नई दिल्ली, 29 मई . चिलचिलाती गर्मी में जब मन कुछ हल्का और सादा खाने का करता है, तब रसोई में साधारण सी दिखने वाली तोरई सबसे ज्यादा काम आती है. देखा जाता है कि अक्सर लोगों को यह नापसंद होती है, क्योंकि वे इसे स्वाद के मामले में थोड़ा कम आंकते हैं, लेकिन इसके गुणों से अनजान रहते हैं. तोरई हल्की होती है और आसानी से पच जाती है, इसलिए बीमार लोगों या गर्मी में थकावट महसूस करने वालों के लिए यह बहुत फायदेमंद होती है. दादी-नानी के पुराने किस्सों में यह सेहत के लिए वरदान जैसी है. इसमें विटामिन, फाइबर और पानी की मात्रा अच्छी होती है, जो शरीर को ठंडक देती है और पाचन ठीक रखती है. इसके एक नहीं बल्कि अनेक फायदे हैं.
अमेरिका की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में इसे गुणों का बखान है. तोरई का वानस्पतिक नाम लफ्फा एक्यूटांगुला है. यह एक बारहमासी पौधा है, जो भारत के अलावा, दक्षिण-पूर्व एशिया, चीन, जापान, मिस्र और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में पाया जाता है. तोरई भारतीय पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली (आयुर्वेद) में कई बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होता आया है. इसे खासतौर पर पीलिया, मधुमेह, बवासीर, पेचिश, सिरदर्द, कुष्ठ रोग आदि समस्याओं में उपयोग किया जाता है.
वैज्ञानिकों ने तोरई के पौधे से 50 से ज्यादा रासायनिक तत्व पाए हैं, जिनमें फ्लावोनॉयड्स, जो शरीर में सूजन कम करते हैं; एंथ्राक्विनोन्स, जो पाचन से जुड़ी समस्याओं में मददगार होते हैं; प्रोटीन और फैटी एसिड्स, जो शरीर की ताकत को बढ़ाते हैं; सैपोनिन और ट्राइटरपीन, जो संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं.
अब बात करते हैं तोरई के अनेक फायदों की.
तोरई की सब्जी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होती है. यह शरीर को ठंडा रखती है, पाचन क्रिया को सही करती है और बालों को समय से पहले सफेद होने से रोकती है. आजकल की खराब लाइफस्टाइल, समय पर न खाना, नींद पूरी न होना और जंक फूड बालों की सेहत बिगाड़ देते हैं. ऐसे में तोरई जैसी हेल्दी सब्ज़ियां खाने से शरीर को जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं और बाल भी लंबे समय तक काले और मजबूत बने रहते हैं.
तोरई त्वचा से जुड़ी कई समस्याओं के इलाज में भी मदद करती है. खासकर दर्द देने वाले मस्सों को ठीक करने में यह मददगार होती है. तोरई का रस मस्सों पर लगाने से सूजन कम होती है और धीरे-धीरे मस्से गायब हो जाते हैं. यह एक प्राकृतिक तरीका है, जिससे बिना किसी साइड इफेक्ट के आराम पाया जा सकता है.
तोरई के कई घरेलू औषधीय गुण भी होते हैं. फोड़े की गांठ के इलाज में तोरई की जड़ बहुत फायदेमंद होती है. इसे ठंडे पानी में घिसकर फोड़े पर लगाने से सूजन और दर्द कम होता है और एक दिन में ही असर दिखने लगता है. इसी तरह, त्वचा पर होने वाले चकत्तों में भी तोरई मदद करती है. तोरई की बेल को गाय के मक्खन में घिसकर दिन में 2-3 बार चकत्तों पर लगाने से आराम मिलता है और चकत्ते धीरे-धीरे ठीक होने लगते हैं.
तोरई में प्राकृतिक पेप्टाइड्स पाए जाते हैं जो इंसुलिन की तरह काम करते हैं, इसलिए यह डायबिटीज के मरीजों के लिए भी फायदेमंद होती है. इसे सब्जी के रूप में नियमित सेवन करना सेहत के लिए बहुत लाभकारी है.
तोरई की सब्जी खाने से कब्ज दूर होती है और बवासीर में भी आराम मिलता है. कड़वी तोरई को उबालकर उसके पानी में बैंगन पकाने से और फिर बैंगन को घी में भूनकर गुड़ के साथ खाने से दर्द और पीड़ा वाले मस्से कम हो जाते हैं. इसके अलावा, तोरई रक्त को शुद्ध करती है और लिवर की सफाई में मददगार होती है. लिवर की देखभाल के लिए इसे गुणकारी माना जाता है.
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पीके/केआर
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