Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य भारत के महान शिक्षक अर्थशास्त्री और सलाहकार माने जाते हैं। उनका जन्म 400 ईसा पूर्व में माना जाता है। आचार्य चाणक्य द्वारा लिखी गई चाणक्य नीति न केवल तत्कालीन समय में में बल्कि आज तक लोग उसका अनुसरण कर व्यवहारिक जीवन में सकारात्मक मार्गदर्शन पा रहे हैं।
आचार्य चाणक्य ने अपनी शिक्षा गुरुकुल से प्राप्त की थी और मौर्य साम्राज्य की स्थापना में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हम आपको बता दें कि मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य के प्रमुख सलाहकार होने के साथ-साथ आचार्य चाणक्य उनके गुरु भी थे। चाणक्य ने चंद्रगुप्त को न केवल राजनीतिक और सैन्य मामलों में प्रशिक्षित किया बल्कि उन्हें शासन और नीति निर्माण का भी बेहतरीन मार्गदर्शन दिया।
उन्हें लोग विष्णु गुप्त व कौटिल्य के नाम से भी जानते थे। वह राजनीति, अर्थशास्त्र, विज्ञान और धर्मशास्त्र में निपुण थे। उनकी शिक्षा और ज्ञान उन्हें प्रभावशाली शिक्षक और रणनीतिकार बनाती है। चाणक्य की सबसे प्रसिद्ध कृति अर्थशास्त्र है। इस ग्रंथ में राज्य प्रबंध, कर व्यवस्था, विदेश नीति तथा युद्ध कला के बारे में हमें बेहतरीन जानकारी दी गई है।
आचार्य ने अपने ग्रंथ नीति शास्त्र में नैतिकता, आचरण और व्यवहार के सिद्धांतों का वर्णन भी दिया है। आज़ के आलेख में हम आपको आचार्य चाणक्य बताए गए उन नैतिक विचारों की जानकारी देंगे जिन्हें अपना कर आप जीवन में सफल हो सकते हैं और एक नेक इंसान बन सकते हैं।
आचार्य के द्वारा सुझाए गए नैतिक विचारचाणक्य नीति के अनुसार, यदि आप किसी से ज्यादा नाराज हैं तो नाराजगी से बेहतर है कि आप उन्हें अपने जीवन में अहमियत देना बंद कर दें। अगर आप अपनी लाइफ में उसकी अहमियत कम कर देंगे, तो आपको कष्ट नहीं होगा। साथ ही आपकी नाराजगी भी खत्म हो जाएगी। बता दें कि नकारात्मक भावना को लंबे समय तक अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहिए। इससे मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है और जीवन में सबकुछ अच्छा होता है।
आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में इस बात का वर्णन किया है कि अगर आपकी कोई सराहना करें या निंदा करे तो इसमें खुद का लाभ देखना चाहिए। क्योंकि प्रशंसा हमें प्रेरणा देती है तो वहीं निंदा सावधान होने का अवसर प्रदान करती है। इसलिए इन दोनों चीजों को अपने जीवन में ग्रहण करने की कोशिश करें। बता दें कि सकारात्मक और नकारात्मक प्रतिक्रियाओं को अपने जीवन में सही तरीके से अपनाकर हम अपने व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन को बेहतर बना सकते हैं।
चाणक्य नीति के अनुसार, जिंदगी कठिन तब हो जाती है जब हम खुद में बदलाव लाने के बजाय परिस्थितियों को बदलने का प्रयास करते हैं। दरअसल, बाहरी परिस्थितियों को बदलने की कोशिश करने से जब हमें सफलता नहीं मिलती तो हमारे मन में नकारात्मकता और निराशा का संचार होता है। जब हम उन चीजों को बदलने का प्रयास करते हैं जिन्हें बदलना हमारे बस में नहीं होता तो तनाव और मानसिक अशांति होती है।
आचार्य चाणक्य के अनुसार, भाग्य एक ऐसी शक्ति है जिसे रोका नहीं जा सकता। यह एक ऐसी चीज होती है जो होकर ही रहती है। जब समय और भाग्य अनुकूल होते हैं तो हमारे आस-पास की परिस्थितियां भी उसी के अनुसार अनुकूल हो जाती है। भाग्य के अनुकूल वातावरण में हम निर्णय लेने और कार्य करने में अधिक सक्षम होते हैं। इस दौरान हमारी बुद्धि भी उस समय के अनुसार ही काम करने लगती है।
चाणक्य नीति के अनुसार, भाग्य केवल उन्हीं का साथ देता है जो अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं और अपने लक्ष्यों के प्रति समर्पित रहते हैं। जैसा कि हम सभी जानते हैं समय और परिस्थितियां कभी भी एक समान नहीं रहती। यह बदलती रहती है। ऐसे में हमें अपने समय का सही उपयोग करना चाहिए। इससे आप जीवन में सफल इंसान बनेंगे।
आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में धैर्य का वर्णन किया है। उनके अनुसार, जीवन में धैर्य रखकर हम कैसी भी कठिनाइयों का आसानी से सामना कर सकते हैं और अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। बता दें कि धैर्य मानसिक शांति और लाइफ में स्थिरता प्रदान करता है। इन गुणों को अपनाकर हम जीवन की हर चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।
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