पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के माहौल में जन सुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने भारतीय जनता पार्टी 'सूरत कांड' दोहराने का आरोप मढ़ा। प्रशांत किशोर ने पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया कि बिहार चुनाव में ठीक 'सूरत कांड' दोहराया गया। प्रशांत के मुताबिक, जिस तरह लोकसभा चुनाव के दौरान सूरत में बीजेपी ने विरोधी उम्मीदवारों को बैठा दिया था, उसी तरह बिहार की तीन महत्वपूर्ण सीटों दानापुर, गोपालगंज और ब्रह्मपुर पर जन सुराज के प्रत्याशियों को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह , केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और अन्य भाजपा नेताओं ने धमकाकर और दबाव बनाकर नामांकन दाखिल करने या चुनाव लड़ने से रोका है। पीके ने अपने आरोपों के समर्थन में भाजपा नेताओं के साथ जन सुराज के उम्मीदवारों की तस्वीरें भी मीडिया को दिखाईं।
दानापुर, ब्रह्मपुर और गोपालगंज को लेकर सीधा आरोपप्रशांत किशोर ने दावा किया कि दानापुर सीट से जन सुराज के उम्मीदवार अखिलेश कुमार उर्फ मुटुर साव के अगवा होने की खबर झूठी थी। उन्होंने बताया कि उन्हें किसी ने किडनैप नहीं किया, बल्कि अमित शाह और भाजपा के नेताओं ने मुटुर साव को धमकाकर नामांकन दाखिल करने से रोका। पीके ने इसकी पुष्टि के लिए मुटुर साव की गृह मंत्री के साथ मुलाकात की तस्वीर मीडिया को दिखाई। इसी तरह, बक्सर की ब्रह्मपुर सीट से प्रत्याशी डॉ. सत्यप्रकाश तिवारी पर भी केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और अन्य भाजपा नेताओं द्वारा दबाव बनाने का आरोप लगाया गया। पीके ने सत्यप्रकाश तिवारी के घर पर हुई मीटिंग की फोटो भी दिखाई, जिसके बाद उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया था। गोपालगंज सीट पर भी जन सुराज के प्रत्याशी डॉ. शशि शेखर सिन्हा पर स्थानीय भाजपा एमएलसी और नेताओं ने दबाव बनाकर नामांकन वापस करा दिया।
बिहार में 'सूरत कांड' होना लोकतंत्र का अपमानप्रशांत किशोर ने इन घटनाओं को लोकसभा चुनाव के दौरान गुजरात के सूरत में हुए 'कांड' की पुनरावृत्ति बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के शीर्ष नेता खुलेआम लोकतंत्र का अपमान कर रहे हैं और विरोधियों को चुनाव लड़ने से रोक रहे हैं। पीके ने कहा कि धमकियों के चलते ही इन तीन घोषित उम्मीदवारों को घर बैठने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसके अलावा, उन्होंने वाल्मीकिनगर सीट से जन सुराज के प्रत्याशी दृग नारायण प्रसाद पर भी जदयू के स्थानीय नेताओं की ओर से दबाव बनाने का आरोप लगाया।
गुजरात का 'सूरत कांड' क्या था?दरअसल, 2024 लोकसभा चुनाव में गुजरात की सूरत सीट से बीजेपी के मुकेश दलाल चुनाव होने से पहले ही जीत गए। उनके खिलाफ कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभानी का पर्चा रद्द हो गया। बाकी निर्दलीय उम्मीदवारों ने अपने नाम वापस ले लिए, इसलिए उन्हें निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया गया। सूरत लोकसभा सीट के सात दशक के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ। फिर इसी तरह का मामला मध्य प्रदेश के इंदौर में दोहराई गई। यहां पर कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बाम ने आखिरी दिन नामांकन वापस लेकर भाजपा में शामिल हो गया। यहां से भाजपा ने शंकर लालवानी को मैदान में उतारा था। पटना में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रशांत किशोर इन्हीं घटनाओं का जिक्र कर रहे थे।
