भूपेंद्र शर्मा, वाराणसी: बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी में 'विकसित भारत के लिए नशा मुक्त युवा' विषय पर दो दिन तक चले शिखर सम्मेलन के बाद 'काशी घोषणापत्र' जारी किया गया। केंद्रीय युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा कि विकसित भारत में देश को नशा मुक्त बनाकर रहेंगे।
घोषणापत्र में कहा गया है कि नशा मुक्ति पर एक जॉइंट टॉस्क फोर्स (संयुक्त कार्य समिति) बनाई जाएगी, जिसमें आध्यात्मिक संगठनों, स्वास्थ्य मंत्रालय, सामाजिक न्याय मंत्रालय, राष्ट्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो, युवा मामले और खेल मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय, कला संस्कृति मंत्रालय, उपभोक्ता मंत्रालय, राज्य आबकारी विभाग, रक्षा मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय समेत कई मंत्रालयों के साथ- साथ सिविल सोसायटी ग्रुप्स के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाएगा।
डॉ. मांडविया ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर के अलावा राज्य, जिले, ब्लॉक स्तर पर भी कमेटी होंगी, जो नशे के खिलाफ मुहिम में शामिल होंगी। युवाओं के नेतृत्व में नशा विरोध क्लबों के निर्माण और कौशल भारत, फिट इंडिया, एक भारत श्रेष्ठ भारत सहित प्रमुख योजनाओं के साथ अभियान को आगे बढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश के युवाओं को नशा मुक्त बनाने की दिशा में 120 से ज्यादा संगठनों से मिले सुझावों के आधार पर काशी संकल्प जारी हुआ है। इसके आधार पर अगले पांच साल के लिए नशा मुक्ति के लिए एक्शन प्लान तैयार किया गया है, ताकि सरकार और आध्यात्मिक संगठन एकजुट होकर नशा मुक्त भारत के लिए काम करें।
काशी घोषणापत्र की खास बातें
काशी घोषणापत्र में कहा गया है कि विकसित भारत के लिए नशा मुक्त अभियान चलाना है। पांच वर्षों के लिए यह रोडमैप तैयार किया गया है। शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों को नशा मुक्ति पर शपथ दिलवाई जाएगी। इसके साथ ही युवाओं के बीच नशे से जुड़ी मानसिकता को दूर करने की पहल होगी। नशा करने वाले लोगों को नशामुक्ति सेवाओं से जोड़ने के लिए एक राष्ट्रीय मंच की स्थापना की जाएगी, ताकि नशे से मुक्त करवाने की पहल को आसानी से आगे बढ़ाया जा सके।
नैतिक शिक्षा, खेल, आर्मी, कला और आध्यात्मिक अभ्यास जैसे रचनात्मक माध्यमों से युवाओं को जागरूक किया जाएगा। नशा मुक्ति अभियान को विकसित भारत के साथ जोड़ा जा रहा है। 2047 तक नशा- मुक्त भारत के निर्माण के लिए निरंतर संवाद, लोगों द्वारा चलाए जाने वाले आंदोलन को सहयोग दिया जाएगा। युवाओं को नशे की गिरफ्त से बाहर निकालने के लिए जरूरी है कि समाज में जागरूकता हो और आम लोग इसके लिए आगे आए।
नशे का कारोबार करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पुलिस- प्रशासन की मदद करें। नशीली दवाओं के नेटवर्क तो तोड़ने के लिए आम लोग, पुलिस व प्रशासन मिलकर काम करें। नियमित तौर पर लोकल मीडिया के चर्चित चेहरों के साथ मिलकर सोशल मीडिया से जुड़े कैंपेन चलाए जाएंगे। मीडिया, तकनीक और कानूनी उपायों के माध्यम से नशे के प्रचार, वतिरण और ऑनलाइन- ऑफलाइन उपलब्धता पर कड़ा नियंत्रण स्थापित किया जाएगा। नशीले पदार्थ के दुरुपयोग के खिलाफ चल रहे अभियान में स्कूलों, कॉलेजों, राज्य सरकारों के साथ मिलकर संयुक्त जनसंपर्क अभियान चलाया जाएगा।
