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जमात-ए-इस्लामी हिंद ने उत्तर प्रदेश में पुलिस की कार्रवाई पर उठाए सवाल

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पुलिस की कार्यशैली पर चिंता

जमात-ए-इस्लामी हिंद ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं।

उत्तर प्रदेश में मुसलमानों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई को लेकर जमात-ए-इस्लामी हिंद ने गहरी चिंता व्यक्त की है। ऐसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (एपीसीआर) के सचिव नदीम खान ने कहा कि जो घटनाएं सामने आ रही हैं, वे कानून प्रवर्तन की बजाय कानून के शासन के पतन का संकेत हैं। पुलिस अब रक्षक की भूमिका से उत्पीड़क बन गई है। “आई लव मोहम्मद” जैसे पोस्टरों के माध्यम से पैगंबर मोहम्मद के प्रति प्रेम की अभिव्यक्ति के बाद उत्तर प्रदेश में दमन की लहर देखी जा रही है। छापे, गिरफ्तारियां और निजी परिसरों में पोस्टरों को विकृत करना मुस्लिम पहचान को अपराधी बनाने के प्रयास को दर्शाता है।

नदीम खान ने बताया कि 23 सितंबर को देशभर में 1,324 मुसलमानों के खिलाफ 21 एफआईआर दर्ज की गई हैं, जिनमें से 38 गिरफ्तारियां हुई हैं, बरेली में 10 एफआईआर शामिल हैं। यह कानून-व्यवस्था की प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि चुनिंदा उत्पीड़न का उदाहरण है। नाबालिगों को भी हिरासत में लिया गया है और मौलाना तौकीर रज़ा जैसे नेताओं को बार-बार बदनाम किया जा रहा है।

बुलडोजर का राजनीतिक उपयोग

उन्होंने कहा कि बुलडोजर, जो पहले प्रगति का प्रतीक था, अब सामूहिक दंड और राजनीतिक प्रतिशोध का प्रतीक बन गया है। इसका उपयोग अब डराने और बर्बाद करने के लिए किया जा रहा है। प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध और अनुसूचित जातियों के खिलाफ अत्याचार की घटनाएं बढ़ी हैं, जो सुरक्षात्मक शासन के पतन को दर्शाती हैं। राज्य मशीनरी का उपयोग अल्पसंख्यकों को चुप कराने के लिए किया जा रहा है।

जमात-ए-इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष मलिक मोतसिम खान ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी और अवास्तविक समय-सीमा के कारण बड़े पैमाने पर मताधिकार से वंचित होने का खतरा है, खासकर मुस्लिम आबादी और हाशिए पर पड़े वर्गों के बीच। उन्होंने कहा कि नागरिकों पर सबूत साबित करने की जिम्मेदारी थोपना अनुचित है। कई गरीब परिवार तीन महीने के भीतर दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सके, जिससे प्रशासनिक संशोधन एक दंडात्मक प्रक्रिया में बदल गया।

गाजा में इज़राइल के हमलों की निंदा

जमात-ए-इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष सलीम इंजीनियर ने गाजा में इज़राइल द्वारा किए गए नरसंहार और मानवीय बेड़े पर उसके हमले की निंदा की। उन्होंने कहा कि निहत्थे नागरिक जहाजों को निशाना बनाकर इज़राइल ने कानून, नैतिकता और मानवीय मर्यादा की सभी सीमाएं पार कर दी हैं। गाजा में पिछले दो वर्षों से लगातार बमबारी हो रही है, जिससे घिरी हुई आबादी का व्यवस्थित विनाश हो रहा है।

प्रोफ़ेसर सलीम इंजीनियर ने भारत सरकार से संयुक्त राष्ट्र में एक सैद्धांतिक रुख अपनाने और अपनी विदेश नीति को फ़िलिस्तीन के प्रति भारत के ऐतिहासिक समर्थन के अनुरूप बनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि फ़िलिस्तीनी संघर्ष मानवता की अंतरात्मा की परीक्षा है। इतिहास याद रखेगा कि कौन न्याय के लिए खड़ा हुआ और कौन नरसंहार के सामने चुप रहा।


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