New Delhi, 6 नवंबर . एक लेटेस्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कर्मचारियों के लिए वर्कप्लेस में उनके काम करने के तरीकों को बदलने को लेकर एक अहम फैक्टर बन रहा है.
जॉब साइट इंडीड की एक लेटेस्ट स्टडी बताती है कि 71 प्रतिशत कर्मचारी एआई का इस्तेमाल करियर को प्लान करने और प्रॉब्लम को सॉल्व करने के लिए करते हैं. जो एआई की भूमिका को एक मदद करने वाले टूल से ट्रस्टेड सहयोगी में बदलती है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 75 प्रतिशत कर्मचारियों ने माइक्रो-रिटायरमेंट, मूनलाइटिंग, फ्लेक्सिबल शेड्यूल और बेयर-मिनिमम मंडे जैसे कम से कम एक नए वर्कप्लेयर बिहेवियर को अपनाना शुरू कर दिया है.
इसके अलावा, 68 प्रतिशत एंट्री-टू-जूनियर लेवल कर्मचारी सीखने और करियर प्लानिंग को लेकर नई अप्रोच को ट्राई कर रहे हैं. 10 में से 4 कर्मचारी यानी लगभग 40 प्रतिशत कर्मचारियों का कहना है कि वे मूनलाइटिंग, फ्लेक्सिबल शेड्यूल और शॉर्ट करियर ब्रेक्स के साथ वर्क-लाइफ दोनों को बैलेंस करते हैं.
42 प्रतिशत कर्मचारियों को लगता है कि जॉब-होपिंग और ब्रीफ ऑफिस अपीयरेंस इंगजेमेंट न होने का संकेत हैं. वहीं, 62 प्रतिशत कर्मचारियों का मानना है कि ये एक्शन बदलाव के लिए आवश्यक रणनीति बनते हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कर्मचारी तेजी से रोल और स्किल में बदलाव कर रहे हैं. क्योंकि वे नौकरी में लंबे समय तक बने रहने के लिए नई स्किल और करियर से जुड़े रास्तों को एक्सप्लोर कर रहे हैं.
रिपोर्ट बताती है कि कर्मचारियों में इस तरह का बिहेवियर उन्हें जॉब से जुड़ी जरूरतों के बदलने को तेजी से अपनाने नई टेक्नोलॉजी सीखने में मदद कर रहा है.
बिहेवियर को लेकर बदलाव को लेकर 43 प्रतिशत कर्मचारियों ने फ्लेक्सिबिलिटी और ऑटोनॉमी को अहम फैक्टर बताया है, 37 प्रतिशत कर्मचारियों ने स्ट्रेस और बर्नआउट को बिहेवियर में बदलाव का अहम कारण बताया. वहीं, 30 प्रतिशत कर्मचारियों का कहना है कि बिहेवियर में बदलाव का कारण जॉब सिक्योरिटी से जुड़ी चिंताएं हैं.
इंडीड के लिए सॉफ्टवेयर-एज-ए-सर्विस द्वारा किए गए इस सर्वे में 14 इंडस्ट्रीज के 1,288 नियोक्ता, 2,584 कर्मचारियों सहित 3,872 पार्टिसिपेंट्स से सवालों के जवाब लिए गए.
इंडीड का कहना है कि कंपनियों को टैलेंट स्ट्रेटेजी अपनानी चाहिए, जो ट्रेनिंग, करियर पाथस और रिटेंशन के तरीकों को बदलती उम्मीदों के मुताबिक बदले.
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एसकेटी/
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