इस्लामाबाद: पाकिस्तान की शहबाज शरीफ की सरकार ने इस महीने हुए घातक दंगे के बाद इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस महीने टीएलपी ने इजरायल-हमास के बीच हुए सीजफायर के खिलाफ पाकिस्तान में कई जगहों पर उत्पात मचाया था। पाकिस्तान के कई पत्रकारों ने दावा किया है कि पाकिस्तान सरकार के आदेश के बाद टीएलपी के लोगों पर अंधाधुंध फायरिंग की गई, जिसमें सैकड़ों कार्यकर्ताओं की मौत हो गई।
टीएलपी ने इससे पहले 2021 में इमरान खान के समय भी ऐसा ही दंगा किया था और उस समय पर उसपर प्रतिबंध लगाया गया था। लेकिन कुछ ही दिनों के बाद इमरान खान ने कट्टरपंथियों के आगे घुटने टेक दिए थे और प्रतिबंध को हटा लिया था। इसीलिए पाकिस्तान सरकार की कार्रवाई ढोंग लग रही है। फिलहाल के लिए माना जा सकता है कि शहबाज सरकार ने इस कट्टरपंथी समूह के खिलाफ सख्त फैसला लिया है, जिसका इतिहास भयानक हिंसा करने का रहा है।
पाकिस्तान में तहरीक-ए-लब्बैक पर प्रतिबंध
तहरीक-ए-लब्बैक ने 10 अक्टूबर को पाकिस्तान के कई शहरों में रैली निकाली निकाली थी। जिसका मकसद इजरायल और हमास के बीच हुए युद्धविराम का विरोध करना था। इसे से "गाजा एकजुटता" मार्च नाम दिया गया था। इसका मकसद लाहौर से इस्लामाबाद में अमेरिकी दूतावास तक रैली निकालना था, लेकिन जब पुलिस ने इस रैली को इस्लामाबाद आने से रोकने की कोशिश शुरू की तो हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गये। इस संगठन के प्रमुख का नाम साद हुसैन रिजवी है, जिसने इजरायल-हमास समझौते को फिलीस्तीनी लोगों से विश्वासघात बताया है। जबकि, पाकिस्तान सरकार ने विरोध प्रदर्शनों को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान के कूटनीतिक प्रयासों को कमजोर करने और देश के अंदर अराजकता पैदा करने की कोशिश माना।
टीएलपी कार्यकर्ताओं ने सबसे भयंकर उत्पात मुरीदके में मचाया, जहां उसके कार्यकर्ताओं ने पुलिस और रेंजर्स पर हमला कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने वाहनों पर कब्जा कर लिया, पत्थरबाजी की और बैरिकेड तोड़ दिए। पंजाब पुलिस की कार्रवाई में दर्जनों लोगों की मौत हुई, जिनमें एक एसएचओ भी शामिल था, जबकि 1,600 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। मौत को लेकर दावे अलग अलग है। पाकिस्तान के सीनियर जर्नलिस्ट हामिद मीर ने मरने वालों की संख्या सैकड़ों में बताई है। इस हिंसा के बाद पंजाब की राज्य सरकार ने संघीय प्रशासन को सिफारिश भेजी थी कि टीएलपी पर आतंकवाद विरोधी कानून (ATA) के तहत प्रतिबंध लगाया जाए। आरोप पत्र में टीएलपी की हिंसक गतिविधियों, नफरत फैलाने वाले भाषणों और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने की घटनाओं की जानकारी दी गई थी।
टीएलपी ने इससे पहले 2021 में इमरान खान के समय भी ऐसा ही दंगा किया था और उस समय पर उसपर प्रतिबंध लगाया गया था। लेकिन कुछ ही दिनों के बाद इमरान खान ने कट्टरपंथियों के आगे घुटने टेक दिए थे और प्रतिबंध को हटा लिया था। इसीलिए पाकिस्तान सरकार की कार्रवाई ढोंग लग रही है। फिलहाल के लिए माना जा सकता है कि शहबाज सरकार ने इस कट्टरपंथी समूह के खिलाफ सख्त फैसला लिया है, जिसका इतिहास भयानक हिंसा करने का रहा है।
पाकिस्तान में तहरीक-ए-लब्बैक पर प्रतिबंध
तहरीक-ए-लब्बैक ने 10 अक्टूबर को पाकिस्तान के कई शहरों में रैली निकाली निकाली थी। जिसका मकसद इजरायल और हमास के बीच हुए युद्धविराम का विरोध करना था। इसे से "गाजा एकजुटता" मार्च नाम दिया गया था। इसका मकसद लाहौर से इस्लामाबाद में अमेरिकी दूतावास तक रैली निकालना था, लेकिन जब पुलिस ने इस रैली को इस्लामाबाद आने से रोकने की कोशिश शुरू की तो हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गये। इस संगठन के प्रमुख का नाम साद हुसैन रिजवी है, जिसने इजरायल-हमास समझौते को फिलीस्तीनी लोगों से विश्वासघात बताया है। जबकि, पाकिस्तान सरकार ने विरोध प्रदर्शनों को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान के कूटनीतिक प्रयासों को कमजोर करने और देश के अंदर अराजकता पैदा करने की कोशिश माना।
टीएलपी कार्यकर्ताओं ने सबसे भयंकर उत्पात मुरीदके में मचाया, जहां उसके कार्यकर्ताओं ने पुलिस और रेंजर्स पर हमला कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने वाहनों पर कब्जा कर लिया, पत्थरबाजी की और बैरिकेड तोड़ दिए। पंजाब पुलिस की कार्रवाई में दर्जनों लोगों की मौत हुई, जिनमें एक एसएचओ भी शामिल था, जबकि 1,600 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। मौत को लेकर दावे अलग अलग है। पाकिस्तान के सीनियर जर्नलिस्ट हामिद मीर ने मरने वालों की संख्या सैकड़ों में बताई है। इस हिंसा के बाद पंजाब की राज्य सरकार ने संघीय प्रशासन को सिफारिश भेजी थी कि टीएलपी पर आतंकवाद विरोधी कानून (ATA) के तहत प्रतिबंध लगाया जाए। आरोप पत्र में टीएलपी की हिंसक गतिविधियों, नफरत फैलाने वाले भाषणों और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने की घटनाओं की जानकारी दी गई थी।
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