकों से अमेरिकी सेना में सेवा कर रहे हैं। दोनों विश्व युद्धों में भी सिख अमेरिकी सेना में शामिल रहे। इस इतिहास का ध्यान रखते हुए दाढ़ी-पगड़ी से जुड़े नियमों में छूट दी जानी चाहिए क्योंकि यह सिखों के धर्म के लिहाज से बहुत अहम है।
अमेरिका में सिख समुदाय के सैनिकों की चिंताओं को उजागर करते हुए एक थॉमस ने रक्षा मुख्यालय पेंटागन से अपील की है कि वह सभी सैन्य कर्मियों के दाढ़ी-मूंछ मुंडवाने की अनिवार्यता संबंधी नीति पर पुनर्विचार करे। उन्होंने कहा कि बाल और दाढ़ी ना कटवाना सिख धर्म का मूल सिद्धांत है, जिसका सम्मान किया जाना चाहिए।
सिखों को मिले छूटथॉमस सुओजी ने कहा है कि सिखों के लिए देश की सेवा करना एक पवित्र कर्तव्य है, जो ‘संत-सिपाही’ आदर्श का प्रतीक है। सिख धर्म में केश ना काटना और दाढ़ी रखना ईश्वर के प्रति भक्ति का प्रतीक है। ये सही है कि सैन्य अनुशासन और वर्दी मानकों का महत्व है लेकिन धार्मिक या चिकित्सीय आधार पर छूट दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि सिख, मुस्लिम और अफ्रीकी-अमेरिकी समुदाय के कुछ सदस्य चिंतित हैं कि अगर दाढ़ी प्रतिबंध बिना किसी अपवाद के लागू हुआ तो वे सेना में सेवा नहीं कर पाएंगे। पिछले महीने हेगसेथ ने कहा था कि हम सैनिकों के बाल कटवाने जा रहे हैं। अब गैर-पेशेवर दिखने का युग खत्म हो गया है। अब दाढ़ी वाले लोग सेना में नहीं रहेंगे।
मुस्लिमों में भी चिंतासुओजी ने कहा है कि उनके कई सिख, मुस्लिम और अफ्रीकी अमेरिकी मतदाताओं को चिंता है कि नए नियम से उनके लिए मुश्किल होगी। सुओजी ने कहा कि सिख ही नहीं बहुत से मुस्लिम पुरुषों के लिए दाढ़ी रखना 'सुन्नत मुअक्कदा' है। यह सैकड़ों वर्ष पुरानी धार्मिक प्रथा है। वहीं कई अफ्रीकी अमेरिकियों के लिए बालों का गहरा सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व है। ऐसे में इस नए नियम पर सोचा जाना चाहिए।
अमेरिका में सिख समुदाय के सैनिकों की चिंताओं को उजागर करते हुए एक थॉमस ने रक्षा मुख्यालय पेंटागन से अपील की है कि वह सभी सैन्य कर्मियों के दाढ़ी-मूंछ मुंडवाने की अनिवार्यता संबंधी नीति पर पुनर्विचार करे। उन्होंने कहा कि बाल और दाढ़ी ना कटवाना सिख धर्म का मूल सिद्धांत है, जिसका सम्मान किया जाना चाहिए।
सिखों को मिले छूटथॉमस सुओजी ने कहा है कि सिखों के लिए देश की सेवा करना एक पवित्र कर्तव्य है, जो ‘संत-सिपाही’ आदर्श का प्रतीक है। सिख धर्म में केश ना काटना और दाढ़ी रखना ईश्वर के प्रति भक्ति का प्रतीक है। ये सही है कि सैन्य अनुशासन और वर्दी मानकों का महत्व है लेकिन धार्मिक या चिकित्सीय आधार पर छूट दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि सिख, मुस्लिम और अफ्रीकी-अमेरिकी समुदाय के कुछ सदस्य चिंतित हैं कि अगर दाढ़ी प्रतिबंध बिना किसी अपवाद के लागू हुआ तो वे सेना में सेवा नहीं कर पाएंगे। पिछले महीने हेगसेथ ने कहा था कि हम सैनिकों के बाल कटवाने जा रहे हैं। अब गैर-पेशेवर दिखने का युग खत्म हो गया है। अब दाढ़ी वाले लोग सेना में नहीं रहेंगे।
मुस्लिमों में भी चिंतासुओजी ने कहा है कि उनके कई सिख, मुस्लिम और अफ्रीकी अमेरिकी मतदाताओं को चिंता है कि नए नियम से उनके लिए मुश्किल होगी। सुओजी ने कहा कि सिख ही नहीं बहुत से मुस्लिम पुरुषों के लिए दाढ़ी रखना 'सुन्नत मुअक्कदा' है। यह सैकड़ों वर्ष पुरानी धार्मिक प्रथा है। वहीं कई अफ्रीकी अमेरिकियों के लिए बालों का गहरा सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व है। ऐसे में इस नए नियम पर सोचा जाना चाहिए।
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