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हम WhatsApp से भी बड़ा कारनामा कर सकते थे लेकिन... किस पर बरसे हॉटमेल के सबीर भाटिया

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नई दिल्ली: WhatsApp आज दुनिया का सबसे बड़ा मैसेजिंग ऐप है। भारत में ही इसके करीब 80 करोड़ यूजर्स हैं। लेकिन हॉटमेल के को-फाउंडर सबीर भाटिया का कहना है कि वह भारत में WhatsApp से भी बड़ी चीज बना सकते थे लेकिन अधिकारियों के रवैये के कारण उनके प्रोजेक्ट को बंद कर दिया गया। भाटिया ने एक पॉडकास्ट में भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि भारत की नौकरशाही और जोखिम से बचने वाली सोच की वजह से नए आइडिया दब जाते हैं। इससे दुनिया को बदलने वाले विचार आगे नहीं बढ़ पाते।भाटिया ने कहा, 'हम व्हाट्सएप से भी बड़ी चीज बना सकते थे।' उन्होंने बताया कि कैसे TRAI ने एक बार उनके एक प्रोजेक्ट को बंद कर दिया था, जो अच्छा चल रहा था। उन्होंने कहा, 'हम कोई नियम नहीं तोड़ रहे थे। लेकिन किसी सरकारी बाबू ने नियम को गलत तरीके से समझा और उसे बंद कर दिया गया। अगर ऐसा अमेरिका में होता, तो वह आइडिया बहुत आगे बढ़ जाता। भारत का इकोसिस्टम नए विचारों को नहीं, बल्कि लीक पर चलने वालों को बढ़ावा देता है।' इनोवेशन पर जोर नहींउन्होंने कहा कि उबर ने दुनिया के हर टैक्सी नियम को तोड़ा। क्या वह कंपनी भारत से आ सकती थी? बिल्कुल नहीं। भारत में ज्यादातर अफसर नियमों को लागू करने में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं, नए आइडिया को बढ़ावा देने में नहीं। भारत की समस्या गहरी है और यह संस्कृति से जुड़ी है। नए बिजनस मॉडल के लिए नई सोच चाहिए। लेकिन यहां, चीजों को बंद करने की सोच हावी रहती है। लोग यह नहीं पूछते कि अगर यह काम कर गया तो क्या होगा? इसके उलट वे कहते हैं कि यह नहीं चलेगा और चले जाते हैं।भाटिया ने कहा कि भारत में नए विचारों को बढ़ावा देना लगभग नामुमकिन है। उन्होंने कहा कि सिलिकॉन वैली में अगर किसी बच्चे के पास कोई आइडिया है, तो हर कोई उसे आगे बढ़ाने में मदद करता है। यहां 20 लोग कहेंगे कि यह मुमकिन नहीं है। और हम पैसे के पीछे भागते हैं, मकसद के पीछे नहीं। जब हमने हॉटमेल बनाया, तो हमें नहीं पता था कि इससे पैसे मिलेंगे या नहीं। हम सिर्फ एक समस्या का समाधान करना चाहते थे। सबको नौकरी चाहिएउन्होंने भारत की शिक्षा व्यवस्था की भी आलोचना की और उसे रद्दी बताया। भाटिया ने कहा, 'हर साल 65,000 बच्चे JEE की तैयारी के लिए कोटा जाते हैं। क्या वे उद्यमी बन रहे हैं या अपने दिमाग को मार रहे हैं? हमारे सबसे अच्छे IIT ग्रेजुएट भी JP Morgan में नौकरी करने चले जाते हैं। उनमें सोचने-समझने की क्षमता कहां है?'भाटिया यहीं नहीं रुके। उनका मानना है कि भारत में स्टार्टअप का तरीका बिजनस प्लान और जोखिम से बचने पर आधारित है जो असली इनोवेशन को खत्म कर देता है। उन्होंने कहा कि बिजनस प्लान लिखना अंत की शुरुआत है। यहां कोई भी दुनिया के लिए कुछ नहीं बनाना चाहता। सब को सिर्फ नौकरी चाहिए।
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