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बहराइच एनकाउंटर के दावे पर उठ रहे हैं सवाल, पुलिस ने साधी चुप्पी

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BBC 13 अक्तूबर की शाम दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान हिंदुओं-मुसलमानों के बीच झड़प हुई और राम गोपाल मिश्रा नामक के युवक की गोली मार कर हत्या कर दी गई.

उत्तर प्रदेश के बहराइच में पिछले दिनों दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के जुलूस के दौरान हिंसा हुई थी. इस दौरान राम गोपाल मिश्रा नाम के एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. अब इस मामले में नया मोड़ आ गया है.

बहराइच पुलिस का दावा है कि राम गोपाल मिश्रा हत्याकांड में पांच अभियुक्तों को गिरफ़्तार किया गया है, जिनमें से दो को मुठभेड़ के दौरान गोली लगी है.

इस मुठभेड़ को लेकर कई विपक्षी पार्टियों के अलावा अभियुक्तों के परिजन भी सवाल खड़े कर रहे हैं लेकिन पुलिस के आला अधिकारी इस पर चुप्पी साधे हुए हैं.

गुरुवार को बहराइच की पुलिस अधीक्षक वृंदा शुक्ला ने दावा किया था कि राम गोपाल मिश्रा हत्या मामले के पांच अभियुक्तों को पुलिस ने उस वक़्त गिरफ्तार किया था, जब वे नेपाल भागने की फ़िराक में थे.

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पुलिस अधीक्षक ने बताया कि जब पुलिस अभियुक्तों को लेकर हत्या में इस्तेमाल किये गए हथियार बरामद करने के लिए गई थी, तब उन लोगों ने वहां पर छिपाए गए हथियार निकालकर पुलिस पर हमला करने और वहां से भागने की कोशिश की.

एसपी के मुताबिक़ पुलिस ने आत्मरक्षा में कार्रवाई की जिसमें दो लोग घायल हुए, जिनके पैरों में गोली लगी है. पांच अभियुक्तों में जिन दो लोगों को गोली लगी है उनके नाम सरफराज़ और तालिब हैं.

शुक्रवार को बहराइच पुलिस ने अभियुक्तों को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जिसके बाद न्यायालय के आदेश पर उन्हें जेल भेज दिया गया.

हिंसा वाले दिन क्या हुआ था? image BBC हिंसा की घटना के बाद कई मुसलमानों के घरों और दुकानों में आग लगा दी गई.

बहराइच के महराजगंज में 13 अक्तूबर की शाम दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान हिंदुओं और मुसलमानों के बीच झड़प हुई. इस दौरान राम गोपाल मिश्रा नाम के एक युवक की गोली मार कर हत्या कर दी गई.

इस घटना के बाद कई मुसलमानों के घरों और दुकानों में आग लगा दी गई.

आरोप है कि पूरा विवाद दुर्गा विसर्जन के दौरान डीजे पर भड़काऊ गाना बजाने को लेकर शुरू हुआ, जिस पर मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति जताई थी.

घटना वाले दिन वहाँ मौजूद पुलिसवालों ने बताया कि विवाद तब बढ़ गया, जब हिंदू पक्ष डीजे बंद करने के लिए तैयार नहीं हुआ और मुस्लिम पक्ष की ओर से डीजे का तार निकाल दिया गया.

इसके बाद भीड़ ने हंगामा करना शुरू कर दिया.

पुलिस के मुताबिक़ इसके बाद विसर्जन जुलूस में शामिल राम गोपाल मिश्रा आपत्ति जताने वाले सरफ़राज़ के घर पर चढ़ गए और हरा झंडा निकालकर भगवा झंडा फहराने लगे.

इस घटना का वीडियो भी वायरल हो गया. इस वीडियो में राम गोपाल मिश्रा को हरा झंडा हटाकर भगवा झंडा फहराते देखा जा सकता है.

इसी दौरान घर के अंदर से गोली चली, जिसमें राम गोपाल मिश्रा की मौत हो गई.

क्या कह रही है पुलिस? image BBC पीएसी 32 बटालियन के लिए कमांडेंट अजय कुमार गश्त करते हुए.

मुठभेड़ को लेकर पुलिस ने जो दावा किया है उसके मुताबिक़, घटना में इस्तेमाल किये गए हथियार (आला-ए-क़त्ल) बरामद करने के लिए सरफ़राज़ उर्फ़ रिंकू, मोहम्मद तालिब उर्फ़ शबलू को लेकर पुलिस टीम थाना नानपारा के कुर्मीपुरवा बाईपास से जाने वाली नहर पटरी के 400 मीटर अंदर पहुंची.

