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Independence Day 2025 Poems: स्वतंत्रता दिवस पर 5 हिंदी कविताएं, जो 15 अगस्त के दिन जगाएंगी देशभक्ति का जोश!

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15th August 2025 Poems in Hindi: स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को हर साल पूरे भारत में मनाया जाता है। इसी दिन 15 अगस्त 1947 को हमारे देश को आजादी मिली थी। यहां हम आपके लिए इंडिपेंडेंस डे की 5 शानदार और चर्चित कविताएं लेकर आए हैं, जिन्हें सुनाकर किसी का भी दिल जीता जा सकता है। यह कविताएं देश भक्ति भावना से भरी होने के साथ 15 अगस्त के भाषण के लिए भी बहुत उपयुक्त हैं। इनमें से कई तो आपके स्कूल की किताबों का हिस्सा रहीं होंगी। यहां जानिए कुछ मशहूर लेखक या कवियों के नाम के साथ उनकी देशभक्ति कविताओं के बारे में जो 15 अगस्त पर स्वतंत्रता दिवस समारोह में आपके काम आ सकती हैं।
1. शहीदों की चिताओं पर - जगदंबा प्रसाद मिश्र image

उरूजे कामयाबी पर कभी हिंदोस्तां होगा।

रिहा सैयाद के हाथों से अपना आशियां होगा॥


चखाएंगे मजा बर्बादी-ए-गुलशन का गुलचीं को।

बहार आ जाएगी उस दम जब अपना बागबां होगा।



ये आए दिन की छेड़ अच्छी नहीं ऐ खंजर ए कातिल।

पता कब फैसला उनके हमारे दरमियां होगा॥

जुदा मत हो मेरे पहलू से ऐ दर्दे वतन हरगिज।

न जाने बाद मुर्दन मैं कहां औ तू कहां होगा॥

वतन के आबरू का पास देखें कौन करता है।



सुना है आज मकतल में हमारा इम्तहां होगा॥

शहीदों की चिताओं पर जुड़ेंगे हर बरस मेले।

वतन पर मरनेवालों का यही बाकी निशां होगा॥

कभी वह दिन भी आएगा जब अपना राज देखेंगे।

जब अपनी ही जमीं होगी और अपना आसमां होगा॥



(Image Credit - Freepik)


2. पुष्प की अभिलाषा - माखन लाल चतुर्वेदी image

चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊं।

चाह नहीं, प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊं।

चाह नहीं, सम्राटों के शव पर, हे हरि, डाला जाऊं।

चाह नहीं, देवों के सिर पर चढूं, भाग्य पर इठलाऊं।

मुझे तोड़ लेना वनमाली!

उस पथ में देना तुम फेंक।

मातृ-भूमि पर शीश चढ़ाने।

जिस पथ जावें वीर अनेक।

(Image Credit - Freepik)


3. वीरो का कैसा हो वसंत? - सुभद्रा कुमारी चौहान image

कदम कदम बढ़ाए जा

खुशी के गीत गाए जा,

ये जिंदगी है कौम की,

तू कौम पे लुटाए जा।

उड़ी तमिस्र रात है, जगा नया प्रभात है,

चली नई जमात है, मानो कोई बरात है,

समय है, मुस्कुराए जा,

खुशी के गीत गाए जा।

ये जिंदगी है कौम की

तू कौम पे लुटाए जा।

जो आ पड़े कोई विपत्ति मार के भगाएंगे,

जो आए मौत सामने तो दांत तोड़ लाएंगे,

बहार की बहार में

बहार ही लुटाए जा।

कदम कदम बढ़ाए जा,

खुशी के गीत गाए जा।

जहां तलक न लक्ष्य पूर्ण हो समर करेंगे हम,

खड़ा हो शत्रु सामने तो शीश पै चढ़ेंगे हम,

विजय हमारे हाथ है

विजय-ध्वजा उड़ाए जा।

कदम कदम बढ़ाए जा,

खुशी के गीत गाए जा।

कदम बढ़े तो बढ़ चले, आकाश तक चढ़ेंगे हम,

लड़े हैं, लड़ रहे हैं, तो जहान से लड़ेंगे हम;

बड़ी लड़ाइयां हैं तो

बड़ा कदम बढ़ाए जा।

कदम कदम बढ़ाए जा

खुशी के गीत गाए जा।

निगाह चौमुखी रहे, विचार लक्ष्य पर रहे,

जिधर से शत्रु आ रहा उसी तरफ नजर रहे,

स्वतंत्रता का युद्ध है,

स्वतंत्र होके गाए जा।

कदम कदम बढ़ाए जा,

खुशी के गीत गाए जा।

ये जिंदगी है कौम की

तू कौम पे लुटाए जा।

(Image Credit - Freepik)


