मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति के लिए बीते छह साल काफी अप्रत्याशित रहे हैं। अब एक बार फिर से महाराष्ट्र में सियासी पारा चढ़ गया है। इसकी वजह है बुधवार को महाराष्ट्र विधान परिषद में सीएम फडणवीस द्वारा उद्धव ठाकरे को दिया गया खुला ऑफर। विधान परिषद में नेता विपक्ष अंबादास दानवे की विदाई के मौके पर बाेलते हुए सीएम फडणवीस ने जो कुछ कहा उसकी अगल-अलग ढंग से व्याख्या शुरू हो गई है। महाराष्ट्र में ठाकरे ब्रदर्स के फिल्मी तरीके से एक मंच पर आने के बाद जहां मनसे और शिवसेना यूबीटी में गठबंधन की संभावनाओं पर चर्चा हो रही है। तो इस सब के बीच फडणवीस ने विधान परिषद में कहा कि उद्धव जी 2029 तक मेरी तो उस तरफ (विपक्ष की ओर) आने की कोई संभावना है नहीं। आप इधर आना चाहें, तो रास्ता निकाला जा सकता है। लेकिन उसके लिए कुछ अलग तरीके से सोचना पड़ेगा।
ऑफर पर बंटे राजनीतिक प्रेक्षक
महाराष्ट्र के कुछ राजनीतिक प्रेक्षक इसे सिर्फ एक मजाक मान रहे हैं तो वहीं कुछ कहना है कि फडणवीस ने अपने दिल की बात बड़े अच्छे ढंग से कह दी है। उद्धव ठाकरे को साथ आने का ऑफर देने का इससे अच्छा मौका नहीं हो सकता है। राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि फडणवीस महायुति 2.0 में एकनाथ शिंदे के साथ सहज नहीं है। शिवसेना विधायकों और मंत्रियों की हरकतों पर नाराजगी जता चुके हैं। एक राजनीतिक प्रेक्षक ने कहा कि आप सोचिए अगर दोनों ठाकरे भाई बीजेपी के साथ हों तो महाराष्ट्र में कांग्रेस कहां पर खड़ी होगी? बीजेपी ने दोनों को साथ लेकर एक मजबूत मोर्चा महाराष्ट्र में बना सकती है। राज ठाकरे 2024 के चुनावों में बीजेपी के साथ ही थे। ऐसे में फडणवीस के ऑफर को मजाक कहकर खारिज नहीं किया जा सकता है।
दानवे को अपना बता डाला
फडणवीस ने सिर्फ उद्धव ठाकरे को सत्तापक्ष में आने का ऑफर नहीं दिया बल्कि यह भी बता दिया कि विधान परिषद के नेता अंबादास दानवे भले ही अब उद्धव ठाकरे के विश्वासपात्र हैं लेकिन दानवे भी कभी बीजेपी के प्रतिबद्ध कार्यकर्ता हुआ करते थे। फडणवीस ने दानवे की खूब तारीफ की और उन्हें हिंदुत्व के साथ प्रखर सावरकरवादी बताया। फडणवीस ने कहा कि विधान परिषद की सीट बंटवारे में यह सीट शिवसेना को गई थी तो वह चले गए थे। एक राजनीतिक प्रेक्षक कहते हैं कि कोई कुछ भी कहे लेकिन विपक्ष में सबसे ज्यादा विधायक उद्धव ठाकरे के पास ही हैं। तीसरी बार सीएम बने फडणवीस को शायद पहले कार्यकाल की तुलना में कुछ अलग महसूस कर रहे होंगे तभी उन्होंने यह ऑफर दिया है।
फडणवीस के ऑफर पर बोले उद्धव
फडणवीस के ऑफर के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में जहां यह घटना हॉट टॉपिक बन गया है तो वहीं दूसरी तरफ विधान परिषद से निकलने पर उद्धव ठाकरे की प्रतिक्रिया भी सामने आई। ठाकरे ने जब मीडिया ने सीएम फडणवीस के ऑफर पर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि सदन में ये बातें हंसी-मजाक के रूप में कही गई थीं, उन्हें वैसे ही समझना चाहिए। राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है उद्धव ठाकरे के लिए महाराष्ट्र में दुश्मन नंबर 1 एकनाथ शिंदे हैं बीजेपी नहीं। ऐसे में कब क्या हो जाए? कोई कुछ नहीं कह सकता।
शिंदे के साथ नहीं बैठे उद्धव ठाकरे
