जबलपुर: मप्र हाईकोर्ट ने डॉक्टर पति को करंट लाकर हत्या करने के आरोप में प्रोफेसर पत्नी को मिली आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है। केमेस्ट्री की प्रोफेसर होने के कारण महिला ने हाईकोर्ट में स्वयं पक्ष रखते हुए पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इलेक्ट्रिक और थर्मल मार्क के संबंध में दलील दी थी। जिसका वीडियो सोशल मीडिया में जमकर वायरल हुआ था।
हाईकोर्ट ने सजा बरकरार रखा
जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस देवनारायण मिश्रा की युगलपीठ ने 97 पेज की विस्तृत आदेश में तीन मुख्य बिंदुओं का उल्लेख करते हुए सजा को बरकरार रखने के आदेश जारी किए हैं। युगलपीठ ने परिस्थितिजन्य साक्ष्यों की पूरी श्रृंखला आपस में जुडे के कारण जिला न्यायालय के आदेश को उचित करार दिया है। युगलपीठ ने सुनवाई के बाद 29 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रखने के आदेश जारी किए थे।
यह है मामला
गौरतलब है कि छतरपुर जिला अस्पताल में पदस्थ 65 वर्षीय डॉ. नीरज पाठक की मौत 29 अप्रैल 2021 को उनके लोकनाथपुरम कॉलोनी स्थित घर में हुई थी। उनके शरीर पर पांच स्थानों पर इलेक्ट्रिक बर्न के निशान पाए गए थे। घटना के समय उनकी पत्नी ममता पाठक भी वहीं थीं, जो 10 माह पूर्व ही उनके साथ रहने आई थीं। रिश्तों में तनाव था और पत्नी अक्सर किसी महिला से पति के संबंधों को लेकर विवाद करती थी।
रिश्तेदार को बताया था कि पत्नी प्रताड़ित कर रही
घटना के दिन दोपहर 12 बजे से पहले डॉक्टर नीरज ने अपने एक रिश्तेदार को कॉल कर बताया था कि पत्नी उन्हें प्रताड़ित कर रही है, खाना नहीं दे रही और बाथरूम में बंद कर रखा है। सिर पर चोट लगने की बात भी कही थी। इसके बाद रिश्तेदार ने पुलिस से संपर्क किया और डॉक्टर को बाथरूम से बाहर निकाला गया। रिश्तेदार ने इस बातचीत की रिकॉर्डिंग पुलिस को दी थी और कोर्ट में भी बयान दर्ज कराए थे। रात करीब 9 बजे डॉक्टर की मृत्यु हो गई।
रात में नहीं चल रही थी धड़कन
महिला ने अपने बयान में बताया था कि रात में पल्स चेक की तो कोई धड़कन चल रही थी। इसके बाद वह अगले दिन ड्राइवर के साथ डॉक्टर को डायलिसिस के लिए झांसी ले गईं, लेकिन कोविड प्रमाणपत्र नहीं होने के कारण डायलिसिस नहीं हो सका और वे रात 9 बजे लौट आए। एक मई को उन्होंने पुलिस को पति की मौत की सूचना दी। घटनास्थल से नींद की गोलियां भी बरामद हुईं। छतरपुर न्यायालय ने परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर ममता पाठक को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। उन्होंने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इलेक्ट्रिक व थर्मल बर्न मार्क
केमिस्ट्री की प्रोफेसर ममता पाठक में हाईकोर्ट में स्वयं पक्ष रखते हुए दलील दी थी कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत्यु का कारण इलेक्ट्रिक शॉक बताया गया है। मृतक के शरीर पर मिले जलने के निशान इलेक्ट्रिक और थर्मल दोनों प्रकार के थे, लेकिन इनकी तकनीकी जांच नहीं करवाई गई थी। इसके अलावा उनकी तरफ से तर्क दिया गया था कि घर में एमसीबी और आरसीसीबी जैसी सुरक्षा तकनीकें लगी थीं, जिससे शॉर्ट सर्किट या करंट से मौत होना संभव नहीं था। इसके बावजूद न तो एफएसएल टीम और न ही कोई विद्युत विशेषज्ञ घर की जांच के लिए भेजा गया। प्रारंभिक सुनवाई के दौरान उन्होंने स्वयं बहस की, बाद में अधिवक्ताओं ने उनका पक्ष रखा।
