बीजिंग: अमेरिका और चीन में हिंद महासागर में रस्साकशी देखी जा रही है। चीन ने हालिया वर्षों में तेजी से इंडियन ओशन रीजन यानी हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी गतिविधियां बढ़ाई। इससे एक तरफ भारत की अपने पड़ोस को लेकर चिंता बढ़ी है तो वहीं अमेरिका भी फिक्रमंद है। हिंद महासागर में प्रभाव के लिए चीन और अमेरिका में जोर आजमाईश जगजाहिर है। इन दोनों देशों के बीच दुनिया में खनिज संपदा पर कब्जे की भी प्रतिस्पर्धा है। इस सबके बीच एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है, जिससे पता चलता है कि अमेरिका की ओर से चीन को हिंद महासागर में माइनिंग में मदद मिल रही है।
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी वैज्ञानिकों ने अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा को धन्यवाद दिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि नासा से चीन को हिंद महासागर के बारे में बेहद खास डाटा मिला है। चीनी समुद्र विज्ञानी इस डेटा का उपयोग करके हिंद महासागर में खनिजों की अपनी खोज में तेजी लाए हैं। चीनी वैज्ञानिकों को नासा के डाटा ने हिंग महासागर में डीप सी माइनिंग यानी समुद्र तल में 200 मीटर से ज्यादा गहराई में खनिजों और धातुओं को खोजने में मदद मिली है। इससे सवाल उठा है कि आखिर भारत के पड़ोस में दो 'दुश्मनों' के मेल मिलाप के पीछे की वजह क्या है।
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी वैज्ञानिकों ने अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा को धन्यवाद दिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि नासा से चीन को हिंद महासागर के बारे में बेहद खास डाटा मिला है। चीनी समुद्र विज्ञानी इस डेटा का उपयोग करके हिंद महासागर में खनिजों की अपनी खोज में तेजी लाए हैं। चीनी वैज्ञानिकों को नासा के डाटा ने हिंग महासागर में डीप सी माइनिंग यानी समुद्र तल में 200 मीटर से ज्यादा गहराई में खनिजों और धातुओं को खोजने में मदद मिली है। इससे सवाल उठा है कि आखिर भारत के पड़ोस में दो 'दुश्मनों' के मेल मिलाप के पीछे की वजह क्या है।
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