फडणवीस के ऑफर पर जहां उद्धव ठाकरे का प्रतिक्रिया काफी सामान्य रही तो वहीं अंबादास दानवे के फेयरवेल के बाद जब फोटो सेशन हुआ तो उद्धव ठाकरे एकनाथ शिंदे के बगल में नहीं बैठे। जबकि शिंदे के बगल में बैठीं विधान परिषद की उपसभापति डॉ.नीलम गोरे ने पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बैठने के लिए अपनी सीट छोड़ दी थी। लेकिन उद्धव एकनाथ शिंदे के बगल में नहीं बैठे।तब उनके लिए नीलम गोरे के दाहिनी ओर की कुर्सी खाली कराई गई, और वह वहां बैठे।
ऑफर पर बंटे राजनीतिक प्रेक्षक
महाराष्ट्र के कुछ राजनीतिक प्रेक्षक इसे सिर्फ एक मजाक मान रहे हैं तो वहीं कुछ कहना है कि फडणवीस ने अपने दिल की बात बड़े अच्छे ढंग से कह दी है। उद्धव ठाकरे को साथ आने का ऑफर देने का इससे अच्छा मौका नहीं हो सकता है। राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि फडणवीस महायुति 2.0 में एकनाथ शिंदे के साथ सहज नहीं है। शिवसेना विधायकों और मंत्रियों की हरकतों पर नाराजगी जता चुके हैं। एक राजनीतिक प्रेक्षक ने कहा कि आप सोचिए अगर दोनों ठाकरे भाई बीजेपी के साथ हों तो महाराष्ट्र में कांग्रेस कहां पर खड़ी होगी? बीजेपी ने दोनों को साथ लेकर एक मजबूत मोर्चा महाराष्ट्र में बना सकती है। राज ठाकरे 2024 के चुनावों में बीजेपी के साथ ही थे। ऐसे में फडणवीस के ऑफर को मजाक कहकर खारिज नहीं किया जा सकता है।
दानवे को अपना बता डाला
फडणवीस ने सिर्फ उद्धव ठाकरे को सत्तापक्ष में आने का ऑफर नहीं दिया बल्कि यह भी बता दिया कि विधान परिषद के नेता अंबादास दानवे भले ही अब उद्धव ठाकरे के विश्वासपात्र हैं लेकिन दानवे भी कभी बीजेपी के प्रतिबद्ध कार्यकर्ता हुआ करते थे। फडणवीस ने दानवे की खूब तारीफ की और उन्हें हिंदुत्व के साथ प्रखर सावरकरवादी बताया। फडणवीस ने कहा कि विधान परिषद की सीट बंटवारे में यह सीट शिवसेना को गई थी तो वह चले गए थे। एक राजनीतिक प्रेक्षक कहते हैं कि कोई कुछ भी कहे लेकिन विपक्ष में सबसे ज्यादा विधायक उद्धव ठाकरे के पास ही हैं। तीसरी बार सीएम बने फडणवीस को शायद पहले कार्यकाल की तुलना में कुछ अलग महसूस कर रहे होंगे तभी उन्होंने यह ऑफर दिया है।
फडणवीस के ऑफर पर बोले उद्धव
फडणवीस के ऑफर के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में जहां यह घटना हॉट टॉपिक बन गया है तो वहीं दूसरी तरफ विधान परिषद से निकलने पर उद्धव ठाकरे की प्रतिक्रिया भी सामने आई। ठाकरे ने जब मीडिया ने सीएम फडणवीस के ऑफर पर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि सदन में ये बातें हंसी-मजाक के रूप में कही गई थीं, उन्हें वैसे ही समझना चाहिए। राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है उद्धव ठाकरे के लिए महाराष्ट्र में दुश्मन नंबर 1 एकनाथ शिंदे हैं बीजेपी नहीं। ऐसे में कब क्या हो जाए? कोई कुछ नहीं कह सकता।
शिंदे के साथ नहीं बैठे उद्धव ठाकरे
फडणवीस के ऑफर पर जहां उद्धव ठाकरे का प्रतिक्रिया काफी सामान्य रही तो वहीं अंबादास दानवे के फेयरवेल के बाद जब फोटो सेशन हुआ तो उद्धव ठाकरे एकनाथ शिंदे के बगल में नहीं बैठे। जबकि शिंदे के बगल में बैठीं विधान परिषद की उपसभापति डॉ.नीलम गोरे ने पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बैठने के लिए अपनी सीट छोड़ दी थी। लेकिन उद्धव एकनाथ शिंदे के बगल में नहीं बैठे।तब उनके लिए नीलम गोरे के दाहिनी ओर की कुर्सी खाली कराई गई, और वह वहां बैठे।
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