एक्शन प्लान को कैसे लागू किया जाएगा
डॉ. मांडविया ने कहा कि एक्शन प्लान को पूरी गंभीरता के साथ लागू किया जाएगा। हर राज्य की भौगोलिक स्थिति अलग होती है। राज्य और जिला स्तर पर कमेटी को केंद्र का सहयोग मिलेगा। राज्य स्कूल- कॉलेजों और वर्किंग प्लेस पर नशे के खिलाफ अभियान चलाएंगे। महिलाओं की इस अभियान में बड़ी जिम्मेदारी होगी। महिलाओं के संगठन भी सरकार की मदद करेंगे।
उन्होंने कहा कि एयरपोर्ट पर स्मोकिंग एरिया होते हैं और वहां पर युवा प्ले बोर्ड लेकर दिखाएं कि स्मोकिंग से कितने नुकसान होते हैं। सार्वजनिक स्थानों पर भी इसी तरह की मुहिम चलाई जाएगी। नशे से केवल व्यक्ति का ही नुकसान नहीं होता, बल्कि उसके परिवार, समाज और देश का भी नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से देश में टीबी मुक्त अभियान चलाया गया और दो लाख लोगों ने देश के 15 लाख टीबी मरीजों की मदद की, उससे टीबी मुक्त अभियान को बहुत गति मिली है।
उन्होंने कहा कि कोई भी अभियान तब तक सफल नहीं हो सकता, जब तक जनभागीदारी न हो। सरकार केवल अपने स्तर पर किसी अभियान को आगे नहीं बढ़ा सकती, लोगों का सहयोग जरूरी है। इसी को ध्यान में रखते हुए काशी घोषणापत्र में भी जनआंदोलन की बात कही गई है। रिटायर अधिकारियों को मेंटर यानी मार्गदर्शक की जिम्मेदारी दी जाएगी। धर्मगुरुओं, एनजीओ संचालकों को भी इस भूमिका में आना होगा।
उन्होंने कहा कि नशा मुक्ति का संकल्प परिवार, पड़ोस, ब्लॉक, तहसील से शुरू होकर पूरे देश में फैलेगा। केंद्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल राज्य मंत्री रक्षा निखिल खड़से ने कहा कि दो दिन के शिखर सम्मेलन में 120 से ज्यादा संस्थाओं की भागीदारी रही है और इससे यह सुनिश्चित हो जाता है कि नशे के खिलाफ अभियान बहुत मजबूती के साथ आगे बढ़ेगा। जनभागीदारी इस अभियान की आत्मा है और इतनी संस्थाओं के साथ मिलकर इस अभियान को आगे बढ़ाया जाएगा और आने वाले समय में लोग इस अभियान से जुड़ते जाएंगे।
हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल भी कार्यक्रम में शामिल हुए
हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने कहा कि भारत बहुत जल्द नशा मुक्ति की ओर बढ़ेगा और उसमें काशी घोषणापत्र मील का पत्थर शामिल होगा। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में बड़े स्तर पर नशा मुक्ति अभियान चलाया गया, पंचायत प्रतिनिधियों को नशे के खिलाफ मुहिम में शामिल किया गया। इसके साथ ही छात्रों के एडमिशन के समय यह शपथ पत्र लिया जाता है कि वे नशा नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा कि जब तक मांग खत्म नहीं करेंगे, तब तक नशे का कारोबार चलता रहेगा। ऐसे में युवा मंत्रालय की यह मुहिम बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि युवा वर्ग नशे का शिकार हो रहा है। अगर युवाओं में यह जागरूकता आएगी कि नशे से पूरा जीवन बर्बाद हो जाता है तो निश्चित रूप से नशे को खत्म किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि काशी घोषणापत्र ने राष्ट्रीय चेतना का बीजारोपण करने का काम किया है। उन्होंने चीन का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां पर अफीम की बहुत ज्यादा खपत होती थी, लेकिन आज चीन ने इस बुराई पर काबू पा लिया है और चीन की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में युवाओं की बड़ी भूमिका है।
