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आपको कोई नहीं बताएगा...वेदांता के चेयरमैन ने किया युवा स्टार्टअप संस्थापकों को आगाह

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नई दिल्‍ली: माइनिंग क्षेत्र की दिग्गज कंपनी वेदांता के संस्थापक और एक्‍जीक्‍यूटिव चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने सोशल मीडिया पर युवा स्टार्टअप संस्थापकों के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें शेयर की हैं। उन्होंने आगाह किया कि कारोबार को सफल बनाने का रास्‍ता कठिन होता है। अनिल अग्रवाल ने सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म 'एक्स' एक पोस्ट में इस बात पर जोर दिया कि शुरुआती वर्षों में स्टार्टअप संस्थापकों के लिए जीवन अकेला हो सकता है। दबाव जैसा महसूस हो सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि संस्थापक की ओर से लिया गया हर निर्णय कंपनी के विकास के लिए एक कदम आगे या पीछे ले जाने वाला हो सकता है। अग्रवाल ने युवा संस्थापकों को अपने काम में आगे बढ़ते रहने का सुझाव दिया। अपने जीवन के संघर्ष के दौर से अकेलेपन को याद करते हुए कहा कि उनके पास एक भावनात्मक सहारा था। उनकी 'मां की शॉल। यह हमेशा उन्हें उनके 'ठंडे लंदन फ्लैट' से भी घर की याद दिलाती थी।



अनिल अग्रवाल ने 'एक्स' पर अपनी पोस्ट में कहा, 'प्रिय युवा संस्थापकों, यहां कुछ ऐसा है जिसके बारे में आपको कोई आगाह नहीं करता... आपकी ओर से चुना गया सफर? यह अकेला कर देता है। शुरुआती साल प्रेशर कुकर में रहने जैसा महसूस होता है।'







खनन क्षेत्र की दिग्गज कंपनी के अध्यक्ष ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि एक संस्थापक का लिया गया हर निर्णय कंपनी के विकास के लिए एक कदम आगे या पीछे करने वाला हो सकता है।



शून्य में चिल्लाने जैसा लगता है

अनिल अग्रवाल ने अपनी पोस्ट में कहा, 'हर दिन, आप ऐसे निर्णय लेते हैं जो आपके सपने को आगे बढ़ा सकते हैं या उसे एक कदम पीछे ले जा सकते हैं। यह शून्य में चिल्लाने जैसा लगता है - जैसे अंधेरे में निर्माण करना...'



अग्रवाल ने यह भी कहा कि लोग संस्थापकों को नहीं समझ पाएंगे। इसलिए नहीं कि वे परवाह नहीं करते, बल्कि इसलिए कि उन्होंने कभी 'किसी अदृश्य चीज पर विश्वास नहीं किया।'



अग्रवाल ने कहा, 'कहने को साथ अपने एक दुनिया चलती है, लेकिन सच यह है कि आपके आसपास के ज्‍यादा लोग उसे समझ नहीं पाएंगे।'



माउंट एवरेस्‍ट की चढ़ाई का द‍िया उदाहरण

अनिल अग्रवाल ने एक उदाहरण भी साझा किया, जिसमें उन्‍होंने कहा कि माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई पर भीड़ नहीं होती। पर्वतारोही जितना ऊंचे चढ़ता जाता है, अंत में उतने ही कम लोग बचते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि पर्वतारोही खो गया है, इसका सिर्फ इतना मतलब है कि वे 'एक दुर्लभ रास्ते' पर हैं।



अग्रवाल ने अपने जीवन के संघर्ष के दौर से अकेलेपन को याद करते हुए यह भी कहा कि उनके पास एक भावनात्मक सहारा था जैसे कि उनकी मां की शॉल) जो हमेशा उन्हें उनके 'ठंडे लंदन फ्लैट' से भी घर की याद दिलाती थी।

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