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हम पंजाबी खत्री, भाई दूज नहीं मनाते, फिर भी आशीर्वाद... MLA नसीम सोलंकी से क्यों बोले सतीश महाना

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कानपुर: उत्तर प्रदेश के कानपुर के सीसामऊ से समाजवादी पार्टी विधायक नसीम सोलंकी के राजनीतिक कदम की सराहना हो रही है। नसीम सोलंकी ने बुधवार को अपने पति इरफान सोलंकी के साथ विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना से मिलने उनके आवास पहुंचीं। दिवाली के मौके पर नसीम ने सतीश महाना को शुभकामनाएं दीं। बातचीत के दौरान माहौल सौहार्दपूर्ण रहा। इस दौरान सतीश महाना को टीका लगाकर भाई दूज की बधाई दी। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि हम पंजाबी हैं। हमारे यहां भाई दूज का त्योहार नहीं मनाया जाता है।

कानपुर स्थित आवास पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना से मुलाकात के दौरान विधायक नसीम सोलंकी ने मुस्कुराते हुए कहा कि भइया, कल भाई दूज है, मैं आपका टीका करूंगी। इस पर सतीश महाना ने हंसते हुए जवाब दिया कि बहन, मैं पंजाबी खत्री हूं, हमारे यहां भाई दूज मनाई ही नहीं जाती, लेकिन मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ है। इसके बाद उन्होंने नसीम के सिर पर हाथ रखकर उन्हें आशीर्वाद दिया।

रक्षा के लिए मांगा आशीर्वादनसीम सोलंकी ने बताया कि वे अपने पति के साथ विधानसभा अध्यक्ष को दिवाली और भाई दूज की शुभकामनाएं देने गई थीं। उन्होंने कहा कि मैंने उनसे अपनी और अपने पति की रक्षा के लिए आशीर्वाद मांगा। उन्होंने स्नेहपूर्वक कहा कि मैं उनकी बेटी जैसी हूं और उनका आशीर्वाद हमेशा मेरे साथ रहेगा।

भाजपा सांसद से भी मुलाकातविधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात के बाद नसीम सोलंकी और उनके पति इरफान सोलंकी ने भाजपा सांसद रमेश अवस्थी से भी भेंट की और उन्हें दीपावली की शुभकामनाएं दीं। सांसद अवस्थी ने भी दोनों को बधाई देते हुए कहा कि सीसामऊ विधानसभा से तुम्हारी जीत आसान नहीं थी, लेकिन तुमने यह जीत बड़े संघर्ष के साथ हासिल की है।

पिछले साल हुआ था विवाददरअसल, नसीम सोलंकी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 2024 में की थी। उसी साल दिवाली के अवसर पर उन्होंने कानपुर के प्रसिद्ध वन खंडेश्वर मंदिर में जाकर भगवान शिव की पूजा की थी और दीए जलाए थे। इस घटना के बाद धार्मिक विवाद खड़ा हो गया था। मंदिर के पुजारियों ने मंदिर का 'शुद्धिकरण' कराया था। हरिद्वार से 1000 लीटर गंगाजल मंगवाकर पूरे परिसर की सफाई कराई गई थी।

वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने नसीम सोलंकी के खिलाफ फतवा जारी करते हुए कहा था कि उन्होंने शरीयत के खिलाफ कार्य किया है। उन्हें तौबा करनी चाहिए।

इस विवाद के बावजूद, नसीम सोलंकी ने विधानसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज की थी। हालांकि, कई लोगों ने उस समय उनके मंदिर जाने को चुनावी रणनीति बताया था। इस बार दिवाली पर नसीम सोलंकी मंदिर नहीं पहुंचीं, जिससे फिर से शहर में अलग-अलग तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
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