छतरपुरः मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में आदिवसी युवकों से मारपीट का शर्मनाक मामला सामने आया। जिले में पुलिस की बर्बरता को लेकर चर्चा है। आरोप है कि पुलिस ने कुछ आदिवासी युवकों को चोरी की शक में गिरफ्तार किया। फिर उसके बाद उन्हें थर्ड डिग्री टॉर्चर दिया। इतना ही नहीं आदिवासियों का यह भी आरोप है कि थाने के अंदर पुलिसकर्मियों ने उनके गुप्तांगों में पानी के साथ लाल मिर्च मिलाकर डाल दी।
जानकारी के अनुसार नौगांव थाना प्रभारी सतीश सिंह ने चोरी के शक कुछ आदिवासियों को धर्मपुर गांव से गिरफ्तार किया था। पुलिस ने मीरा आदिवासी नाम के युवक को छोड़ दिया। उसके बाद प्रताप, श्रीराम, रितु और बालंदी आदिवासी को एक बार फिर नौगांव थाना बुलाया। उसके बाद थाने के अंदर ही उन्हें थर्ड डिग्री टॉर्चर देना शुरू कर दिया।
युवकों से बेरहमी से मारपीट
युवकों के साथ गंभीर रूप से मारपीट की गई। नग्न करके उन्हें बेल्टों और डंडों से पीटा गया। मारपीट के निशान उनके शरीर पर मौजूद हैं। पीड़ित युवक प्रताप आदिवासी ने बताया कि पुलिस ने थाने के अंदर पहले तो उसे कपड़े उतरवाए और उसके बाद उसे पूरी तरह नग्न कर दिया। पूरे शरीर में बेल्टों और डंडे से मारपीट की। और उसके बाद पानी में लाल मिर्च मिलाकर गुप्तांगो में डाल दी।
पुलिस का नाम सुनते ही नहीं मिला इलाज
मारपीट करने के बाद चारों युवकों को थानेदार ने छोड़ दिया। चारों युवकों के शरीर पर गंभीर चोटों के निशान थे। युवक इलाज के लिए अस्पताल पहुंचे। लेकिन पुलिस की बात सामने आते ही किसी ने भी उनका इलाज नहीं किया।
न्याय के लिए सड़कों पर आई भीम आर्मी
19 जुलाई को आदिवासियों के साथ भीम आर्मी ने एसपी ऑफिस पहुंचकर धरना शुरू कर दिया। धरने के दौरान जिन युवकों के साथ पुलिस ने मारपीट की थी वह अर्ध नग्न अवस्था में एसपी ऑफिस पहुंचे। आदिवासी समाज के कई पुरुष और महिलाएं, बच्चे भीम आर्मी के सहयोग से एसपी ऑफिस के सामने बैठकर धरना प्रदर्शन किया। इस बीच आदिवासियों ने जमकर पुलिस के खिलाफ नारे भी लगाए।
डीआईजी ने सुनी पीड़ा
जिस वक्त आदिवासी एसपी ऑफिस के सामने बैठकर धरना और नारेबाजी कर रहे थे। इस वक्त छतरपुर रेंज डीआईजी ललित शाक्यवार गुजरे और भीड़ देखकर रुक गए। उसके बाद उन्होंने धरने पर बैठे भीम आर्मी के पदाधिकारी और कुछ आदिवासियों से बात की। साथ ही दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया।
कार्रवाई का दिलाया भरोसा
मामले में छतरपुर रेंज डीआईजी ललित शक्यवार का कहना है कि धरने पर बैठे आदिवासियों से बात कर ली गई है। उनकी मांग है कि जिन लोगों ने उनके साथ मारपीट की है उन पर कार्रवाई की जाए। पुलिस इस मामले में जल्द से जल्द एमएलसी कराएगी। जिन पुलिसकर्मियों ने उनके साथ मारपीट की है उन पर सख्त से सख़्त कार्रवाई की जायेगी।
पुलिस पर सवालिया निशान