तभी दोनों अभियुक्त पुलिस टीम को धक्का देकर झाड़ियों में छिप गए. वो वहां छिपाए गए जिन हथियारों को बरामद कराने के लिये पुलिस को साथ लेकर आए थे, उसी से पुलिस टीम पर फायरिंग करने लगे.

बहराइच की एसपी वृंदा शुक्ला ने बताया कि पुलिस की ओर से आत्मरक्षा में की गई जवाबी कार्रवाई में फायरिंग के दौरान एक अभियुक्त सरफ़राज़ के बाएं पैर और दूसरे अभियुक्त मोहम्मद तालिब के दाएं पैर में गोली लगी.

घायल अभियुक्तों को सीएचसी नानपारा लाया गया जहां से उन्हें ज़िला अस्पताल बहराइच रेफ़र कर दिया गया.

पुलिस ने गिरफ्तार अभियुक्तों से मौके़ पर घटना में इस्तेमाल हुए 12 बोर एसबीएल गन, एक 12 बोर जिन्दा कारतूस और खोखा कारतूस भी बरामद करने का दावा किया है.

एसपी वृंदा शुक्ला ने बताया है कि महराजगंज में हिंसा शुरू होने के बाद कुल 14 एफ़आईआर दर्ज़ हुई हैं जिनमें कुल 57 लोग गिरफ्तार किए गए हैं.

गिरफ्तार लोगों में 34 मुस्लिम पक्ष के हैं और 23 हिंदू पक्ष के हैं. इनमें ज़्यादातार गिरफ्तारियां हिंसा और दंगों को लेकर हैं.

अभियुक्तों के परिजन और पड़ोसी क्या कह रहे हैं? image BBC अभियुक्त सरफ़राज़ की बहन रुख़्सार

घायलों में से एक अभियुक्त सरफ़राज़ की बहन रुख़्सार ने बुधवार को एक वीडियो जारी किया था और अपने घरवालों के एनकाउंटर की आशंका जताई थी.

उनका आरोप है कि 14 अक्तूबर को उनके पति और देवर को बहराइच पुलिस शहर में मौजूद उनके घर से उठाकर ले गई थी लेकिन अब उनका कुछ पता नहीं चल रहा है.

रुख़्सार के पिता अब्दुल हमीद भी इस मामले में अभियुक्त हैं. रुख़्सार का दावा पुलिस के बयान से बिल्कुल उलट है.

रुख़्सार ने बीबीसी को बताया कि उनके पिता और भाई सरेंडर करने के लिए जा रहे थे, तभी पुलिस ने उनको महराजगंज के पास धर्म कांटे पर गिरफ्तार कर लिया.

रुख़्सार के मुताबिक उस वक्त हुए हंगामे के बाद परिवार का उनसे कोई संपर्क नहीं हो सका.

रुख़्सार महराजगंज से तक़रीबन 40 किलोमीटर दूर बहराइच में रहती हैं.

उनके मुताबिक़ 14 अक्तूबर को पुलिस उनके पति और देवर को भी अपने साथ ले गयी थी लेकिन उनका कोई पता नहीं है.

बुधवार को दिए एक बयान में उन्होंने आशंका जताई थी कि पुलिस उनके घरवालों का भी एनकाउंटर कर सकती है.

वहीं अभियुक्त के वकील मोहम्मद कलीम हाशमी का आरोप है कि एनकाउंटर फर्ज़ी है.

उन्होंने कहा कि प्राथमिक तौर पर ऐसा लग रहा है कि ये धार्मिक भेदभाव के कारण किया गया. उन्होंने सीबी-सीआईडी से इस मामले की जांच कराने की भी मांग की है.

image BBC

महराजगंज के कुछ लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि बंदूक छिपाने के लिए इतना दूर जाने की क्या ज़रूरत जब पास में ही नदी है, वहीं कछार का इलाक़ा भी है.

रविवार की घटना के बाद लोग अपने घरों को लौट रहे हैं लेकिन लोग अपने घरों से बाहर निकलने से अब भी गुरेज़ कर रहे हैं.

बीबीसी की टीम ने शुक्रवार को यहां कई घरों पर दस्तक दी. लेकिन कुछ ही लोगों ने बाहर निकलना मुनासिब समझा. उन्होंने बताया कि घटना वाले दिन डीजे की वजह से ही मामला बढ़ गया था.

कस्बे में रहने वाले बबलू का कहना है कि अब्दुल हमीद जसगढ़ बिरादरी के है, जो सुनार का काम करते है. उनका कई दशकों से सर्राफे़ का काम है, उनके बेटे और भाई भी यही काम करते हैं.