घोषणापत्र में कहा गया है कि नशा मुक्ति पर एक जॉइंट टॉस्क फोर्स (संयुक्त कार्य समिति) बनाई जाएगी, जिसमें आध्यात्मिक संगठनों, स्वास्थ्य मंत्रालय, सामाजिक न्याय मंत्रालय, राष्ट्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो, युवा मामले और खेल मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय, कला संस्कृति मंत्रालय, उपभोक्ता मंत्रालय, राज्य आबकारी विभाग, रक्षा मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय समेत कई मंत्रालयों के साथ- साथ सिविल सोसायटी ग्रुप्स के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाएगा।
डॉ. मांडविया ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर के अलावा राज्य, जिले, ब्लॉक स्तर पर भी कमेटी होंगी, जो नशे के खिलाफ मुहिम में शामिल होंगी। युवाओं के नेतृत्व में नशा विरोध क्लबों के निर्माण और कौशल भारत, फिट इंडिया, एक भारत श्रेष्ठ भारत सहित प्रमुख योजनाओं के साथ अभियान को आगे बढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश के युवाओं को नशा मुक्त बनाने की दिशा में 120 से ज्यादा संगठनों से मिले सुझावों के आधार पर काशी संकल्प जारी हुआ है। इसके आधार पर अगले पांच साल के लिए नशा मुक्ति के लिए एक्शन प्लान तैयार किया गया है, ताकि सरकार और आध्यात्मिक संगठन एकजुट होकर नशा मुक्त भारत के लिए काम करें।
काशी घोषणापत्र की खास बातें
काशी घोषणापत्र में कहा गया है कि विकसित भारत के लिए नशा मुक्त अभियान चलाना है। पांच वर्षों के लिए यह रोडमैप तैयार किया गया है। शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों को नशा मुक्ति पर शपथ दिलवाई जाएगी। इसके साथ ही युवाओं के बीच नशे से जुड़ी मानसिकता को दूर करने की पहल होगी। नशा करने वाले लोगों को नशामुक्ति सेवाओं से जोड़ने के लिए एक राष्ट्रीय मंच की स्थापना की जाएगी, ताकि नशे से मुक्त करवाने की पहल को आसानी से आगे बढ़ाया जा सके।
नैतिक शिक्षा, खेल, आर्मी, कला और आध्यात्मिक अभ्यास जैसे रचनात्मक माध्यमों से युवाओं को जागरूक किया जाएगा। नशा मुक्ति अभियान को विकसित भारत के साथ जोड़ा जा रहा है। 2047 तक नशा- मुक्त भारत के निर्माण के लिए निरंतर संवाद, लोगों द्वारा चलाए जाने वाले आंदोलन को सहयोग दिया जाएगा। युवाओं को नशे की गिरफ्त से बाहर निकालने के लिए जरूरी है कि समाज में जागरूकता हो और आम लोग इसके लिए आगे आए।

नशे का कारोबार करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पुलिस- प्रशासन की मदद करें। नशीली दवाओं के नेटवर्क तो तोड़ने के लिए आम लोग, पुलिस व प्रशासन मिलकर काम करें। नियमित तौर पर लोकल मीडिया के चर्चित चेहरों के साथ मिलकर सोशल मीडिया से जुड़े कैंपेन चलाए जाएंगे। मीडिया, तकनीक और कानूनी उपायों के माध्यम से नशे के प्रचार, वतिरण और ऑनलाइन- ऑफलाइन उपलब्धता पर कड़ा नियंत्रण स्थापित किया जाएगा। नशीले पदार्थ के दुरुपयोग के खिलाफ चल रहे अभियान में स्कूलों, कॉलेजों, राज्य सरकारों के साथ मिलकर संयुक्त जनसंपर्क अभियान चलाया जाएगा।
एक्शन प्लान को कैसे लागू किया जाएगा
