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SCO समिट में बोले चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग- मतभेदों को दरकिनार कर साझा लक्ष्यों पर ध्यान देना जरूरी

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चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सोमवार को तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता की। इस दौरान उन्होंने सदस्य देशों को संबोधित करते हुए संगठन की प्रगति और भविष्य की दिशा पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि एससीओ ने अपने विकास और सहयोग में ऐतिहासिक सफलताएं हासिल की हैं, जो इसकी ताकत को दर्शाती हैं। शी जिनपिंग ने बताया कि शंघाई सहयोग संगठन अब दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन बन चुका है। इसकी पहुंच और प्रभाव बढ़ने से सदस्य देशों के बीच एकता मजबूत हुई है।

उन्होंने जोर दिया कि संगठन के सभी देशों को एक साथ मिलकर काम करना चाहिए, ताकि क्षेत्रीय शांति और समृद्धि सुनिश्चित हो सके। एससीओ की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि इसके सदस्य एक-दूसरे के साथ कैसे तालमेल बनाते हैं। चीनी राष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि सदस्य देशों को अपनी छोटी-मोटी असहमतियों को भुलाकर आपसी सहयोग के रास्ते तलाशने चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि मतभेदों को दरकिनार कर साझा लक्ष्यों पर ध्यान देना जरूरी है। यह दृष्टिकोण ही एससीओ को और मजबूत बनाएगा। उन्होंने सदस्य देशों से अपील की कि वे एक-दूसरे की प्रगति में योगदान दें, ताकि सभी को फायदा हो।

उन्होंने जोर दिया कि एससीओ को केवल बातचीत तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि व्यावहारिक परिणामों पर ध्यान देना होगा। संगठन को उच्च दक्षता के साथ काम करना चाहिए, ताकि इसके फैसले जल्दी लागू हो सकें। यह कदम क्षेत्र में स्थिरता और विकास को बढ़ावा देगा। एससीओ को आधुनिक चुनौतियों से निपटने के लिए नई रणनीतियां अपनानी होंगी।

सम्मेलन के दौरान शी जिनपिंग ने सदस्य देशों से आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग को मजबूत करने की अपील की। उन्होंने कहा कि आपसी विश्वास और समझ से ही संगठन अपनी पहचान बना सकता है। तियानजिन में हुई यह बैठक क्षेत्रीय सहयोग को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का वादा करती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बीते दिन तियानजिन में द्विपक्षीय वार्ता हुई। यह इस साल दोनों नेताओं की दूसरी मुलाकात थी। इससे पहले अक्टूबर में दोनों कज़ान, रूस में मिले थे, जिसे रिश्तों में "रीसेट और नई शुरुआत" के तौर पर देखा गया। बैठक के दौरान पीएम मोदी और जिनपिंग ने बेहद गर्मजोशी से बातचीत की। चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि "हाथी और ड्रैगन दोनों को साथ आने की जरूरत है।" उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत और चीन को सीमा क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के लिए मिलकर काम करना चाहिए और सीमा विवाद को संपूर्ण रिश्तों की परिभाषा नहीं बनने देना चाहिए।

 

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