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पीपली लाइव: एक महत्वपूर्ण फिल्म की समीक्षा

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फिल्म का परिचय

आमिर खान द्वारा निर्मित पीपली लाइव, जो 13 अगस्त 2010 को रिलीज हुई, एक गंभीर सामाजिक मुद्दे पर आधारित है। पहली बार निर्देशक अनुषा रिजवी की लेखनी ग्रामीण पात्रों के माध्यम से गरीबी की काली छाया को उजागर करती है, जो सरकारी सहायता की उम्मीद में हैं।


कहानी का सार

फिल्म में कई अन्य फिल्मों के तत्व हैं, लेकिन अनुषा का दृष्टिकोण अद्वितीय है। पात्रों का अभिनय इतना स्वाभाविक है कि आप सोचने लगते हैं कि क्या वे वास्तव में अभिनेता हैं।


किसानों की आत्महत्या का मुद्दा

किसानों की आत्महत्या केवल एक समाचार बनकर रह जाती है, लेकिन पीपली लाइव इसे एक गंभीर चेतावनी के रूप में प्रस्तुत करती है। फिल्म में हास्य के क्षण हैं, लेकिन यह एक हास्य फिल्म नहीं है।


संवाद और पात्र

फिल्म के संवाद वास्तविकता से जुड़े हैं, जो पात्रों के बीच स्वाभाविक रूप से उभरते हैं। रघुवीर यादव और ओमकार दास मणिकपुरी के बीच की केमिस्ट्री दर्शकों को प्रभावित करती है।


राजनीति और मीडिया की आलोचना

फिल्म में राजनीति और मीडिया की कठोर आलोचना की गई है। पत्रकारों को दिखाया गया है जो टीआरपी के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।


फिल्म की छायांकन

फिल्म का छायांकन शंकर रमन द्वारा किया गया है, जो धरती के रंगों को दर्शाता है। यह फिल्म कैमरे की अनिवार्यता को दर्शाती है।


नवाजुद्दीन सिद्दीकी का योगदान

नवाजुद्दीन सिद्दीकी इस फिल्म में एकमात्र ऐसा पात्र हैं जो नैतिकता का प्रतीक हैं। अनुषा रिजवी ने अपनी पहली फिल्म के माध्यम से महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों को उठाया है।


अनुषा रिजवी का दृष्टिकोण

अनुषा ने फिल्म के बारे में कहा कि यह एक संयोग था और उन्होंने इसे बनाने में छह साल बिताए। उन्होंने दर्शकों को एक कैथार्टिक अंत नहीं दिया, बल्कि वास्तविकता का सामना करने के लिए प्रेरित किया।


फिल्म का महत्व

अनुषा रिजवी ने पीपली लाइव के माध्यम से यह साबित किया है कि सिनेमा में नैतिकता अभी भी जीवित है। यह फिल्म उन लोगों की कहानी है जो चुनावी सर्वेक्षणों से परे हैं।


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