New Delhi, 18 सितंबर . भारतीय हॉकी के 100 साल पूरे होने पर हॉकी इंडिया ने अखिल भारतीय स्तर पर समारोहों का आह्वान किया है. 7 नवंबर को विशेष समारोह का आयोजन होगा. भारतीय हॉकी की यात्रा 1925 में पहले राष्ट्रीय खेल संस्था के गठन के साथ शुरू हुई थी. समारोह से जुड़ा विवरण जल्द दिया जाएगा.
हॉकी इंडिया ने भारतीय हॉकी के स्वर्णिम इतिहास की चर्चा की है, जिसमें 8 ओलंपिक स्वर्ण पदक शामिल हैं. यह अब तक किसी भी देश द्वारा इस खेल में जीते गए अधिकतम पदक हैं और साथ ही India द्वारा ओलंपिक में किसी भी खेल में जीते गए सर्वाधिक पदक भी हैं.
भारतीय हॉकी के पुराने दिग्गज गुरबक्स सिंह ने कहा, “India में आयोजित पहला हॉकी टूर्नामेंट 1895 में बेयटन कप था. राष्ट्रीय हॉकी संघ का गठन 1925 में हुआ और India ने इसके गठन के केवल तीन साल बाद 1928 में ओलंपिक स्वर्ण पदक जीता. उसके बाद, India ने 1932 और 1936 में स्वर्ण पदक जीते और अगर द्वितीय विश्व युद्ध न होता, तो 1940 और 1944 में भी ये खेल आयोजित होते, तो हम दो और स्वर्ण पदक जीत सकते थे. वह ध्यानचंद का युग था और हमने पूरी दुनिया पर अपना दबदबा कायम कर लिया था. ब्रिटेन ने ‘India से हारने’ के डर से 1948 तक हॉकी टीम नहीं उतारी थी.”
उन्होंने कहा, “हॉकी ने न केवल India के खेल इतिहास में, बल्कि राष्ट्रवाद में भी योगदान दिया है. टीम का प्रदर्शन एक राष्ट्र के रूप में एकता की भावना लाने के लिए महत्वपूर्ण था. अंग्रेजों ने 1948 में ही हॉकी टीम उतारी थी, क्योंकि उन्हें India से हारने का डर था, जब वे हम पर शासन करते थे. और आजादी मिलने के बाद उन्हें उन्हीं के घर में हराना भारतीय इतिहास के सबसे महान क्षणों में से एक था.”
हॉकी के दिग्गज खिलाड़ी ने कहा कि बर्लिन ओलंपिक के फाइनल में अली दारा को टीम को मजबूत करने के लिए बुलाया गया था. जर्मनी (एक क्लब टीम जिसमें ज्यादातर राष्ट्रीय टीम के खिलाड़ी थे) ने अभ्यास मैचों में India को हराया था. जब हम फाइनल में उनके खिलाफ थे, तो दारा को उस मैच के लिए हवाई जहाज से बुलाया गया था. यह भी समझना होगा कि उस समय महासंघ के पास पैसे नहीं थे. इसलिए, जर्मनी में ओलंपिक खेलने के लिए, बंगाल, पंजाब, Bhopal , Mumbai आदि राज्यों से शाही परिवारों के सदस्यों सहित लगभग 35 लोगों ने 100 रुपये से लेकर 500 रुपये तक का योगदान दिया, ताकि टीम को जहाज से जर्मनी भेजा जा सके. उन्होंने 50,000 रुपये इकट्ठा किए और उन दिनों यह बहुत बड़ी रकम थी.”
गुरबक्स सिंह 1964 के टोक्यो ओलंपिक में India के लिए ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम के सदस्य थे.
हॉकी इंडिया के अध्यक्ष और हॉकी के दिग्गज रहे दिलीप तिर्की ने कहा, “युवा पीढ़ी को हमारे खेल के इतिहास और विश्व मंच पर इस खेल के महत्वपूर्ण प्रभाव को जानना और सीखना चाहिए. नवंबर में आयोजित होने वाले शताब्दी समारोह के माध्यम से हम इन सुनहरे दिनों को फिर से जीने की कोशिश कर रहे हैं.”
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पीएके/
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