4. स्वदेश का प्यार - गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही' image

वह हृदय नहीं है पत्थर है,

जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।

जो जीवित जोश जगा न सका,

उस जीवन में कुछ सार नहीं।



जो चल न सका संसार-संग,

उसका होता संसार नहीं।

जिसने साहस को छोड़ दिया,

वह पहुंच सकेगा पार नहीं।



जिससे न जाति-उद्धार हुआ,

होगा उसका उद्धार नहीं।

जो भरा नहीं है भावों से,

बहती जिसमें रस-धार नहीं।

वह हृदय नहीं है पत्थर है,

जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।

जिसकी मिट्टी में उगे बढ़े,

पाया जिसमें दाना-पानी।

है माता-पिता बंधु जिसमें,

हम हैं जिसके राजा-रानी।

जिसने कि खजाने खोले हैं,

नवरत्न दिये हैं लासानी।



जिस पर ज्ञानी भी मरते हैं,

जिस पर है दुनिया दीवानी।

उस पर है नहीं पसीजा जो,

क्या है वह भू का भार नहीं।



वह हृदय नहीं है पत्थर है,

जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।

निश्चित है निस्संशय निश्चित,

है जान एक दिन जाने को।



है काल-दीप जलता हरदम,

जल जाना है परवानों को।

है लज्जा की यह बात शत्रु

आये आंखें दिखलाने को।



धिक्कार मर्दुमी को ऐसी,

लानत मर्दाने बाने को।

सब कुछ है अपने हाथों में,

क्या तोप नहीं तलवार नहीं।

वह हृदय नहीं है पत्थर है,

जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।



(Image Credit - Freepik)


5. सिपाही - माखन लाल चतुर्वेदी image

गिनो न मेरी श्वास,

छुए क्यों मुझे विपुल सम्मान?

भूलो ऐ इतिहास,

खरीदे हुए विश्व-ईमान!!

अरि-मुंडों का दान,

रक्त-तर्पण भर का अभिमान,



लड़ने तक महमान,

एक पूंजी है तीर-कमान!

मुझे भूलने में सुख पाती,

जग की काली स्याही,



दासो दूर, कठिन सौदा है

मैं हूं एक सिपाही!

क्या वीणा की स्वर-लहरी का

सुनें मधुरतर नाद?

छिः! मेरी प्रत्यंचा भूले

अपना यह उन्माद!



झंकारों का कभी सुना है

भीषण वाद विवाद?

क्या तुमको है कुरु-क्षेत्र

हलदी घाटी की याद!



सिर पर प्रलय, नेत्र में मस्ती,

मुट्ठी में मनचाही,

लक्ष्य मात्र मेरा प्रियतम है,

मैं हूं एक सिपाही।

खींचो राम-राज्य लाने को,

भू-मंडल पर त्रेता!



बनने दो आकाश छेदकर

उसको राष्ट्रविजेता,

जाने दो, मेरी किस

बूते कठिन परीक्षा लेता,

कोटि-कोटि कंठों 'जय-जय' है

आप कौन हैं, नेता?



सेना छिन्न, प्रयत्न खिन्न कर,

लाए न्योत तबाही,

कैसे पूजूं गुमराही को

मैं हूं एक सिपाही?

बोल अरे सेनापति मेरे!

मन की घुंडी खोल,

जल, थल, नभ, हिल-डुल जाने दे,

तू किंचित् मत डोल!

दे हथियार या कि मत दे तू

पर तू कर हुंकार,

ज्ञातों को मत, अज्ञातों को,

तू इस बार पुकार!

धीरज रोग, प्रतीक्षा चिंता,

सपने बने तबाही,

कह 'तैयार'! द्वार खुलने दे,

मैं हूं एक सिपाही!

बदलें रोज बदलियां, मत कर

चिंता इसकी लेश,



गर्जन-तर्जन रहे, देख

अपना हरियाला देश!

खिलने से पहले टूटेंगी,

तोड़, बता मत भेद,

वनमाली, अनुशासन की

सूची से अंतर छेद!



श्रम-सीकर, प्रहार पर जीकर,

बना लक्ष्य आराध्य

मैं हूं एक सिपाही, बलि है

मेरा अंतिम साध्य!

कोई नभ से आग उगलकर

किए शांति का दान,



कोई मांज रहा हथकड़ियां

छेड़ क्रांति की तान!

कोई अधिकारों के चरणों

चढ़ा रहा ईमान,

'हरी घास शूली के पहले

की' तेरा गुण गान!



आशा मिटी, कामना टूटी,

बिगुल बज पड़ी यार!

मैं हूं एक सिपाही। पथ दे,

खुला देख वह द्वार!



(Image Credit - Freepik)

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