बबलू के मुताबिक़ हमीद या उनके घरवालों से किसी से कोई लड़ाई-झगड़े की बात उन्होंने अभी तक नहीं सुनी है.

महराजगंज में ही रहने वाले सिराज का कहना है कि हमीद के घरवालों की किसी से भी कोई विवाद की बात नहीं सुनी गयी. वो शादी-ब्याह के मौके़ पर सोने का सामान उधार देकर हिंदू-मुसलमान दोनों की ही मदद भी करते थे, बाद में लोग धीरे-धीरे पैसा चुका देते थे.

सिराज का कहना है कि हमीद की सर्राफ़े की दुकान भी हिंसा के दौरान लूट ली गई. बीबीसी ने भी मौके़ पर जाकर देखा तो वहां तिजोरी और अन्य सामान सड़क पर बिखरा पाया.

शुक्रवार को लोक निर्माण विभाग ने हमीद के घर पर नोटिस भी चिपकाया है जिसमें कहा गया है कि उनका मकान सड़क पर बना हुआ है. स्थानीय लोग बता रहे हैं कि लाल निशान लगाया गया है. नोटिस के अनुसार सड़क के मध्य से 60 फीट तक निर्माण नहीं हो सकता है.

हमीद के रिश्तेदारों का कहना है कि पुलिस ने कई एफ़आईआर अज्ञात लोगों पर दर्ज़ कर रखी है, इसलिए इलाके़ के लोगों में इस बात की दहशत है कि पुलिस किसी को भी पकड़ सकती है.

महराजगंज में कुछ ऐसे लोग भी बीबीसी को मिले, जिनके परिजन अभी तक जेल नहीं भेजे गए हैं बल्कि पुलिस की हिरासत में हैं.

इमामगंज के रहने वाले मेराज कु़रैशी महराजगंज आए थे लेकिन उनको पुलिस पकड़ ले गयी. अब उनकी पत्नी उन्हें तलाश कर रहीं हैं.

मृतक के परिजनों का क्या कहना है? image BBC विवाद की शुरुआत डीजे बजाने को लेकर हुई थी.

महराजगंज में हुई गोलीकांड की घटना में मृतक राम गोपाल मिश्रा के गांव रेहुआ मंसूरपुर में भी लोग खासे नाराज़ दिखाई दिए.

यहां के कई लोगों ने बीबीसी की टीम से कहा कि ये न्याय नहीं है.

राम गोपाल की पत्नी रोली मिश्रा ने कहा कि उनके पति को जिस तरह से मारा गया था उसके सामने ये कुछ भी नहीं है.

रोली मिश्रा ने कहा, "ये इंसाफ़ नहीं है, सरकार चाहे तो उन्हें दिया गया पैसा वापस ले ले, लेकिन अभियुक्तों को कड़ी से कड़ी सज़ा देनी चाहिए."

मृतक राम गोपाल मिश्रा की बहन, मां और पिता भी सरकार से खुश नहीं दिखाई दिए. उनकी बहन प्रीति मिश्रा का आरोप है कि पुलिस जानबूझकर अभियुक्तों के ख़िलाफ़ सख्त एक्शन नहीं ले रही.

गांव के पूर्व प्रधान माधवदीन मिश्रा का कहना है कि उसकी (सरफराज़) बहन का वीडियो है कि उसके घर से तीन दिन पहले लोग उठा लिए गए थे, इसलिए लोगों के मन में संदेह है और यहां के लोग पुलिस की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हैं.

माधवदीन का कहना है कि हमीद को उनके गांव के लोग जानते हैं, क्योंकि उनके गांव के लोगों का महराजगंज आना-जाना रहता था.

माधवदीन का कहना है कि राम गोपाल मिश्रा कैटरिंग का काम करते थे. उन्होंने बताया कि घटना वाले दिन वह गांव से ढाई बजे मूर्ति विसर्जन के लिए निकले थे. उन्होंने कहा कि उस दिन डीजे के कारण ही मामला बढ़ा, हालांकि उनका कहना है कि डीजे पर धार्मिक गाना ही बज रहा था.

राजनीतिक दलों ने भी उठाए सवाल image Getty Images अखिलेश यादव ने कहा है कि सरकार अपनी नाकामी छिपाने के लिए एनकाउंटर कर रही है.

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कई बार आरोप लगाया है कि पुलिस जानबूझकर अपनी नाकामी छिपाने के लिए एनकाउंटर करती है.

