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अमेरिका, ईरान, सऊदी अरब, यूएई... भारत-पाकिस्तान संघर्षविराम में किन देशों ने निभाई भूमिका

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इस्लामाबाद: भारत और पाकिस्तान में संघर्षविराम हो गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस समझौते की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मुझे भारत और पाकिस्तान में संघर्षविराम का ऐलान करते हुए खुशी हो रही है। इसके बाद अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी बताया कि उन्होंने इस समझौते के लिए कैसे दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व से संपर्क किया, जिसके बाद सहमति बन सकी। हालांकि, इस समझौते के पीछे सिर्फ अमेरिका ही नहीं, बल्कि कई देशों की भूमिका मानी जा रही है। इसमें बड़ी संख्या में मुस्लिम मुल्क भी शामिल हैं, जिनके भारत के साथ मजबूत संबंध हैं। अमेरिका ने निभाई बड़ी भूमिकाभारत-पाकिस्तान संघर्षविराम में सबसे बड़ूी भूमिका अमेरिका की रही। अमेरिका ने ही पाकिस्तान पर दबाव बनाकर भारत की शर्तों पर संघर्षविराम को लागू कराया है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने बताया, पिछले 48 घंटों में, उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और मैंने वरिष्ठ भारतीय और पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ बातचीत की है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शहबाज शरीफ, विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर, सेनाध्यक्ष असीम मुनीर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और असीम मलिक शामिल हैं। मुझे यह घोषणा करते हुए प्रसन्नता हो रही है कि भारत और पाकिस्तान की सरकारें तत्काल युद्धविराम पर सहमत हो गई हैं तथा तटस्थ स्थल पर व्यापक मुद्दों पर वार्ता शुरू करने पर सहमत हो गई हैं। हम शांति का मार्ग चुनने में प्रधानमंत्री मोदी और शरीफ की बुद्धिमत्ता, विवेक और कूटनीति की सराहना करते हैं।" भारत-पाकिस्तान संघर्ष में तुरंत एक्टिव हुआ था ईरानभारत पाकिस्तान संघर्ष के शुरू होते ही सबसे पहले ईरान ने शांति की पहल की थी। ईरान के विदेश मंत्री सईद अब्बास अराघची ने संघर्ष की शुरुआत में पहले पाकिस्तान का दौरा किया था। इसके बाद वह भारत-ईरान मैत्री संधि की 75वीं वर्षगांठ पर द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा बैठक के लिए भारत आए थे। इस दौरान उन्होंने न सिर्फ भारत और पाकिस्तान में शांति की पहल की, बल्कि मध्यस्थता की पेशकश भी की। हालांकि, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस मुलाकात में ईरान से दो टूक कहा कि भारत हालात को बिगाड़ना नहीं चाहता लेकिन अगर हम पर किसी तरह को कोई हमला होता है तो पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देगा। सऊदी अरब ने विदेश राज्य मंत्री को भारत भेजा8 अप्रैल को सऊदी अरब ने विदेश राज्य मंत्री अदेल अल-जुबैर को अचानक भारत भेजा। उन्होंने नई दिल्ली में विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की और उसके बाद पाकिस्तान रवाना हो गए। इस अप्रत्याशित दौरे को दोनों देशों में संघर्षविराम के लिए एक माहौल तैयार करने के कदम के रूप में देखा गया। सऊदी अरब ने बयान जारी कर दोनों देशों में शांति की अपील की थी। सऊदी अरब के संबंध भारत के साथ काफी मजबूत हैं। वहीं, वह पाकिस्तान के सबसे बड़े कर्जदाताओं में से एक है। यूएई और कतर ने भी की थी शांति की अपीलइन देशों के अलावा यूएई और कतर ने भी शांति की अपील की थी। यूएई के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद अल नहयान ने दोनों देशों से शांति,संयम और समझदारी बरतने की अपील की थी। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को ऐसे किसी भी कदम से बचना चाहिए जो तनाव को और भड़काए। उन्होंने यह भी कहा कि राजनयिक संवाद और शांतिपूर्ण समाधान ही एकमात्र सही रास्ता है। यूएई ने आश्वासन दिया था कि वह अपनी निष्पक्ष विदेश नीति के तहत इस संकट के मानवीय प्रभावों को कम करने में भी मदद करता रहेगा। कतर ने भी बयान जारी कर शांति की अपील की थी।
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