हमारे भारतवर्ष में बहुत से मंदिर हैं और बहुत से देवी देवताओं की पूजा भी की जाती है और सभी मंदिरों का अपना अलग ही महत्व होता है आपको बता दें कि हिंदू धर्म में देवी देवताओं और मंदिरों का बहुत ही महत्व होता है भारत में ऐसे बहुत से मंदिर हैं जहां पर कुछ ना कुछ अलग अवश्य होता है और जिनके बारे में जानने के बाद हम आश्चर्यचकित भी हो जाते हैं इन्हीं मंदिरों में से एक ऐसा भी मंदिर है जहां पर भगवान को नूडल्स भोग के रूप में लगाया जाता है इसके अतिरिक्त रतनपुर में भगवान हनुमान जी के एक बहुत पुराने मंदिर में भगवान हनुमान की मादा अवतार के रूप में पूजा की जाती है परंतु आज हम आपको इस लेख के माध्यम से एक ऐसे मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं जहां भगवान को घड़ियां चढ़ाई जाती हैं, जी हां आप बिल्कुल सही सुन रहे हैं कि भगवान को घड़ियां चढ़ाई जाती हैं आप इस बात को सुनकर हैरान अवश्य हो गए होंगे परंतु यह बात बिल्कुल सत्य है आज हम आपको इसी विषय में जानकारी देने जा रहे हैं।

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि हम जिस मंदिर के विषय में बात कर रहे हैं वह मंदिर उत्तर प्रदेश के जौनपुर के पास एक गांव में स्थित है और इस मंदिर का नाम ब्रह्मा बाबा का मंदिर है आप इस बात को जानकर अवश्य आश्चर्यचकित रह जाएंगे कि इस मंदिर में जो भक्त हैं वह भगवान को चढ़ावे के रूप में घड़ियां चढ़ाते हैं
यहां पर हर वर्ष सैकड़ों व्यक्ति आते हैं और जब उनकी इच्छाएं पूरी हो जाती है तो उसके बाद भगवान को घड़ियां चढ़ाते हैं यह अनूठा अनुष्ठान कुछ व्यक्तियों के लिए अजीब हो सकता है परंतु इस गांव के लोग और अन्य भक्त पिछले 30 वर्षों से इस अनुष्ठान का पालन कर रहे हैं जब व्यक्तियों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती है तो वह यहां पर आकर भगवान जी को घड़ियाँ चढ़ाते हैं।
आपको बता दें कि इस अनुष्ठान के पीछे भी एक कहानी है इसके बारे में ऐसा कहा जाता है कि एक आदमी एक ड्राइवर बनना चाहता था और ड्राइविंग सीखने के लिए भगवान से उसने पूछा, जब वह आदमी ड्राइव करना शुरू कर दिया तो उसने भगवान को धन्यवाद देने के लिए उनके पास एक घड़ी चढ़ा दी थी और तभी से यहां पर घड़ियां चढ़ाने की एक परंपरा बन गई थी बहुत से लोग ऐसे हैं जो मंदिर के बाहर पेड़ पर ही घड़िया चढ़ा देते हैं परंतु फिर भी किसी ने इस पेड़ से घड़ियां चुराने की कोशिश नहीं की और ना ही कोई ऐसी घटना सुनने में आई है आपको बता दें कि इस मंदिर के अंदर कोई भी पुजारी नहीं है वह के गांव के व्यक्ति ही इस मंदिर की देखभाल करते हैं।
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