थाने के अंदर आदिवासी युवकों के साथ हुई बर्बरता ने पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली और मानवाधिकारों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। भले ही संविधान में सभी नागरिकों को सम्मान और न्याय की बात कही हो लेकिन ऐसी घटनाएं पुलिस की जवाबदेही पर सवालिया निशान लगाती है।
जानकारी के अनुसार नौगांव थाना प्रभारी सतीश सिंह ने चोरी के शक कुछ आदिवासियों को धर्मपुर गांव से गिरफ्तार किया था। पुलिस ने मीरा आदिवासी नाम के युवक को छोड़ दिया। उसके बाद प्रताप, श्रीराम, रितु और बालंदी आदिवासी को एक बार फिर नौगांव थाना बुलाया। उसके बाद थाने के अंदर ही उन्हें थर्ड डिग्री टॉर्चर देना शुरू कर दिया।
युवकों से बेरहमी से मारपीट
युवकों के साथ गंभीर रूप से मारपीट की गई। नग्न करके उन्हें बेल्टों और डंडों से पीटा गया। मारपीट के निशान उनके शरीर पर मौजूद हैं। पीड़ित युवक प्रताप आदिवासी ने बताया कि पुलिस ने थाने के अंदर पहले तो उसे कपड़े उतरवाए और उसके बाद उसे पूरी तरह नग्न कर दिया। पूरे शरीर में बेल्टों और डंडे से मारपीट की। और उसके बाद पानी में लाल मिर्च मिलाकर गुप्तांगो में डाल दी।
पुलिस का नाम सुनते ही नहीं मिला इलाज
मारपीट करने के बाद चारों युवकों को थानेदार ने छोड़ दिया। चारों युवकों के शरीर पर गंभीर चोटों के निशान थे। युवक इलाज के लिए अस्पताल पहुंचे। लेकिन पुलिस की बात सामने आते ही किसी ने भी उनका इलाज नहीं किया।
न्याय के लिए सड़कों पर आई भीम आर्मी
19 जुलाई को आदिवासियों के साथ भीम आर्मी ने एसपी ऑफिस पहुंचकर धरना शुरू कर दिया। धरने के दौरान जिन युवकों के साथ पुलिस ने मारपीट की थी वह अर्ध नग्न अवस्था में एसपी ऑफिस पहुंचे। आदिवासी समाज के कई पुरुष और महिलाएं, बच्चे भीम आर्मी के सहयोग से एसपी ऑफिस के सामने बैठकर धरना प्रदर्शन किया। इस बीच आदिवासियों ने जमकर पुलिस के खिलाफ नारे भी लगाए।
डीआईजी ने सुनी पीड़ा
जिस वक्त आदिवासी एसपी ऑफिस के सामने बैठकर धरना और नारेबाजी कर रहे थे। इस वक्त छतरपुर रेंज डीआईजी ललित शाक्यवार गुजरे और भीड़ देखकर रुक गए। उसके बाद उन्होंने धरने पर बैठे भीम आर्मी के पदाधिकारी और कुछ आदिवासियों से बात की। साथ ही दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया।
कार्रवाई का दिलाया भरोसा
मामले में छतरपुर रेंज डीआईजी ललित शक्यवार का कहना है कि धरने पर बैठे आदिवासियों से बात कर ली गई है। उनकी मांग है कि जिन लोगों ने उनके साथ मारपीट की है उन पर कार्रवाई की जाए। पुलिस इस मामले में जल्द से जल्द एमएलसी कराएगी। जिन पुलिसकर्मियों ने उनके साथ मारपीट की है उन पर सख्त से सख़्त कार्रवाई की जायेगी।
पुलिस पर सवालिया निशान
थाने के अंदर आदिवासी युवकों के साथ हुई बर्बरता ने पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली और मानवाधिकारों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। भले ही संविधान में सभी नागरिकों को सम्मान और न्याय की बात कही हो लेकिन ऐसी घटनाएं पुलिस की जवाबदेही पर सवालिया निशान लगाती है।
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