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साइबर स्पेस, स्पेस-एनेबल्ड ऑपरेशंस, कॉग्निटिव वॉरफेयर पर ध्यान केंद्रित करती सीडीएस चौहान की किताब

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New Delhi, 14 अक्टूबर . चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने सैन्य तैयारियों, युद्ध व युद्धों के ऐतिहासिक अनुभवों पर आधारित एक पुस्तक, ‘रेडी, रेलिवेंट एंड रिसर्जेंट II : शेपिंग अ फ्यूचर रेडी फोर्स’ लिखी है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने Tuesday को New Delhi में इस पुस्तक का विमोचन किया.

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान द्वारा लिखी गई यह किताब India की सशस्त्र सेनाओं को भविष्य के युद्धों के लिए तैयार करने की व्यापक और दूरदर्शी रूपरेखा प्रस्तुत करती है. पुस्तक में युद्ध की बदलती प्रकृति का गहन विश्लेषण किया गया है. युद्ध के ऐतिहासिक विकास से लेकर आधुनिक समय के नए आयामों तक की विस्तृत चर्चा की गई है. इसमें साइबर स्पेस, स्पेस-एनेबल्ड ऑपरेशंस, कॉग्निटिव वॉरफेयर जैसे उभरते क्षेत्रों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है, जो आज की तकनीक-प्रधान युद्ध अवधारणा में अत्यंत महत्वपूर्ण हो चुके हैं.

जनरल चौहान ने अपनी पुस्तक में भारतीय सशस्त्र बलों के लिए एक ऐसे मार्गदर्शन की परिकल्पना की है जो न केवल प्रौद्योगिकीगत प्रगति पर आधारित है बल्कि ऐतिहासिक अनुभवों और रणनीतिक दृष्टि से भी प्रेरित है. उन्होंने इस बात पर बल दिया है कि आधुनिक युग में सैन्य नेतृत्व को केवल पारंपरिक युद्धक क्षमता तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि उसे साइबर सुरक्षा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, स्पेस डोमेन और सूचना युद्ध जैसे क्षेत्रों में भी दक्षता प्राप्त करनी होगी.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पुस्तक की सराहना की. रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह महत्वपूर्ण व अनुभव से भरा दस्तावेज न केवल सशस्त्र बलों के रणनीतिक दृष्टिकोण को मजबूत करेगा, बल्कि नीति-निर्माताओं और रक्षा विशेषज्ञों के लिए भी एक महत्त्वपूर्ण संदर्भ के रूप में कार्य करेगा.

उन्होंने कहा कि India की सेनाएं आज आत्मनिर्भरता और नवाचार की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही हैं, और इस पुस्तक का दृष्टिकोण ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सैन्य स्वरूप को और सशक्त करेगा. पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में सेंटर फॉर ज्वाइंट वॉरफेयर स्टडीज के महानिदेशक मेजर जनरल (डॉ.) अशोक कुमार और पेंटागन प्रेस के प्रकाशक राजन आर्या भी उपस्थित थे. यह पुस्तक India की भविष्य की रक्षा रणनीति, सैन्य आधुनिकीकरण और बहु-आयामी युद्धक्षमता की दिशा में एक महत्वपूर्ण बौद्धिक योगदान मानी जा रही है.

जीसीबी/डीकेपी

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