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कम दूरी की सवारी देखते ही कहते हैं, नहीं जाएंगे.. मुंबई में बढ़ी ऑटो-टैक्सी ड्राइवरों की मनमानी

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मुंबई: महाराष्ट्र के मुंबई में ऑटो और टैक्सी ड्राइवरों की मनमानी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। शेयर ऑटो और टैक्सी चलाने वाले ड्राइवरों ने तो यात्रियों को परेशान कर रखा है। यह अक्सर देखा गया है कि अधिकांश ड्राइवर कम दूरी की सवारी को बैठाने से मना कर देते है। कई बार तो तय रूट से हटकर अपनी सुविधा के हिसाब से चलते हैं, किराए में मनमानी करते हैं और यात्रियों से झगड़ा भी कर बैठते हैं। इसको लेकर 5 महीने पहले एमएमआर के लिए एक टोल फ्री नंबर भी जारी किया गया था, जहां यात्री ऐसे मामले की रिपोर्ट दर्ज कर सकते है। लेकिन उसका भी कुछ ख़ास असर देखने नहीं मिल रहा है। एनबीटी की प्रतिनिधि ने लगातार 5 दिनों तक कम दूरी के लिए ऑटो की सवारी लेना चाही, लेकिन उनके हाथ सिर्फ निराशा लगी। करीब 90% ड्राइवरों ने मना कर दिया। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या वे आसानी से मना कर सकते है ? इसी को समझने के लिए नियमों को समझना भी बेहद जरूरी है।


क्या है नियम
नियमों के अनुसार, यदि किसी ड्राइवर को सवारी नहीं बैठाना है, तो उन्हें आधा मीटर डाउन करना होता है। क्योंकि यदि मीटर अप है तो वे सवारी को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए मना नहीं किया जा सकता है। इसी के साथ ही सरकार द्वारा तय रेट के हिसाब से मीटर रीकलिब्रशन कर यात्रियों से पैसा लेना होता है। ड्राइवर को रेट कार्ड डिस्प्ले में रखना होता है और सवारियों से मनमाना किराया नहीं मांगना होता है। ड्राइवर गाडी चलाते समय धुम्रपान नहीं कर सकते है। उन्हें यूनिफार्म और बैच पहनना कम्पलसरी होता है। लगेज के लिए तय किराए से अधीन किराया नहीं माँगा जा सकता है। तय रूट हे यात्रियों को गंतव्य तक पहुँचाना होता हैं। साथ ही सवारियों से अच्छी तरीके से बात करना और झगड़ा टालना समेत कई प्रमुख बिंदु है।


मंजूर है शेयरिंग सिस्टम
एमएमआर में शेयर ऑटो और टैक्सी को मंजूरी है, लेकिन उनके ड्राइवरों को कई मानदंडों का पालन करना अनिवार्य है, जैसे की रिक्शा स्टैंड पर गाडी लगना। अपना समय आने पर यात्रियों को बैठना। तय रेट्स से किराया लेना और डिपार्टमेंट द्वारा रूट पर ही हादी चलाना। ऑटो में सिर्फ 3 और टैक्सी मर सिर्फ 4 यात्रियों को बैठना।

आरटीओ में रजिस्टर्ड ऑटो - टैक्सी (अक्टूबर 2025 तक)
ऑटो-रिक्शा टैक्सी मैन यूनियन अध्यक्ष शशांक राव का कहना है कि आज के समय में कई इलाके में इललीगल ड्राइवर्स देखे गए है। 80% ऐसे है, जिनके पास कोई बैच भी नहीं है। यदि कोई ड्राइवर मीटर डाउन किये बिना सवारियों को मना करता है, तो उसपर सख्त से सख्त कार्यवाई होनी चाहिए। वहीं ऑटो ड्राइवर वसीम खान का कहना है कि यात्री लंबी दूरी तय करने के बाद किराया देने में आनाकानी करते है। मीटर ख़राब है और ज्यादा पैसे मांग रहे हो कहकर झगडा करते है। किराया छोड़ने के बाद खाली आना पड़ता है जिससे गैस और समय दोनों बरबाद होता है। इसके लिए भाड़े को कम करना पड़ता है।
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