नई दिल्लीः इंडियन आर्मी ने अपनी प्रोफेशनल दक्षता दिखाते हुए एक साहसिक रेस्क्यू मिशन में साउथ कोरिया के कपल की जान बचाई है। साउथ कोरिया के नागरिक ह्यून वू किम और उनकी पत्नी लद्दाख की बर्फीली चोटियों में 17000 फीट की ऊंचाई पर फंसे थे। वे कोंगमारू ला पास में फंसे थे, जहां से आर्मी ने उन्हें रेस्क्यू किया।
गुरुवार यानी 4 सितंबर की रात 8 बजकर 5 मिनट पर आर्मी को यह मैसेज मिला कि साउथ कोरिया के दो नागरिक 17 हजार फीट की ऊंचाई पर कोंगमारू ला पास में फंसे हैं और उन्हें तुरंत मेडिकल सहायता की जरूरत है। कोंगमारू ला पास बेहद दुर्गम और खतरनाक माना जाता है। यहां चारों ओर बर्फ से ढकी चट्टानें और तेज हवाएं लगातार किसी भी मिशन में बाधा डालती हैं। बावजूद इसके आर्मी की एविएशन विंग ने मैसेज मिलने के 15 मिनट के भीतर ही रात 8:20 बजे रेस्क्यू मिशन के लिए हेलीकॉप्टर रवाना कर दिया।
पायलटों को नाइट विजन गॉगल्स (NVG) का इस्तेमाल करते हुए एक अस्थायी हेलीपैड पर अंधेरे में सटीक लैंडिंग करनी थी, जो कतई आसान नहीं था। लेकिन आर्मी एविएशन के पायलटों ने अपने असाधारण कौशल का प्रदर्शन करते हुए इस जोखिम भरे मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। रात 9 बजकर 15 मिनट पर आर्मी एविशएन का अडवांस लाइट हेलिकॉप्टर (ALH) उस चोटी पर उतरा। वहां से दोनों विदेशी नागरिकों को एयरलिफ्ट कर सुरक्षित बाहर निकाला और फिर मेडिकल टीम ने उन्हें जरूरी मेडिकल सहायता मुहैया कराई।
आर्मी एविएशन के पास ALH के अलावा चीता और चेतक हेलिकॉप्टर भी हैं, लेकिन इन्हें रात में उड़ाना मुश्किल है। क्योंकि इनकी नाइट फ्लाइंग कैपेबिलिटी बहुत लिमिटेड है। जबकि एलएलएच रात में भी ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है। इसलिए एलएलएच का इस्तेमाल किया गया। ALH स्वदेशी हेलिकॉप्टर है जिसे किसी भी मौसम में इस्तेमाल किया जा सकता है।
गुरुवार यानी 4 सितंबर की रात 8 बजकर 5 मिनट पर आर्मी को यह मैसेज मिला कि साउथ कोरिया के दो नागरिक 17 हजार फीट की ऊंचाई पर कोंगमारू ला पास में फंसे हैं और उन्हें तुरंत मेडिकल सहायता की जरूरत है। कोंगमारू ला पास बेहद दुर्गम और खतरनाक माना जाता है। यहां चारों ओर बर्फ से ढकी चट्टानें और तेज हवाएं लगातार किसी भी मिशन में बाधा डालती हैं। बावजूद इसके आर्मी की एविएशन विंग ने मैसेज मिलने के 15 मिनट के भीतर ही रात 8:20 बजे रेस्क्यू मिशन के लिए हेलीकॉप्टर रवाना कर दिया।
पायलटों को नाइट विजन गॉगल्स (NVG) का इस्तेमाल करते हुए एक अस्थायी हेलीपैड पर अंधेरे में सटीक लैंडिंग करनी थी, जो कतई आसान नहीं था। लेकिन आर्मी एविएशन के पायलटों ने अपने असाधारण कौशल का प्रदर्शन करते हुए इस जोखिम भरे मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। रात 9 बजकर 15 मिनट पर आर्मी एविशएन का अडवांस लाइट हेलिकॉप्टर (ALH) उस चोटी पर उतरा। वहां से दोनों विदेशी नागरिकों को एयरलिफ्ट कर सुरक्षित बाहर निकाला और फिर मेडिकल टीम ने उन्हें जरूरी मेडिकल सहायता मुहैया कराई।
आर्मी एविएशन के पास ALH के अलावा चीता और चेतक हेलिकॉप्टर भी हैं, लेकिन इन्हें रात में उड़ाना मुश्किल है। क्योंकि इनकी नाइट फ्लाइंग कैपेबिलिटी बहुत लिमिटेड है। जबकि एलएलएच रात में भी ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है। इसलिए एलएलएच का इस्तेमाल किया गया। ALH स्वदेशी हेलिकॉप्टर है जिसे किसी भी मौसम में इस्तेमाल किया जा सकता है।
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