बिहार विधानसभा चुनाव की वोटिंग पूरी हो चुकी है और अब सबकी निगाहें 14 नवंबर को आने वाले नतीजों पर टिकी हैं। सभी उम्मीदवारों की किस्मत EVM में बंद है, लेकिन नतीजों से पहले ही राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। महागठबंधन को इस बात की चिंता सता रही है कि परिणाम आने के बाद अगर जोड़-तोड़ की राजनीति (हॉर्स ट्रेडिंग) शुरू हुई, तो उनके कुछ विधायक दल बदल सकते हैं। इस स्थिति से बचने के लिए महागठबंधन ने अपने विधायकों को “सुरक्षित” रखने की पूरी योजना तैयार कर ली है।
गठबंधन के भीतर सतर्कता, तैयार हुआ ‘सुरक्षा प्लान’
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, नतीजों के बाद किसी भी तरह की राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति में महागठबंधन अपने कुछ विधायकों को उन राज्यों में भेज सकता है, जहां INDIA ब्लॉक की सरकार है। सबसे बड़ी पार्टी राजद (RJD) ने अपने सभी संभावित विजेता विधायकों को जीत के बाद तुरंत पटना बुलाने और सुरक्षित ठिकाने पर रखने की तैयारी की है।
वहीं, वीआईपी पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी ने भी अपनी तरफ से पूरी रणनीति बना ली है। बताया जा रहा है कि अगर उनकी पार्टी के उम्मीदवार जीत दर्ज करते हैं, तो वे अपने विधायकों को फौरन पटना बुलाकर विशेष विमान से पश्चिम बंगाल भेज देंगे, जहां ममता बनर्जी की सरकार है। उनका मानना है कि यह कदम पार्टी की एकजुटता बनाए रखने और विपक्ष की तोड़फोड़ से बचाने में मदद करेगा।
कांग्रेस ने भी बनाई सख्त निगरानी व्यवस्था
महागठबंधन की एक और अहम सहयोगी पार्टी कांग्रेस ने भी अपने स्तर पर सख्त निगरानी व्यवस्था लागू की है। पार्टी ने विधानसभावार और जिलेवार पर्यवेक्षकों को निर्देश दिया है कि जैसे ही नतीजे आएं और कोई उम्मीदवार विजयी घोषित हो, उसे सीधे अपनी देखरेख में पटना लाया जाए। इसके बाद पार्टी की योजना है कि अपने विधायकों को कर्नाटक या तेलंगाना, यानी कांग्रेस शासित राज्यों में शिफ्ट किया जाए।
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस न सिर्फ अपने विधायकों की सुरक्षा पर नजर रख रही है, बल्कि छोटे सहयोगी दलों, जैसे आईपी गुप्ता के दल, के विधायकों को भी साथ ले जाने की जिम्मेदारी लेने को तैयार है। वहीं, यदि कुछ निर्दलीय उम्मीदवार जीतने के बाद महागठबंधन का समर्थन करने को तैयार होते हैं, तो उन्हें भी इस सुरक्षा कवच में शामिल किया जाएगा।
रिकॉर्ड मतदान से बढ़ी सियासी गर्मी
इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में उम्मीद से कहीं ज्यादा मतदान दर्ज किया गया है। दूसरे और अंतिम चरण में 67.14 प्रतिशत मतदान हुआ, जो अब तक का सबसे अधिक प्रतिशत है। पहले चरण में 65.09 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। बंपर मतदान के बाद अब हर राजनीतिक दल को उम्मीद है कि परिणाम उनके पक्ष में आएंगे।
जन सुराज पार्टी बनी ‘एक्स फैक्टर’
इस बार के चुनाव में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी को भी एक बड़ा फैक्टर माना जा रहा है। प्रशांत किशोर ने मतदान के बाद कहा कि वोटिंग प्रतिशत में हुई वृद्धि से साफ संकेत मिलता है कि बिहार के मतदाता बदलाव की दिशा में सोच रहे हैं, और उनकी पार्टी को एक नए विकल्प के रूप में देख रहे हैं।
अब 14 नवंबर को यह तय होगा कि जनता ने किसे मौका दिया है — नीतीश कुमार एक बार फिर सत्ता में वापसी करते हैं या तेजस्वी यादव अपने राजनीतिक करियर का सबसे बड़ा सपना पूरा करते हैं। जो भी हो, परिणाम से पहले का यह दौर बिहार की सियासत को पहले से कहीं ज्यादा रोमांचक बना चुका है।
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