पुरी, 15 सितंबर . पुरी जिला मुख्यालय अस्पताल में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जहां एक बुजुर्ग महिला को पहले मृत मान लिया गया, लेकिन बाद में वह जीवित पाई गई. इस घटना ने स्थानीय समुदाय में भारी भ्रम और चर्चा पैदा की है. अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. महावीर ने इस मामले में स्पष्टीकरण देकर स्थिति को साफ किया.
डॉ. महावीर ने बताया कि उक्त बुजुर्ग महिला को उनके परिवार वाले अस्पताल लेकर आए थे. परिवार का कहना था कि सुबह से महिला में कोई हलचल या प्रतिक्रिया नहीं दिख रही थी, जिसके चलते उन्हें लगा कि उनकी मृत्यु हो चुकी है. अस्पताल लाने से पहले परिवार ने गांव के एक गैर-चिकित्सक को दिखाया, जिसने गलती से महिला को मृत घोषित कर दिया. आमतौर पर ऐसी स्थिति में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू हो जाती है, लेकिन परिवार ने समझदारी दिखाते हुए महिला को पुरी जिला अस्पताल में जांच के लिए लाने का फैसला किया.
अस्पताल में चिकित्सीय जांच के दौरान डॉक्टरों ने पाया कि महिला का हृदय और फेफड़े अभी भी कार्य कर रहे हैं, हालांकि वह बाहरी उत्तेजनाओं का जवाब नहीं दे रही थी. उनकी तंत्रिका संबंधी स्थिति अत्यंत नाजुक है, और वह किसी भी निर्देश या उत्तेजना पर प्रतिक्रिया नहीं दे रही. डॉ. महावीर ने बताया कि महिला को गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) और वेंटिलेटर सपोर्ट की आवश्यकता है. लेकिन पुरी जिला अस्पताल में आईसीयू बेड की कमी के कारण उन्हें कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज जैसे उच्च चिकित्सा केंद्रों में रेफर किया गया. दुर्भाग्यवश, इन अस्पतालों ने बेड की अनुपलब्धता का हवाला देते हुए मरीज को भर्ती करने से मना कर दिया.
डॉ. महावीर ने स्पष्ट किया कि महिला की हालत अब भी गंभीर बनी हुई है. परिवार ने किसी भी परिणाम को स्वीकार करने की सहमति जताई है. पुरी जिला अस्पताल प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि ऐसी आपात स्थिति में बिना देरी किए नजदीकी Governmentी अस्पताल में संपर्क करें और गैर-प्रमाणित चिकित्सकों पर भरोसा करने से बचें.
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एससीएच
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