कोटा: पूर्व विधायक और कांग्रेस नेता प्रहलाद गुंजल ने कोटा की कानून व्यवस्था पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि शहर में अब पुलिस और गुंडों के बीच कोई अंतर ही नहीं बचा है। गुंजल का कहना है कि यहां के हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि पुलिस अधिकारी और हिस्ट्रीशीटर तक एक ही टेबल पर बैठकर फैसले कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में आम जनता न्याय की उम्मीद कहां से करे? यह सब जनता के साथ धोखे जैसा है।
कांग्रेस ने इस मुद्दे के साथ-साथ वोट चोरी और स्मार्ट मीटर घोटाले पर भी बड़ा आंदोलन छेड़ने का ऐलान किया है। 10 सितंबर को कोटा में पार्टी कार्यकर्ता ज़ोरदार प्रदर्शन करेंगे।
कांग्रेस का ऐलान – डोटासरा और जूली होंगे शामिल
पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल ने जानकारी दी कि 10 सितंबर को होने वाले इस आंदोलन में प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली भी हिस्सा लेंगे। कांग्रेस कार्यकर्ता सरकार की "अराजक नीतियों" और कानून-व्यवस्था की खामियों को लेकर सड़कों पर उतरेंगे। जिला अध्यक्ष रविंद्र त्यागी ने बताया कि यह प्रदर्शन किशोर सागर की पाल से शुरू होकर कलेक्टर कार्यालय तक कूच के रूप में किया जाएगा।
"परिवादी ही बन जाते हैं आरोपी" – गुंजल
प्रहलाद गुंजल ने प्रशासनिक व्यवस्था की खामियों पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि आज हालात इतने खराब हैं कि अगर कोई कांग्रेस कार्यकर्ता आवाज़ उठाता है तो उसी पर मुकदमे दर्ज कर दिए जाते हैं। न सिर्फ इतना, बल्कि उसके व्यवसाय और रोजगार तक को निशाना बनाया जाता है। गुंजल के अनुसार, थानों और तहसीलों में न्याय की जगह शिकायतकर्ता को ही प्रताड़ित किया जाता है। कई बार तो पीड़ित पर ही केस दर्ज कर दिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की स्थिति लोकतंत्र और जनता के साथ खुला अन्याय है। बैठक में बड़ी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद थे। हालांकि, पूर्व मंत्री शांति धारीवाल और उनके समर्थक नहीं दिखे। इस पर गुंजल ने कहा – “एक व्यक्ति की गैरमौजूदगी से कोई फर्क नहीं पड़ता। कांग्रेस मजबूत है और एकजुट है।”
बाढ़ पीड़ितों तक नहीं पहुंची राहत
बैठक में देहात जिला अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह ने सरकार की राहत व्यवस्था पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि हाल ही में आई बाढ़ ने हाड़ौती क्षेत्र को गहरे संकट में डाल दिया। किसानों और आम लोगों का भारी नुकसान हुआ, लेकिन सरकार अब तक केवल सर्वे और आकलन तक ही सीमित है। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकारी गांवों का दौरा जरूर कर रहे हैं, लेकिन बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं तक लोगों को नहीं मिल पा रही हैं।
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