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टैरिफ को लेकर अमेरिका का फैसला काफी जटिल, कूटनीति इसे उलझा रही: पूर्व राजनयिक डोनाल्ड हेफ्लिन

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वाशिंगटन, 28 अगस्त . भारत के खिलाफ अपनी टैरिफ नीति के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने ही देश में घिरते नजर आ रहे हैं. भारत में अमेरिका के पूर्व प्रभारी डोनाल्ड हेफ्लिन ने कहा कि ये फैसला काफी जटिल है.

से विशेष बातचीत में हेफ्लिन ने कहा, “भारत जैसे देशों पर टैरिफ बढ़ाने से पहले उसके साथ बात की जानी चाहिए और उसका कारण बताया जाना चाहिए. उसके समाधान के बारे में बात की जानी चाहिए और इसके लिए समय दिया जाना चाहिए. समस्याओं को पेशेवर राजनयिकों के माध्यम से सुलझाया जाना चाहिए.”

हेफ्लिन ने कहा, “पिछले आठ महीनों में कई राजनयिकों को बर्खास्त किया गया है, उन्होंने इस्तीफा दे दिया है या सेवानिवृत्त हो गए हैं, और जो बचे हैं उनमें से कई ने यह सबक सीख लिया है कि आप अपनी राय नहीं रख सकते. हालांकि राजनीतिक नियुक्तियां हमेशा से अमेरिकी विदेश नीति तंत्र की एक विशेषता रही हैं, लेकिन वर्तमान प्रशासन में अधिक राजनीतिक नियुक्तियां हुई हैं. यही कारण है कि कई उच्च-लोग छोड़ रहे हैं.”

उन्होंने कहा, “आम तौर पर ट्रंप को विदेशों से संबंधित नियुक्तियों के लिए विदेश विभाग की ओर रुख करना चाहिए और उसे करने का तरीका पूछना चाहिए. लेकिन, ऐसा नहीं हो रहा. यह एक वास्तविक समस्या है.”

हेफ्लिन ने हाल ही में भारत में घोषित अमेरिकी राजदूत सर्जियो गोर को लेकर कहा कि वे ट्रंप प्रशासन के कट्टरपंथियों में से नहीं हैं. ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान वे तर्क के साथ अपनी बात रखते थे. मुझे लगता है कि वे मजबूती से काम करेंगे. हालांकि, विशेषज्ञता का अभाव उनके लिए बाधा बन सकता है.

हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी नीतिगत बदलाव के बारे में हेफ्लिन ने कहा, ट्रंप प्रशासन के लिए चीन के साथ आर्थिक समझौतों पर फिर से बातचीत करना एक बड़ी प्राथमिकता है. इसका असर भारत सहित क्षेत्र के अन्य देशों के साथ अमेरिका के संबंधों पर पड़ रहा है.

उन्होंने कहा कि हमारे पास चीन से अच्छा समझौता करने और उसे रूस से अलग करने का अच्छा मौका है और ऐसा हम कर भी सकते हैं. लेकिन, हमें भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के बारे में सोचना होगा.

भारत को सलाह देते हुए पूर्व अमेरिकी राजनयिक डोनाल्ड हेफ्लिन ने कहा, “मुझे लगता है कि भारत को यहां मानसिक संतुलन से काम लेना होगा. भारत-अमेरिका लंबे समय से साझीदार रहे हैं. दोनों देशों के संबंधों में उतार-चढ़ाव आते रहे हैं. मौजूदा स्थिति भी ऐसी ही है. यहां संयम से काम लेना होगा.”

पीएके/केआर

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