भारतीय शेयर बाज़ार में विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) लगातार बिकवाली कर रहे हैं, जिससे बाज़ार में गिरावट आई है. इसके अलावा ग्लोबल न्यूज़ फ्लो ने भी मार्केट को प्रभावित किया है. वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण घटनाक्रम के बाद क्या एफआईआई अपना रुख बदल सकते हैं, जिससे वे भारतीय बाज़ारों में अपनी बिकवाली का सिससिला रोक दें.
अगस्त में अब तक एफआईआई नेट सेलर्स रहे हैं और उन्होंने 20,975 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं. छोटे सप्ताह में एफपीआई ने चारों कारोबारी सत्रों में से प्रत्येक में भारतीय शेयर बेचे. उन्होंने पूरे सप्ताह में 10,173 करोड़ रुपये के शेयर बेचे. एफआईआई ने शुक्रवार को 1,926.8 करोड़ रुपये की निकासी की, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशक 3,896 करोड़ रुपये के शुद्ध खरीदार रहे.
भारतीय बाज़ार पिछले सप्ताह पॉज़िटिव ग्लोबल क्यूज़ के बावजूद कमज़ोर रहे. हालांकि म्यूचुअल फंड में मज़बूत निवेश और घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) की भारी खरीदारी के बावजूद है. अगस्त में 1 से 14 तारीख तक, एफआईआई ने एक्सचेंजों के माध्यम से 24,190 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची है. एफआईआई की यह बिक्री 55,790 करोड़ रुपये की डीआईआई की भारी खरीदारी के आगे पूरी तरह से दब गई है. फिर भी निफ्टी 24,768 से गिरकर 24,631 पर आ गया है.
ट्रंप के कठोर टैरिफ और अमेरिका-भारत के बीच तनावपूर्ण संबंधों ने मार्केट के सेंटीमेंट्स को प्रभावित किया है और परिणामस्वरूप शॉर्ट्स जमा हो गए हैं, जिससे बाजार नीचे आ गया है. कमजोर अर्निंग ग्रोथ, हाई वैल्यूएशन और वित्त वर्ष 2026 के लिए 8 से 10% आय वृद्धि के मामूली अनुमान ने मंदड़ियों को शॉर्ट पोजीशन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया है, जिसका बाजार पर असर पड़ा है.
अमेरिका और रूस के बीच तनाव कम होने और रूस पर आगे कोई प्रतिबंध न लगने की ताज़ा ख़बरें इस बात का संकेत हैं कि भारत पर लगाया गया 25% का एडिशनल टैरिफ 27 अगस्त के बाद लागू होने की संभावना नहीं है. एक और सकारात्मक कारक जो एफआईआई के व्यवहार को प्रभावित कर सकता है, वह है रेटिंग एजेंसी एसएंडपी द्वारा भारत की क्रेडिट रेटिंग को बीबीबी- से बढ़ाकर बीबीबी करना शामिल है.
यूक्रेन पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन के बीच बनी सहमति से बाज़ारों में शांति आने की उम्मीद है. हालाँकि डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन में रूस के युद्ध को समाप्त करने के लिए कोई समझौता नहीं किया, लेकिन पुतिन ने दावा किया कि दोनों के बीच एक "समझौता" हो गया है.
अगस्त में अब तक एफआईआई नेट सेलर्स रहे हैं और उन्होंने 20,975 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं. छोटे सप्ताह में एफपीआई ने चारों कारोबारी सत्रों में से प्रत्येक में भारतीय शेयर बेचे. उन्होंने पूरे सप्ताह में 10,173 करोड़ रुपये के शेयर बेचे. एफआईआई ने शुक्रवार को 1,926.8 करोड़ रुपये की निकासी की, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशक 3,896 करोड़ रुपये के शुद्ध खरीदार रहे.
भारतीय बाज़ार पिछले सप्ताह पॉज़िटिव ग्लोबल क्यूज़ के बावजूद कमज़ोर रहे. हालांकि म्यूचुअल फंड में मज़बूत निवेश और घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) की भारी खरीदारी के बावजूद है. अगस्त में 1 से 14 तारीख तक, एफआईआई ने एक्सचेंजों के माध्यम से 24,190 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची है. एफआईआई की यह बिक्री 55,790 करोड़ रुपये की डीआईआई की भारी खरीदारी के आगे पूरी तरह से दब गई है. फिर भी निफ्टी 24,768 से गिरकर 24,631 पर आ गया है.
ट्रंप के कठोर टैरिफ और अमेरिका-भारत के बीच तनावपूर्ण संबंधों ने मार्केट के सेंटीमेंट्स को प्रभावित किया है और परिणामस्वरूप शॉर्ट्स जमा हो गए हैं, जिससे बाजार नीचे आ गया है. कमजोर अर्निंग ग्रोथ, हाई वैल्यूएशन और वित्त वर्ष 2026 के लिए 8 से 10% आय वृद्धि के मामूली अनुमान ने मंदड़ियों को शॉर्ट पोजीशन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया है, जिसका बाजार पर असर पड़ा है.
अमेरिका और रूस के बीच तनाव कम होने और रूस पर आगे कोई प्रतिबंध न लगने की ताज़ा ख़बरें इस बात का संकेत हैं कि भारत पर लगाया गया 25% का एडिशनल टैरिफ 27 अगस्त के बाद लागू होने की संभावना नहीं है. एक और सकारात्मक कारक जो एफआईआई के व्यवहार को प्रभावित कर सकता है, वह है रेटिंग एजेंसी एसएंडपी द्वारा भारत की क्रेडिट रेटिंग को बीबीबी- से बढ़ाकर बीबीबी करना शामिल है.
यूक्रेन पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन के बीच बनी सहमति से बाज़ारों में शांति आने की उम्मीद है. हालाँकि डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन में रूस के युद्ध को समाप्त करने के लिए कोई समझौता नहीं किया, लेकिन पुतिन ने दावा किया कि दोनों के बीच एक "समझौता" हो गया है.
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