वर्तमान में, हमारे देश में डायबिटीज, जिसे शुगर भी कहा जाता है, एक गंभीर बीमारी बन चुकी है। लगभग 4.8 करोड़ लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं, और 3 करोड़ लोग इसके शिकार होने की संभावना में हैं। यह एक ऐसी बीमारी है जो शरीर को धीरे-धीरे कमजोर कर देती है, और वैज्ञानिक इसे 'साइलेंट किलर' के रूप में पहचानते हैं।
डायबिटीज के कारण, व्यक्ति की किडनियां और लीवर प्रभावित होते हैं, जिससे रक्त की गुणवत्ता खराब हो जाती है। यह स्थिति ब्रेन स्ट्रोक, हेमरेज और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है। इसके अलावा, यह बीमारी अंधेपन का भी कारण बन सकती है।
डायबिटीज का इलाज करने में कई डॉक्टर असमर्थ हैं। वे अक्सर इन्सुलिन के उपयोग की सलाह देते हैं, जो खुद में खतरनाक हो सकता है। इन्सुलिन का लंबे समय तक उपयोग करने से शरीर में कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
यदि आपके जानने वालों में कोई डायबिटीज का मरीज है, तो उन्हें इन्सुलिन लेने से मना करें और प्राचीन विधियों जैसे योग और आयुर्वेद का सहारा लेने की सलाह दें।
प्राणायाम: एक प्राकृतिक उपचार
डायबिटीज के मरीजों को तीन प्रमुख प्राणायाम करने की सलाह दी जाती है: हस्तिका, कपालभारती, और आलोम विलोम। ये प्राणायाम रोजाना एक घंटे के लिए किए जाने चाहिए।
हस्तिका प्राणायाम में, व्यक्ति आराम से बैठकर गहरी सांसें लेता है। कपालभारती में, व्यक्ति तेजी से सांस को बाहर निकालता है, जबकि आलोम विलोम में नथुने के माध्यम से सांस का आदान-प्रदान किया जाता है।
इन प्राणायामों के साथ, आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन भी फायदेमंद हो सकता है। मेथी दाना, तेज पत्ता, और जामुन की गुठली जैसे प्राकृतिक तत्वों का उपयोग किया जा सकता है।
इन औषधियों का सेवन सुबह और शाम को एक घंटे पहले भोजन से करना चाहिए। यह उपचार लगभग दो महीने में प्रभाव दिखा सकता है।
सावधानियाँ और परहेज
इस उपचार के दौरान, चीनी का सेवन पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए। चाय, दूध, दही, और मिठाइयों में चीनी का उपयोग नहीं करना चाहिए।
डायबिटीज के मरीजों को इस उपचार के लाभ के बारे में जागरूक करना आवश्यक है, क्योंकि भारत में लाखों लोग इस बीमारी से ग्रसित हैं।
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