प्रशांत किशोर ने कहा- जन सुराज का संघर्ष जारीप्रशांत किशोर ने स्पष्ट किया कि इन हरकतों से जन सुराज के आंदोलन को रोका नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि इन बड़े नेताओं द्वारा की गई ये कार्रवाई दिखाती है कि बीजेपी को जन सुराज के बढ़ते प्रभाव से कितना डर है। पीके ने संकल्प लिया कि इन दबावों के बावजूद जन सुराज जनता के बीच अपनी आवाज उठाता रहेगा और भाजपा की इन 'लोकतंत्र विरोधी' नीतियों का पुरजोर विरोध करेगा।
दानापुर, ब्रह्मपुर और गोपालगंज को लेकर सीधा आरोपप्रशांत किशोर ने दावा किया कि दानापुर सीट से जन सुराज के उम्मीदवार अखिलेश कुमार उर्फ मुटुर साव के अगवा होने की खबर झूठी थी। उन्होंने बताया कि उन्हें किसी ने किडनैप नहीं किया, बल्कि अमित शाह और भाजपा के नेताओं ने मुटुर साव को धमकाकर नामांकन दाखिल करने से रोका। पीके ने इसकी पुष्टि के लिए मुटुर साव की गृह मंत्री के साथ मुलाकात की तस्वीर मीडिया को दिखाई। इसी तरह, बक्सर की ब्रह्मपुर सीट से प्रत्याशी डॉ. सत्यप्रकाश तिवारी पर भी केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और अन्य भाजपा नेताओं द्वारा दबाव बनाने का आरोप लगाया गया। पीके ने सत्यप्रकाश तिवारी के घर पर हुई मीटिंग की फोटो भी दिखाई, जिसके बाद उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया था। गोपालगंज सीट पर भी जन सुराज के प्रत्याशी डॉ. शशि शेखर सिन्हा पर स्थानीय भाजपा एमएलसी और नेताओं ने दबाव बनाकर नामांकन वापस करा दिया।
दानापुर विधानसभा क्षेत्र से जन सुराज के उम्मीदवार के साथ क्या हुआ? pic.twitter.com/TIyTMPTTOu
— Jan Suraaj (@jansuraajonline) October 21, 2025
बिहार में 'सूरत कांड' होना लोकतंत्र का अपमानप्रशांत किशोर ने इन घटनाओं को लोकसभा चुनाव के दौरान गुजरात के सूरत में हुए 'कांड' की पुनरावृत्ति बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के शीर्ष नेता खुलेआम लोकतंत्र का अपमान कर रहे हैं और विरोधियों को चुनाव लड़ने से रोक रहे हैं। पीके ने कहा कि धमकियों के चलते ही इन तीन घोषित उम्मीदवारों को घर बैठने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसके अलावा, उन्होंने वाल्मीकिनगर सीट से जन सुराज के प्रत्याशी दृग नारायण प्रसाद पर भी जदयू के स्थानीय नेताओं की ओर से दबाव बनाने का आरोप लगाया।
गुजरात का 'सूरत कांड' क्या था?दरअसल, 2024 लोकसभा चुनाव में गुजरात की सूरत सीट से बीजेपी के मुकेश दलाल चुनाव होने से पहले ही जीत गए। उनके खिलाफ कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभानी का पर्चा रद्द हो गया। बाकी निर्दलीय उम्मीदवारों ने अपने नाम वापस ले लिए, इसलिए उन्हें निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया गया। सूरत लोकसभा सीट के सात दशक के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ। फिर इसी तरह का मामला मध्य प्रदेश के इंदौर में दोहराई गई। यहां पर कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बाम ने आखिरी दिन नामांकन वापस लेकर भाजपा में शामिल हो गया। यहां से भाजपा ने शंकर लालवानी को मैदान में उतारा था। पटना में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रशांत किशोर इन्हीं घटनाओं का जिक्र कर रहे थे।
प्रशांत किशोर ने कहा- जन सुराज का संघर्ष जारीप्रशांत किशोर ने स्पष्ट किया कि इन हरकतों से जन सुराज के आंदोलन को रोका नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि इन बड़े नेताओं द्वारा की गई ये कार्रवाई दिखाती है कि बीजेपी को जन सुराज के बढ़ते प्रभाव से कितना डर है। पीके ने संकल्प लिया कि इन दबावों के बावजूद जन सुराज जनता के बीच अपनी आवाज उठाता रहेगा और भाजपा की इन 'लोकतंत्र विरोधी' नीतियों का पुरजोर विरोध करेगा।
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