वाराणसी, 11 सितंबर . Prime Minister Narendra Modi ने कहा है कि भारत और मॉरीशस सिर्फ पार्टनर नहीं, बल्कि एक परिवार हैं. ये दो अलग-अलग राष्ट्र हैं, लेकिन हमारे सपने और नियति एक हैं. पीएम मोदी वाराणसी में मॉरीशस के Prime Minister नवीनचंद्र रामगुलाम के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे.
Prime Minister Narendra Modi ने कहा कि मार्च में मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस समारोह में शामिल होने का सौभाग्य मिला था. उस अवसर पर हमने अपने संबंधों को एक उन्नत रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक बढ़ाया. अब हमने अपने द्विपक्षीय सहयोग के सभी पहलुओं की व्यापक समीक्षा की और क्षेत्रीय व वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान भी किया.
संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में Prime Minister मोदी ने कहा, “मॉरीशस, भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति और ‘विजन महासागर’ का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है. हमेशा मॉरीशस की संप्रभुता की पूर्ण मान्यता का समर्थन किया है. इसमें भारत, मॉरीशस के साथ दृढ़ता से साथ खड़ा रहा है.” उन्होंने कहा कि मॉरीशस के विकास में एक विश्वसनीय और प्राथमिक साझेदार होना भारत के लिए गर्व की बात है.
चागोस समझौता संपन्न होने पर पीएम रामगुलाम और मॉरीशस के लोगों को बधाई देते हुए Prime Minister Narendra Modi ने कहा कि ये मॉरीशस की संप्रभुता की एक ऐतिहासिक जीत है. उन्होंने यह भी कहा कि हमने मॉरीशस की जरूरतों और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए एक विशेष आर्थिक पैकेज पर फैसला लिया है. यह इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करेगा, रोजगार के नए अवसर पैदा करेगा और स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ करेगा.
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा, “पिछले साल मॉरीशस में यूपीआई और रूपे कार्ड की शुरुआत हुई. अब हम लोकल करेंसी में व्यापार को सक्षम करने की दिशा में काम करेंगे.
Prime Minister ने यह भी बताया कि भारत के आईआईटी मद्रास और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ प्लांटेशन मैनेजमेंट ने यूनिवर्सिटी ऑफ मॉरीशस के साथ समझौते संपन्न किए हैं. ये समझौते रिसर्च, शिक्षा और इनोवेशन में आपसी साझेदारी को नए पायदान पर ले जाएंगे.
मॉरीशस के Prime Minister को भरोसा देते हुए पीएम Narendra Modi ने कहा, “फ्री, ओपन, सिक्योर, स्थिर और समृद्ध हिंद महासागर हमारी साझा प्राथमिकता है. इस संदर्भ में मॉरीशस के प्रमुख आर्थिक क्षेत्र की सुरक्षा और समुद्री क्षमता को मजबूत करने के लिए भारत पूरी तरह प्रतिबद्ध है.” उन्होंने कहा कि भारत हमेशा हिंद महासागर क्षेत्र में पहले उत्तरदाता और एक सुरक्षा प्रदाता के रूप में खड़ा रहा है.
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