डॉ. मांडविया ने कहा कि एक्शन प्लान को पूरी गंभीरता के साथ लागू किया जाएगा। हर राज्य की भौगोलिक स्थिति अलग होती है। राज्य और जिला स्तर पर कमेटी को केंद्र का सहयोग मिलेगा। राज्य स्कूल- कॉलेजों और वर्किंग प्लेस पर नशे के खिलाफ अभियान चलाएंगे। महिलाओं की इस अभियान में बड़ी जिम्मेदारी होगी। महिलाओं के संगठन भी सरकार की मदद करेंगे।
उन्होंने कहा कि एयरपोर्ट पर स्मोकिंग एरिया होते हैं और वहां पर युवा प्ले बोर्ड लेकर दिखाएं कि स्मोकिंग से कितने नुकसान होते हैं। सार्वजनिक स्थानों पर भी इसी तरह की मुहिम चलाई जाएगी। नशे से केवल व्यक्ति का ही नुकसान नहीं होता, बल्कि उसके परिवार, समाज और देश का भी नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से देश में टीबी मुक्त अभियान चलाया गया और दो लाख लोगों ने देश के 15 लाख टीबी मरीजों की मदद की, उससे टीबी मुक्त अभियान को बहुत गति मिली है।
उन्होंने कहा कि कोई भी अभियान तब तक सफल नहीं हो सकता, जब तक जनभागीदारी न हो। सरकार केवल अपने स्तर पर किसी अभियान को आगे नहीं बढ़ा सकती, लोगों का सहयोग जरूरी है। इसी को ध्यान में रखते हुए काशी घोषणापत्र में भी जनआंदोलन की बात कही गई है। रिटायर अधिकारियों को मेंटर यानी मार्गदर्शक की जिम्मेदारी दी जाएगी। धर्मगुरुओं, एनजीओ संचालकों को भी इस भूमिका में आना होगा।

उन्होंने कहा कि नशा मुक्ति का संकल्प परिवार, पड़ोस, ब्लॉक, तहसील से शुरू होकर पूरे देश में फैलेगा। केंद्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल राज्य मंत्री रक्षा निखिल खड़से ने कहा कि दो दिन के शिखर सम्मेलन में 120 से ज्यादा संस्थाओं की भागीदारी रही है और इससे यह सुनिश्चित हो जाता है कि नशे के खिलाफ अभियान बहुत मजबूती के साथ आगे बढ़ेगा। जनभागीदारी इस अभियान की आत्मा है और इतनी संस्थाओं के साथ मिलकर इस अभियान को आगे बढ़ाया जाएगा और आने वाले समय में लोग इस अभियान से जुड़ते जाएंगे।
हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल भी कार्यक्रम में शामिल हुए
हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने कहा कि भारत बहुत जल्द नशा मुक्ति की ओर बढ़ेगा और उसमें काशी घोषणापत्र मील का पत्थर शामिल होगा। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में बड़े स्तर पर नशा मुक्ति अभियान चलाया गया, पंचायत प्रतिनिधियों को नशे के खिलाफ मुहिम में शामिल किया गया। इसके साथ ही छात्रों के एडमिशन के समय यह शपथ पत्र लिया जाता है कि वे नशा नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा कि जब तक मांग खत्म नहीं करेंगे, तब तक नशे का कारोबार चलता रहेगा। ऐसे में युवा मंत्रालय की यह मुहिम बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि युवा वर्ग नशे का शिकार हो रहा है। अगर युवाओं में यह जागरूकता आएगी कि नशे से पूरा जीवन बर्बाद हो जाता है तो निश्चित रूप से नशे को खत्म किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि काशी घोषणापत्र ने राष्ट्रीय चेतना का बीजारोपण करने का काम किया है। उन्होंने चीन का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां पर अफीम की बहुत ज्यादा खपत होती थी, लेकिन आज चीन ने इस बुराई पर काबू पा लिया है और चीन की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में युवाओं की बड़ी भूमिका है।
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