इस एनकाउंटर पर अखिलेश यादव ने कहा, "ये प्रायोजित तौर पर किया जा रहा है. यह एनकाउंटर नहीं हो रहा है, यह हत्या हो रही है और यह पूरी जनता देख रही है."

एआईएमआईएम अध्यक्ष असद्ददुदीन ओवैसी ने कहा कि प्रदेश की बीजेपी सरकार को संविधान के हिसाब से चलना चाहिए ना कि 'रूल बाइ गन' से, ये ग़लत परिपाटी बनाई जा रही है. ओवैसी ने कहा कि सरकार बदले की राजनीति बंद करे.

ओवैसी ने कहा कि ऐसे पुलिस वालों को ओलंपिक में भेजना चाहिए जो इतना सटीक पैर पर निशाना लगा रहे हैं.

हालांकि इस मुठभेड़ पर उठ रहे सवालों पर अब तक आला अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है. बीबीसी ने बहराइच में कैंप कर रहे गोरखपुर ज़ोन के एडीजी के एस प्रताप कुमार से संपर्क किया. उन्होंने कहा कि इस मामले में उचित समय पर उचित जानकारी दी जाएगी.

बहराइच की एसपी वृंदा शुक्ला से भी बीबीसी ने संपर्क किया तो उन्होंने भी कहा कि अब वह इस मसले पर कोई बातचीत नहीं करेंगी. बाकी मामलों में भी क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम के हिसाब से पुलिस आगे की कार्रवाई करेगी.

बीजेपी का क्या रुख़ है? image Getty Images

इस मामले में विपक्ष के आरोपों पर बीजेपी ने जवाब दिया है.

केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता , "बहराइच में हुई घटना पर अखिलेश यादव ने एक शब्द नहीं कहा केवल मुस्लिम वोट के लिए. उनका तो डीएनए ही हिंदू विरोधी है."

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष और यूपी सरकार में मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने एनकाउंटर पर पुलिस की तारीफ़ की है.

उन्होंने कहा, "जब पुलिस के ऊपर कोई गोलियों की बौछार करेगा तो पुलिस क्या उन्हें माला पहनाएगी? फूलों की वर्षा करेगी? पुलिस हमेशा अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को गिरफ़्तार करने जाती है. अगर वो हरकत करते हैं तो पुलिस की ओर से फ़ायरिंग होती है."

वहीं बीजेपी नेता ने कहा है, "बलवाइयों की कुटाई और ये ठुकाई समाज के सौहार्द्र की भलाई है."

बहराइच में महसी के विधायक सुरेश्वर सिंह का कहना है कि मुठभेड़ कैसे हुई, ये जांच का विषय है. उनका कहना है कि कोई विशेषज्ञ नहीं है कि तय करे कि मुठभेड़ की क्या असलियत है.

योगी सरकार में एनकाउंटर image BBC बहराइच की पुलिस के मुताबिक़ मस्जिद के बाहर से जुलूस निकलने के दौरान सांप्रदायिक तनाव हुआ.

उत्तर प्रदेश में साल 2017 से बीजेपी नेता योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार है.

पुलिस के मुताबिक़, यूपी में मार्च 2017 से सितंबर 2024 तक तक़रीबन 12 हज़ार 964 पुलिस एनकाउंटर हुए हैं जिनमें 207 लोगों की मौत हुई है.

इस दौरान 27 हज़ार 117 अपराधी पकड़े गए हैं और 6 हज़ार लोग घायल हुए हैं. इस दौरान 1601 पुलिसवाले घायल हुए हैं और 17 की मौत हुई है जिसमें बिकरू कांड में मारे गए आठ पुलिसकर्मी भी शामिल हैं.

पिछले महीने सुल्तानपुर में मंगेश यादव की एनकाउंटर में मौत होने के बाद यूपी पुलिस की एसटीएफ़ पर सवाल खड़े किए गए थे.

एसटीएफ़ के मुताबिक बीजेपी सरकार के साढ़े सात वर्षों में यानी 22 सितंबर तक इस फोर्स ने 49 लोगों का एनकाउंटर किया है. स्थानीय पुलिस के आंकड़ों को जोड़ा जाए तो ये तादाद बढ़ सकती है.

एसटीएफ़ के एडीजी अमिताभ यश के मुताबिक़ पिछले साढ़े सात वर्षों में एसटीएफ़ ने 7 हज़ार अपराधियों को पकड़ा है, जिसमें 49 लोगों की मौत मुठभेड़ में हुई है. इन अपराधियों के ऊपर 10 हज़ार से लेकर 5 लाख रुपये तक का इनाम घोषित था.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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