भारत छोड़कर किसी अन्य देश की नागरिकता अपनाने का चलन बीते कुछ वर्षों में लगातार बढ़ा है। साल 2024 में भी यह सिलसिला जारी रहा, जहां 2 लाख से ज्यादा भारतीयों ने अपनी भारतीय नागरिकता त्याग दी। हालाँकि, पिछले वर्ष यानी 2023 की तुलना में इसमें हल्की गिरावट देखी गई है।
यह जानकारी राज्यसभा में विदेश राज्यमंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने एक प्रश्न के उत्तर में साझा की, जिसमें पिछले छह वर्षों के आंकड़े भी प्रस्तुत किए गए।
पिछले 6 वर्षों में कितनों ने छोड़ी नागरिकता? एक नजर आंकड़ों पर
सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार:
2024 – 2,06,378 लोगों ने छोड़ी भारतीय नागरिकता
2023 – 2,16,219
2022 – 2,25,620
2021 – 1,63,370
2020 – 85,256
2019 – 1,44,017
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि 2020 में कोविड महामारी के दौरान नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या में भारी गिरावट देखी गई थी। पर इसके बाद 2021 से लगातार वृद्धि हुई है और तीन सालों से आंकड़ा 2 लाख से अधिक बना हुआ है।
क्यों छोड़ते हैं लोग भारतीय नागरिकता?
भारतीय नागरिकता छोड़ने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे:
- विदेश में स्थायी निवास या बेहतर रोजगार के अवसर
- किसी अन्य देश की नागरिकता प्राप्त करना
- वैश्विक स्तर पर जीवनशैली में बदलाव
- शिक्षा या पारिवारिक कारण
भारत में दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं होने के कारण यदि कोई भारतीय किसी अन्य देश की नागरिकता लेता है, तो उसे भारतीय नागरिकता त्यागनी पड़ती है।
नागरिकता छोड़ने की प्रक्रिया क्या है?
राज्यसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में सरकार ने नागरिकता त्यागने की संपूर्ण प्रक्रिया स्पष्ट की है। इसके अनुसार:
- इच्छुक नागरिक को भारत सरकार की आधिकारिक वेबसाइट www.indiancitizenshiponline.nic.in पर जाकर आवेदन करना होता है।
- आवेदन के साथ उनके पासपोर्ट, व्यक्तिगत विवरण और अन्य ज़रूरी दस्तावेजों का सत्यापन किया जाता है।
- यह जानकारी संबंधित विभागों को भेजी जाती है, जहां से उनकी जांच की जाती है।
- जब सारी जानकारी और घोषणापत्र (Declaration) प्रमाणित हो जाते हैं, तब सरकार की ओर से "नागरिकता त्याग प्रमाणपत्र" (Certificate of Renunciation) जारी कर दिया जाता है।
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