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असदुद्दीन ओवैसी का यूं ही नहीं हुआ हृदय परिवर्तन, राष्ट्रप्रेम के जरिए हिंदी बेल्ट में '50' पर निशाना

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पटना: पुलवामा से पहलगाम घटना तक आते-आते ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) पार्टी के सांसद असदुद्दीन ओवैसी का हृदय परिवर्तन हुआ या चुनावी नीति बदल गई है। मुस्लिम बहुल क्षेत्रों से चुनाव लड़ने के इच्छुक रहे ओवैसी ने अब अपने पांव हिंदी बेल्ट में फैलाने शुरू कर दिए हैं। उम्मीदवार भी गैर मुस्लिम से देने लगे हैं। आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर असदुद्दीन ओवैसी ने अब कम से कम 50 सीटों पर लड़ने का ऐलान भी कर दिया है। तो क्या यह नीतिगत बदलाव इन 50 विधानसभा सीटों पर लड़कर ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने और वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए किया गया है? आइए जानते हैं... पुलवामा और असदुद्दीन ओवैसीपुलवामा अटैक पर असदुद्दीन ओवैसी ने पीएम मोदी को सवालों के कठघरे में खड़ा करते पूछा था कि 'पुलवामा में इतनी भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री RDX जमा हो रहा था, तब मोदी क्या कर रहे थे? दिल्ली में बैठकर आपकी नाक के नीचे पुलवामा में 50 किलो आरडीएक्स चला गया, वो नहीं देखे आप। आंख बंद कर लिए थे, सो गए थे। बिरयानी खा लिए थे क्या? हो सकता है बड़े की बिरयानी खाकर डकार लेकर सो गए होंगे?' ओवैसी ने सवाल किया था कि आखिर पुलवामा में विस्फोटक लाए जाने की जानकारी कैसे नहीं मिली।ओवैसी ने आगे सवाल किया था कि 'रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि NTRO ने वहां देखा कि बम गिरने से पहले 300 सेलफोन के लाइट थे, बम गिरते ही 300 गायब। मैं मोदी और राजनाथ सिहं पूछना चाहता हूं कि अगर NTRO यहां बैठकर बालाकोट में सेलफोन को देख रहा है, तो हिंदुस्तान में बैठकर पुलवामा में 50 किलो आरडीएक्स चला गया वो नहीं देख सकते आप?' पहलगाम और ओवैसीअब इसे हृदय परिवर्तन कह लें या चुनावी रणनीति, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी पर हमलावर रहे ओवैसी ने पहलगाम अटैक के बाद न केवल पाकिस्तान की भर्त्सना की, बल्कि भारत सरकार और सैन्य बल के समर्थन में कसीदे भी गढ़े। उन्होंने कहा कि 'रक्षा सेनाओं की ओर से पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर किए गए लक्षित हमलों का स्वागत करता हूं। पाकिस्तान डीप स्टेट को ऐसी सख्त सीख दी जानी चाहिए कि फिर कभी दूसरा पहलगाम न हो। जय हिंद।' ओवैसी की राजनीति की जरूरत है यह बदलाव: अश्कवरिष्ट पत्रकार ओम प्रकाश अश्क कहते हैं कि पुलवामा से पहलगाम की घटना के बाद एआईएमआईएम नेता ओवैसी में आया बदलाव दिल से कितना है, यह तो वे जाने, पर राजनीतिक चश्मे से देखें तो यह वर्तमान राजनीति की जरूरत है। देश के अधिकांश मुस्लिम अभी पाकिस्तान विरोधी, सेना और सरकार के फेवर में हैं। इस राष्ट्र प्रेम की बह रही गंगा के साथ ओवैसी सबसे पहले खड़े होकर कुछ कदम आगे निकल गए हैं। ओवैसी यह भी समझ चुके हैं कि देश या बिहार की राजनीति में केवल मुस्लिम वोट की बदौलत बड़ी सफलता नहीं मिल सकती है। उन्होंने कहा कि दूसरी ओर ओवैसी की पार्टी पर भाजपा की B-टीम होने का भी आरोप लगता रहा है। ऐसे में यह खास समय अपनी बदली रणनीति के तहत खुद को इस आरोप के विरुद्ध भी खड़ा होना है। यही वजह भी कि इस बार शुरुआत में ही ओवैसी ने पाकिस्तान की भर्त्सना की और सेना और सरकार के प्रति जिंदाबाद का भाव रखा। वैसे भी ओवैसी 50 सीटों पर लड़ना चाहते हैं तो अपना चेहरा जो मुस्लिम हितों को साधते दिखता है, उसे बदलने के लिए पाकिस्तान मुर्दाबाद के स्वर जरूरी हैं ,ताकि उनकी पार्टी के हिन्दू उम्मीदवार को वोट मांगने में कोई परेशानी न हो।
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