गुरुग्राम: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों के हमले में नेवी अफसर विनय नरवाल की जान चली गई। शादी के आठ दिन बाद ही उनकी नई नवेली दुल्हन हिमांशी का सुहाग उजड़ गया। दोनों हनीमून के लिए कश्मीर गए थे। इस हमले ने 26 साल पुरानी आतंकी घटना की यादें ताजा कर दीं, जब IC-814 हाइजैक के दौरान आतंकियों ने गुड़गांव के रुपिन कटियाल की हत्या कर दी थी। रुपिन भी अपनी शादी के 21वें दिन मारे गए थे। वह अपनी पत्नी रचना के साथ हनीमून के लिए जा रहे थे। 1999 के प्लेन हाईजैक में मारे गए थे रुपिन कटियालपहलगाम आतंकी हमले के बाद जब विनय नरवाल और हिमांशी की दुखभरी दास्तान सामने आई, IC-814 हाइजैक की पीड़िता रचना के जख्म हरे हो गए। रचना ने 1999 में आईसी-814 प्लेन के हाइजैक होने के बाद अपने पति रूपिन कटियाल को खो दिया था। रचना अब एयर इंडिया के साथ काम करती हैं। संयोग ऐसा है कि हिमांशी और रचना दोनों हरियाणा के गुड़गांव के रहने वाले हैं। 1999 में रचना अपने पति के साथ हनीमून के लिए नेपाल गई थी। वह 22 दिसंबर को लौटने वाले थे, मगर अपने टूर को उन्होंने दो दिनों के लिए बढ़ा दिया था। 24 दिसंबर 1999 को जब वह लौटने लगे तो उनका प्लेन पाकिस्तानी आतंकियों ने हाइजैक कर लिया था। पहलगाम हमले में मारे गए लेफ्टिनेंट विनय नरवाल भी हनीमून के लिए यूरोप जाने वाले थे। वीजा अप्रूव नहीं होने के कारण वह कश्मीर चले गए, जहां उनकी हत्या हो गई। 'ऐसा लगा कि मेरा अतीत फिर सामने आ गया'विनय नरवाल की हत्या पर रचना ने कहा कि ऐसा लग रहा है जैसे मेरा अतीत फिर से सामने आ रहा है। उन्हें 26 साल पहले हुई हर बात याद आ जाती है। रचना ने कहा कि कुछ चीजें आपके हाथ में नहीं होती हैं। दो दशक से अधिक समय बीत जाने के बाद भी रूपिन की यादें गुरुग्राम में जीवित हैं। दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे के पास इफको चौक के पास एक सड़क का नाम उनके नाम पर रखा गया है। उनका परिवार का सदर बाजार में एक दुकान और सेक्टर 14 में एक घर है। रूपिन के पिता चंदर मोहन कटियाल का कोविड के दौरान निधन हो गया था। पति मारा गया और रचना बंधन बनी रही थी रचना ने बताया कि 1999 में इंडियन एयरलाइंस IC-814 प्लेन को हाइजैक करने के बाद 170 से अधिक लोगों को आठ दिनों तक बंधक बनाकर रखा गया था। आतंकियों ने क्रिसमस के दिन 27 साल के रूपिन पर कई बार चाकू से वार किए थे। जब प्लेन दुबई में उतरा तो उनके शव को नीचे उतार दिया। हाइजैक में एकमात्र मौत रूपिन की हुई थी। उनके पेट में एक, छाती पर चार, गर्दन पर दो और चेहरे पर छह बार चाकू मारा गया था। जब रूपिन के शव का गुरुग्राम में अंतिम संस्कार किया गया था, रचना प्लेन में बंधक थीं। वह उस समय सिर्फ 21 साल की थीं। उन्हें अपने पति की मौत के बारे में तब पता चला जब वे कैद से रिहा हो गईं।
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