युगलपीठ ने पूर्व में सजा पर दिया गया अस्थायी निलंबन निरस्त करते हुए, आरोपी ममता पाठक को शेष कारावास भुगतने के लिए तत्काल ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करने के निर्देश दिए हैं।
हाईकोर्ट ने सजा बरकरार रखा
जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस देवनारायण मिश्रा की युगलपीठ ने 97 पेज की विस्तृत आदेश में तीन मुख्य बिंदुओं का उल्लेख करते हुए सजा को बरकरार रखने के आदेश जारी किए हैं। युगलपीठ ने परिस्थितिजन्य साक्ष्यों की पूरी श्रृंखला आपस में जुडे के कारण जिला न्यायालय के आदेश को उचित करार दिया है। युगलपीठ ने सुनवाई के बाद 29 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रखने के आदेश जारी किए थे।
यह है मामला
गौरतलब है कि छतरपुर जिला अस्पताल में पदस्थ 65 वर्षीय डॉ. नीरज पाठक की मौत 29 अप्रैल 2021 को उनके लोकनाथपुरम कॉलोनी स्थित घर में हुई थी। उनके शरीर पर पांच स्थानों पर इलेक्ट्रिक बर्न के निशान पाए गए थे। घटना के समय उनकी पत्नी ममता पाठक भी वहीं थीं, जो 10 माह पूर्व ही उनके साथ रहने आई थीं। रिश्तों में तनाव था और पत्नी अक्सर किसी महिला से पति के संबंधों को लेकर विवाद करती थी।
रिश्तेदार को बताया था कि पत्नी प्रताड़ित कर रही
घटना के दिन दोपहर 12 बजे से पहले डॉक्टर नीरज ने अपने एक रिश्तेदार को कॉल कर बताया था कि पत्नी उन्हें प्रताड़ित कर रही है, खाना नहीं दे रही और बाथरूम में बंद कर रखा है। सिर पर चोट लगने की बात भी कही थी। इसके बाद रिश्तेदार ने पुलिस से संपर्क किया और डॉक्टर को बाथरूम से बाहर निकाला गया। रिश्तेदार ने इस बातचीत की रिकॉर्डिंग पुलिस को दी थी और कोर्ट में भी बयान दर्ज कराए थे। रात करीब 9 बजे डॉक्टर की मृत्यु हो गई।
रात में नहीं चल रही थी धड़कन
महिला ने अपने बयान में बताया था कि रात में पल्स चेक की तो कोई धड़कन चल रही थी। इसके बाद वह अगले दिन ड्राइवर के साथ डॉक्टर को डायलिसिस के लिए झांसी ले गईं, लेकिन कोविड प्रमाणपत्र नहीं होने के कारण डायलिसिस नहीं हो सका और वे रात 9 बजे लौट आए। एक मई को उन्होंने पुलिस को पति की मौत की सूचना दी। घटनास्थल से नींद की गोलियां भी बरामद हुईं। छतरपुर न्यायालय ने परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर ममता पाठक को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। उन्होंने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इलेक्ट्रिक व थर्मल बर्न मार्क
केमिस्ट्री की प्रोफेसर ममता पाठक में हाईकोर्ट में स्वयं पक्ष रखते हुए दलील दी थी कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत्यु का कारण इलेक्ट्रिक शॉक बताया गया है। मृतक के शरीर पर मिले जलने के निशान इलेक्ट्रिक और थर्मल दोनों प्रकार के थे, लेकिन इनकी तकनीकी जांच नहीं करवाई गई थी। इसके अलावा उनकी तरफ से तर्क दिया गया था कि घर में एमसीबी और आरसीसीबी जैसी सुरक्षा तकनीकें लगी थीं, जिससे शॉर्ट सर्किट या करंट से मौत होना संभव नहीं था। इसके बावजूद न तो एफएसएल टीम और न ही कोई विद्युत विशेषज्ञ घर की जांच के लिए भेजा गया। प्रारंभिक सुनवाई के दौरान उन्होंने स्वयं बहस की, बाद में अधिवक्ताओं ने उनका पक्ष रखा।
युगलपीठ ने पूर्व में सजा पर दिया गया अस्थायी निलंबन निरस्त करते हुए, आरोपी ममता पाठक को शेष कारावास भुगतने के लिए तत्काल ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करने के निर्देश दिए हैं।
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