सभी तस्वीरे-सांकेतिक हैं
खुलकर कह सकते हैं बात

टीनएजर एक ऐसा दौर होता है, जब बच्चा अपने भीतर ही भीतर कई तरह की भावनाएं महसूस करते हैं, लेकिन उन्हें शब्दों में बयां कर पाना उनके लिए आसान नहीं होता। ऐसे में अगर वे मां-पापा के पास सोते हैं, तो उन्हें एक सुरक्षित और सुकून भरा माहौल मिलता है। साथ ही यह नजदीकी उन्हें भावनात्मक रूप से सहारा देती है और वो बात भी कह पाने की हिम्मत देती है, जो वे दिन में अन्य फैमिली मेम्बर के सामने नहीं कह पाते हैं। इस तरह की बातचीत से माता-पिता और बच्चे के बीच ऐसा गहरा रिश्ता बना देता है, जो टीनएज की प्रॉब्लम्स को सॉल्व करने में उनकी हेल्प करती है।
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हर किसी के सही हो, यह जरूरी नहीं
पैरेंट्स को इस बात का भी समझना जरूरी है कि हर परिवार की परिस्थितियां और हर बच्चे की पसंद अलग होती है। टीनएजर के साथ सोना सभी के लिए उपयुक्त विकल्प नहीं हो सकता। कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं, जो इस उम्र में अपनी एक निजी जगह को अहमियत देते हैं। ऐसे में माता-पिता को उनकी भावनाओं और पसंद का सम्मान करना चाहिए।
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ठीक हो सकता है स्लीप पैटर्न

अक्सर टीनएजर बच्चे देर रात तक पढ़ाई करने, फोन पर चैट करने या घंटों सोशल मीडिया स्क्रॉल करने में लगे रहते हैं। इसका असर उनकी नींद पर पड़ता है और धीरे-धीरे उनका स्लीप साइकिल पूरी तरह बिगड़ जाता है। अब ऐसे में वे या तो पर्याप्त नींद नहीं ले पाते, या फिर देर से उठने की आदत डाल लेते हैं, जिससे दिनभर थकान, चिड़चिड़ापन और एकाग्रता की कमी महसूस होती है। अब ऐसे में अगर वे पैरेंट्स के साथ सोते हैं, तो धीरे-धीरे उनकी स्लीप साइकल सुधरती है और वे समय पर सोना और जागना शुरू कर देते हैं।
बॉन्डिंग होती हैं स्ट्रॉन्ग
बड़े हो रहे बच्चे के साथ सोने से माता-पिता और बच्चे के बीच जुड़ाव गहरा होता है, जिससे रिश्ते में भरोसा और समझदारी बढ़ती है। साथ ही दोनों के बीच की बॉन्डिंग और स्ट्रॉन्ग होती है।
खुद को सिक्योर करते हैं फील

बड़े हो रहे बच्चे को साथ सुलाने से वे खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं। दरअसल, किशोरावस्था अक्सर असुरक्षा और अनिश्चितताओं से भरी होती है। हजारों सवाल दिमाग में होते हैं। कभी-कभी बच्चे किसी चीज को लेकर स्ट्रेस में भी होते हैं। ऐसे में इस सिचुएशन में अगर आस-पास एक परिचित व्यक्ति (माता-पिता या भाई-बहन) का होना, जिस पर आप भरोसा कर सकें, रात के समय की उनकी चिंता को कम कर सकता है। साथ ही पैरेंट्स या फिर बड़े- भाई-बहनों की उपस्थिति डेवलपमेंट के इस महत्वपूर्ण फेज में आपके बच्चे को भावनात्मक रूप से सपोर्ट करने में मदद करती है।
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